नई दिल्ली: पाकिस्तान की ओर से 8 मई को अमृतसर के पवित्र स्वर्ण मंदिर (हरमंदिर साहिब) पर ड्रोन और मिसाइल हमले की कोशिश की घटना ने देश में हलचल मचा दी है. हालांकि, इस हमले को भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने नाकाम कर दिया, लेकिन इसने भारत-पाकिस्तान तनाव को और बढ़ा दिया.
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रवक्ता आरपी सिंह ने स्वर्ण मंदिर पर हमले की कोशिश की कड़ी निंदा करते हुए भारतीय सेना की त्वरित कार्रवाई की सराहना की. दूसरी ओर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को सूचित करने के मामले में विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर सवाल उठाए हैं, जिससे राजनीतिक विवाद और तेज हो गया है.
इस मुद्दे पर बोलते हुए भाजपा के प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि ये पाकिस्तान की कायराना हरकत थी, जिसका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया. बीजेपी नेता आरपी सिंह ने कहा कि पाकिस्तान ने पवित्र स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाकर अपनी नीचता दिखाई है. यह न केवल भारत की बल्कि पूरे विश्व के सिख समुदाय की भावनाओं पर हमला है. साथ ही पूरे देश की एकता और संप्रभुता को चुनौती है.
उन्होंने भारतीय सेना की तारीफ करते हुए कहा, "हमारी वायु रक्षा प्रणालियों, जैसे आकाश मिसाइल सिस्टम और एल-70 एयर डिफेंस गन ने इस हमले को विफल कर दिया. यह हमारी सेना की ताकत और सतर्कता का प्रमाण है."
आरपी सिंह ने कहा, "पाकिस्तान को इस दुस्साहस की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया. यह भारत की 'आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस' नीति का हिस्सा है."
राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर से पहले पाकिस्तान को सूचना देना अपराध के सामान है.
राहुल गांधी पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं...
राहुल गांधी के बयान पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए उन्हें 'पाकिस्तान का प्रचार उपकरण' करार दिया. बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि क्या राहुल गांधी झूठी खबरें फैला रहे हैं. क्या कांग्रेस ऑपरेशन सिंदूर से नाखुश है, जिसने पाकिस्तान में आतंकी ढांचे को ध्वस्त कर दिया? यह देश की सेना और सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार है."
स्वर्ण मंदिर पर हमले का प्रयास और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. हालांकि, 10 मई को दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई, लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ भविष्य में कोई भी बातचीत आतंकवाद को खत्म करने और पाक-अधिकृत कश्मीर को खाली करने तक सीमित रहेगी.
इस घटनाक्रम ने न केवल भारत-पाकिस्तान संबंधों को प्रभावित किया है, बल्कि भारत की राजनीति में भी एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. जैसे-जैसे दोनों पक्ष अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुटे हैं, देश की जनता इस बात पर नजर रखे हुए है कि यह तनाव और राजनीतिक बयानबाजी आगे कैसे आकार लेगी.
यदि देखा जाए तो एक तरफ सरकार ने अलग-अलग देशों में पाकिस्तान के नापाक इरादों को बेनकाब करने के लिए सांसदों का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बनाया है, जो विदेश में जाकर भारत की राजनयिक पहुंच को मजबूत करेगा. हालांकि, प्रतिनिधिमंडल को लेकर भी आरोप प्रत्यारोप लगाए गए.
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