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बिहार में किसकी सरकार बनेगी? आया चौंकाने वाला सर्वे, BJP ने बदली रणनीति - BIHAR ELECTION SURVEY

बिहार विधानसभा चुनाव पर बीजेपी की क्या है रणनीति, ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवादाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार, फाइल फोटो
पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार, फाइल फोटो (PTI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : June 12, 2025 at 8:54 PM IST

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नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति को और मजबूत करने के लिए कई स्तर पर काम शुरू कर दिया है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के साथ गठबंधन में बीजेपी बिहार में सत्ता बरकरार रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.

एनडीए के सहयोगी दल को लेकर सीटों पर भी चर्चा कई बार हो चुकी है और लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास)के नेता चिराग पासवान भी विधानसभा चुनाव लड़ने का दम भर रहे हैं.

बिहार चुनाव पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट (ETV Bharat)

ऐसे में सवाल है कि, क्या भाजपा का समर्थन चिराग पासवान को है. इस बात को लेकर भी चर्चा गर्म है. वहीं ये बात भी निकल कर सामने आ रही कि, बिहार चुनाव को देखते हुए भाजपा को जून तक नया अध्यक्ष भी मिल सकता है. वहीं भाजपा प्रवासी मतदाताओं पर भी नजर रख रही है.

बीजेपी ने एक बार फिर से स्पष्ट किया है कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. पार्टी के एक वरिष्ठतम नेता ने कहा कि एनडीए के पांच दल (बीजेपी, जेडीयू, लोजपा (रामविलास), हम, और राष्ट्रीय लोक मोर्चा) एकजुट होकर 'चुनाव लड़ेंगे.

हालांकि, सीट बंटवारे को लेकर अभी कोई जल्दबाजी नहीं की जा रही है. वहीं सूत्रों की माने तो बीजेपी ने सभी 243 सीटों पर इंटरनल सर्वे भी पूरा कर लिया है और सहयोगी दलों के साथ आखिरी समय में सीट बंटवारे का फैसला करेगी. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी चिराग की लोकप्रियता, खासकर युवाओं और अनुसूचित जाति (विशेषकर पासवान समुदाय) के बीच उनके प्रभाव को अपने पक्ष में भुनाना चाहती है.

चिराग ने स्पष्ट किया है कि, उनका लक्ष्य एनडीए को मजबूत करना और 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' के नारे को साकार करना है. बीजेपी भी इस रणनीति को समर्थन दे रही है, क्योंकि चिराग का सामान्य सीटों से चुनाव लड़ने का इरादा उनकी छवि को केवल दलित नेता से आगे बढ़ाकर सभी वर्गों के नेता के रूप में स्थापित कर सकता है. यह बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे एनडीए का सामाजिक आधार और व्यापक होगा.

यही नहीं बीजेपी ने बिहार से बाहर रहने वाले करीब दो करोड़ प्रवासी मतदाताओं को जोड़ने की भी रणनीति बनाई है. खासतौर पर हरियाणा जैसे राज्यों में रहने वाले बिहारी वोटरों को टारगेट किया जा रहा है.

पार्टी ने हरियाणा के हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम, और अन्य जिलों में पार्टी की पार्टी की कुछ टीम बनाई हैं, जो इन मतदाताओं की पहचान कर उन्हें बिहार चुनाव में वोट डालने के लिए प्रेरित कर रही हैं. छठ पूजा जैसे सांस्कृतिक आयोजनों के जरिए बीजेपी इन मतदाताओं से भावनात्मक जुड़ाव भी लगातार बढ़ाती रही है.

बिहार की राजनीति में जाति एक महत्वपूर्ण कारक है, और बीजेपी ने इसे ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार की है. पार्टी ने पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग (OBC और EBC) को साधने के लिए सरकारी योजनाओं में उनकी भागीदारी बढ़ाने और संगठन में उन्हें नेतृत्व देने का फैसला किया है. 25 से अधिक जिलों में पहली बार पिछड़ा-अति पिछड़ा समाज के कार्यकर्ताओं को जिला अध्यक्ष बनाया गया है. साथ ही, कुशवाहा, धानुक, कुर्मी, और वैश्य समुदायों को टारगेट करते हुए टिकट वितरण में भी इन जातियों को प्राथमिकता दी जा रही है.

