नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सियासी हलचल तेज हो रही है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रमुख सहयोगी और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने की अटकलों ने जोर पकड़ लिया है.
सूत्रों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चिराग को सामान्य सीट से चुनाव लड़ाने के लिए समर्थन दे रही है, जो उनकी पिछली लोकसभा सीटों (जमुई और हाजीपुर) की तुलना में एक बड़ा बदलाव है, जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं. लोजपा के नेता वैसे तो अपने आप को हमेशा से मोदी के हनुमान कहते रहे हैं लेकिन बिहार चुनाव से पहले जिस तरह से उनकी राजनीतिक मूव हो रही उससे अटकलों का बाजार गर्म है.
चिराग पासवान ने बार-बार 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' का नारा बुलंद किया है, जिसके पीछे उनकी सियासी मंशा साफ नजर आ रही है. उनकी पार्टी के नेता, बिहार प्रभारी अरुण भारती ने संकेत दिए हैं कि चिराग न केवल विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं, बल्कि बिहार की सियासत में बड़ी भूमिका निभाने को तैयार हैं. अरुण भारती ने हाल ही में कहा, "चिराग पासवान सिर्फ एक समुदाय के नेता नहीं, बल्कि पूरे बिहार की आशा हैं."
बीजेपी के प्रवक्ता कुंतल कृष्ण ने चिराग को एनडीए का मजबूत सहयोगी बताते हुए कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के दौरान यह तय होगा कि कौन सी सीट किसे मिलेगी. लोजपा के सभी नेता लगातार ये दावा कर रहे कि चिराग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'हनुमान' कहे जाते है. उनका बिहार की सियासत में प्रवेश एनडीए के वोट बैंक को और मजबूत करेगा."
हालांकि, बीजेपी ने स्पष्ट किया है कि बिहार में एनडीए का नेतृत्व नीतीश कुमार के हाथों में रहेगा, और चिराग ने भी इस बात का समर्थन किया है कि मुख्यमंत्री पद के लिए कोई फिलहाल खाली जगह नहीं है. फिर भी, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी एक 'प्लान बी' पर काम कर रही है, जिसमें चिराग को बिहार की सियासत में एक वैकल्पिक चेहरा बनाया जा सकता है, खासकर अगर एनडीए को अपेक्षित सफलता न मिले.
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए चिराग की लोकप्रियता, खासकर युवाओं और अनुसूचित जाति समुदायों में, का उपयोग करना चाहती है. चिराग की पार्टी को पासवान समुदाय (बिहार की अनुसूचित जाति आबादी का लगभग एक-तिहाई) का समर्थन प्राप्त है, जो एनडीए के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है. इसके अलावा, बीजेपी मिथिलांचल क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रही है, जहां 100 से अधिक विधानसभा सीटें हैं और एनडीए का पहले से मजबूत आधार है.
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक यह भी चर्चा है कि चिराग और बीजेपी के बीच सीट बंटवारे को लेकर मतभेद हो सकते हैं, और चिराग संभावित रूप से प्रशांत किशोर जैसे अन्य नेताओं के साथ गठबंधन भी कर सकते हैं. यह जानकारी अभी पुष्ट नहीं है, लेकिन यह बिहार की सियासत में अनिश्चितता को दर्शाती है. मगर चिराग बार बार ये साफ कर रहे कि वो एनडीए का अभिन्न हिस्सा हैं.
बीजेपी और एनडीए ने बिहार में 225 से अधिक सीटों के लक्ष्य के साथ अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना में बीजेपी कोर कमेटी के साथ बैठक की और एक भव्य रोड शो किया, जिससे एनडीए के प्रचार को बल मिला. इसके अलावा, केंद्र सरकार ने बिहार के लिए मखाना बोर्ड, नए हवाई अड्डों और अन्य परियोजनाओं की घोषणा की है, जो मतदाताओं को लुभाने की रणनीति का हिस्सा है.
वहीं, विपक्षी महागठबंधन, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस शामिल हैं, भी अपनी रणनीति को मजबूत कर रहा है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में उनकी मौजूदगी के रहते बीजेपी सरकार नहीं बना सकती.
चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव में उतरने की संभावना और बीजेपी का उनके प्रति समर्थन बिहार की सियासत में नया मोड़ ला सकता है. हालांकि, बीजेपी का 'प्लान बी' अभी केवल अटकलों का विषय है, और एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात दोहरा रहा है. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, सीट बंटवारे और गठबंधन की रणनीति स्पष्ट होगी, जो बिहार के सियासी समीकरण को और रोचक बनाएगी.
इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ताव ने नाम ना लेने की शर्त पर कहा कि चाहे चिराग की रणनीति जो भी हो, भाजपा आलाकमान ने ये स्पष्ट कर दिया हैं कि, बिहार का चुनाव नीतीश के नेतृत्व में ही होगा और चिराग पासवान एनडीए के हिस्सा हैं और केंद्रीय मंत्री भी हैं.
ये भी पढ़ें: नड्डा का सभी मंत्रियों को निर्देश, मोदी सरकार के काम को दिखाने के लिए उपलब्धियों का ब्यौरा दें