चेन्नई: कांग्रेस के अखिल भारतीय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भाजपा सरकार पर राज्यों के अधिकार छीनने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जब से भाजपा सरकार सत्ता में आई है, राज्य सरकारों के अधिकारों का हनन हो रहा है और राज्यपाल निर्वाचित अधिकारियों की तरह मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं.
सिंघवी ने यह बात चेन्नई के सत्यमूर्ति भवन में तमिलनाडु कांग्रेस वकील इकाई द्वारा आयोजित अंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर कही. इस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, अखिल भारतीय कांग्रेस तमिलनाडु प्रभारी गिरीश चोडानकर, डीएमके वकील विंग के सचिव एन.आर. एलांगो सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया.
संघवाद पर सिंघवी के विचार
कार्यक्रम में संघवाद पर बोलते हुए सिंघवी ने कहा कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG), चुनाव आयोग और न्यायपालिका जैसे संस्थान लोकतंत्र के स्तंभ हैं. इसी तरह, संघवाद, धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता संविधान के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में "संघीय" शब्द का सीधे तौर पर उल्लेख नहीं है, लेकिन निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्वितरण संघीय दर्शन के विरुद्ध है.
राज्यपालों की भूमिका पर सवाल
सिंघवी ने पश्चिम बंगाल, पंजाब और तमिलनाडु जैसे राज्यों में राज्यपालों के हस्तक्षेप पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यपाल न केवल विधेयकों को रोकते हैं, बल्कि उन्हें राष्ट्रपति के पास भेजने में भी देरी करते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के बार-बार दिए गए फैसलों के बावजूद भाजपा के राज्यपाल संघवादी दर्शन को विकृत कर रहे हैं. उनका मानना है कि राज्यपाल के पास केवल विधानसभा बुलाने का अधिकार है, लेकिन वे संघवाद के प्रति सम्मान के बिना कार्य कर रहे हैं.
आपदा प्रबंधन अधिनियम में संशोधन पर आपत्ति
सिंघवी ने कोरोना काल में लागू किए गए आपदा प्रबंधन अधिनियम में संशोधन को राज्य सरकार के अधिकारों को छीनने वाला बताया. उन्होंने तमिलनाडु सरकार की सराहना करते हुए कहा कि वह जागरूकता के साथ काम कर रही है और राज्यपाल द्वारा निलंबित किए जा रहे विधेयकों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख
सिंघवी ने राज्यपालों के मुद्दे पर हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें पहली याचिका पश्चिम बंगाल, दूसरी पंजाब और तीसरी तमिलनाडु की ओर से दायर की गई थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि राज्यपालों ने 10 से अधिक विधेयकों को महीनों तक मंजूरी देने में देरी की और अपना काम नहीं किया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने इस पर अपना फैसला दे दिया है.
अन्य वक्ताओं के विचार
कार्यक्रम में कांग्रेस वकीलों के विंग के अध्यक्ष चंद्रमोहन ने कांग्रेस के वकीलों को सरकारी पद देने की मांग की। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष सेल्वा पेरुंताका द्वारा लिखे गए पत्र पर कार्रवाई करने का आग्रह किया.
यह भी पढ़ें- राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय करना एक बड़ी जीत- CM स्टालिन