नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे को लेकर बीजेपी की स्थिति काफी पशोपेश में नजर आ रही है. एक और जहां उनके सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर विवादास्पद बयान के बाद बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर उनसे दूरी बना ली है. वहीं, दूसरी तरफ पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्पष्ट किया कि, यह दुबे का निजी बयान है. साथ ही उन्हें ऐसी टिप्पणियों से बचने की चेतावनी भी दी गई.
निशिकांत दुबे के बयान पर बीजेपी का डैमेज कंट्रोल!
दूसरी तरफ सोशल मीडिया यूजर्स और बीजेपी के समर्थकों का उनके समर्थन में बयानबाजी और पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ जिस तरह से आलोचना की जा रही उसे देखते हुए ऐसे सवाल भी उठाए जा रहे कि क्या ये बयानबाजी पार्टी की किसी रणनीति का हिस्सा है.
बीजेपी ने झाड़ा पल्ला
हालांकि, बीजेपी की आधिकारिक लाइन यही है कि वे सांसद निशिकांत दुबे के बयान से सहमत नहीं हैं. दूसरी ओर, विपक्ष, खासकर कांग्रेस, इसे बीजेपी की डैमेज कंट्रोल रणनीति करार दे रहा है, और दावा कर रहा है कि ऐसे बयान पार्टी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हैं.
खुद को पार्टी का अनुशासित सिपाही बताया
न्यायपालिका से संबंधित दिए गए बयान के बावजूद, निशिकांत दुबे ने खुद को पार्टी का अनुशासित सिपाही बताते हुए कहा कि, वे पार्टी के निर्देशों का पालन करेंगे. लेकिन, सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट्स और विश्लेषणों पर जो बयानबाजी चल रही उसे देखकर विपक्ष ये सवाल उठा रहा है कि बीजेपी की एक सुनियोजित रणनीति है.
पार्टी ने डैमेज कंट्रोल के लिए दूरी बना ली, विपक्ष ने साधा निशाना
कुछ विपक्षी पार्टी के नेताओं का कहना है कि, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का बयान पार्टी के इशारे पर दिया गया था ताकि न्यायपालिका को एक खास संदेश दिया जाए, और बाद में पार्टी ने डैमेज कंट्रोल के लिए दूरी बना ली. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी निशिकांत दुबे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, निशिकांत दुबे मंत्री बनने के लिए हिंदू-मुसलमान करने में लगे हुए हैं और इसमें बीजेपी के बड़े नेताओं की इनको शह मिली हुई है.
क्या बोली कांग्रेस....
कांग्रेस नेता का कहना है कि, बीजेपी ने भी कहा है कि यह उनका (निशिकांत दुबे) निजी बयान है और बीजेपी ने भी इससे खुद को अलग कर लिया है, लेकिन बीजेपी अगर ईमानदार है तो ऐसे नेता को तत्काल बर्खास्त कर दें, लेकिन इसमें बीजेपी की भी मिलीभगत है. वहीं दूसरी तरफ, कुछ पार्टी के नेता दबी जुबान में ये भी कह रहे कि यह भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का निजी बयान है और पार्टी को मजबूरन डैमेज कंट्रोल करना पड़ा रहा है.
इस रणनीति के पीछे संभावित उद्देश्य
इस रणनीति के पीछे संभावित उद्देश्य ये भी देखे जा रहे हैं, जिनमें ये कहा जा रहा कि, भाजपा अपने सांसद के बयान से किनारा कर एक सख्त संदेश देना चाहती है. साथ ही पार्टी के कट्टर समर्थकों को यह दिखाने की भी कोशिश हो सकती है कि बीजेपी न्यायपालिका के कुछ फैसलों के खिलाफ सख्त रुख अपना सकती है, खासकर ऐसे मुद्दों पर जो उनके आधार वोट को प्रभावित करते हैं.
इसके अलावा पार्टी का किनारा करना एक रणनीति का हिस्सा होते हुए विवाद से ध्यान भटकाना भी हो सकता है. इसकी तीसरी वजह पार्टी की आंतरिक राजनीति यह भी हो सकती है कि, पार्टी के भीतर अलग-अलग धड़े अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हों, और दुबे जैसे नेता इसका हिस्सा हों.
न्यायपालिका का मामला है....
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने नाम ना लेने की शर्त पर कहा कि, इस पर पार्टी अध्यक्ष ने बीजेपी का लाइन तय कर दिया है और पार्टी की वही राय है. इस मुद्दे पर कुछ और बोलना न्यायसंगत नहीं है क्योंकि ये न्यायपालिका का मामला है.
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