वहीं, यदि देखा जाए तो जातीय जनगणना को लेकर भी बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना के फैसले को बीजेपी अपनी रणनीति का हिस्सा मान रही है. यह कदम विपक्ष के 'संविधान विरोधी' नैरेटिव को कमजोर करने और नए जातीय समूहों को अपने पक्ष में लाने के लिए उठाया गया है.

इसके अलावा बीजेपी अपनी परंपरागत हिंदुत्व की विचारधारा को भी मजबूत कर रही है. 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे अभियानों के जरिए पार्टी ने हिंदू मतदाताओं में सकारात्मक माहौल बनाया है. इसके साथ ही, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की वैचारिक मशीनरी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का लाभ उठाने की रणनीति बनाई गई है. संघ प्रमुख लगातार बिहार में कई बार प्रवास कर चुके हैं और वर्तमान में भी वहीं है.

वैसे तो भाजपा यह स्पष्ट कर चुकी है कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. मगर सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर अभी कोई जल्दबाजी नहीं की जा रही है. बीजेपी ने सभी 243 सीटों पर सर्वे पूरा कर लिया है और सहयोगी दलों के साथ आखिरी समय में सीट बंटवारे का फैसला करेगी.

मगर सूत्रों की माने तो अगर नीतीश कुमार की लोकप्रियता में कमी या स्वास्थ्य संबंधी अटकलों के कारण एनडीए को नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत पड़ती है, तो चिराग पासवान को एक युवा और ऊर्जावान चेहरा बनाया जा सकता है.

चिराग ने यह भी संकेत दिया है कि वे 40-50 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं, जो एनडीए के मौजूदा सीट बंटवारे (जेडीयू: 102-103, बीजेपी: 101-102, लोजपा: 25-28) से कहीं ज्यादा है. यह मांग बीजेपी के लिए एक चुनौती है, लेकिन चिराग की लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी उन्हें पूरी तरह नजरअंदाज भी नहीं कर सकती.

पार्टी के एक नेता जो बिहार से हैं नाम ना लेने की शर्त पर उनका कहना है कि बिहार में भाजपा इस बार अकेले भींचा प्रदर्शन करेगीबौर बहुत कुछ चुनाव परिणाम के बाद भी तय किया जा सकता है वैसे पार्टी नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी और वहीं एनडीए के सीएम उम्मीदवार हैं.

ये भी पढ़ें: अन्नदाताओं के लिए मोदी सरकार का क्या है सिद्धांत, मंत्री भगीरथ चौधरी ने तेलंगाना में बताया

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति को और मजबूत करने के लिए कई स्तर पर काम शुरू कर दिया है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के साथ गठबंधन में बीजेपी बिहार में सत्ता बरकरार रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.

एनडीए के सहयोगी दल को लेकर सीटों पर भी चर्चा कई बार हो चुकी है और लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास)के नेता चिराग पासवान भी विधानसभा चुनाव लड़ने का दम भर रहे हैं.

बिहार चुनाव पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट (ETV Bharat)

ऐसे में सवाल है कि, क्या भाजपा का समर्थन चिराग पासवान को है. इस बात को लेकर भी चर्चा गर्म है. वहीं ये बात भी निकल कर सामने आ रही कि, बिहार चुनाव को देखते हुए भाजपा को जून तक नया अध्यक्ष भी मिल सकता है. वहीं भाजपा प्रवासी मतदाताओं पर भी नजर रख रही है.

बीजेपी ने एक बार फिर से स्पष्ट किया है कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. पार्टी के एक वरिष्ठतम नेता ने कहा कि एनडीए के पांच दल (बीजेपी, जेडीयू, लोजपा (रामविलास), हम, और राष्ट्रीय लोक मोर्चा) एकजुट होकर 'चुनाव लड़ेंगे.

हालांकि, सीट बंटवारे को लेकर अभी कोई जल्दबाजी नहीं की जा रही है. वहीं सूत्रों की माने तो बीजेपी ने सभी 243 सीटों पर इंटरनल सर्वे भी पूरा कर लिया है और सहयोगी दलों के साथ आखिरी समय में सीट बंटवारे का फैसला करेगी. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी चिराग की लोकप्रियता, खासकर युवाओं और अनुसूचित जाति (विशेषकर पासवान समुदाय) के बीच उनके प्रभाव को अपने पक्ष में भुनाना चाहती है.

चिराग ने स्पष्ट किया है कि, उनका लक्ष्य एनडीए को मजबूत करना और 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' के नारे को साकार करना है. बीजेपी भी इस रणनीति को समर्थन दे रही है, क्योंकि चिराग का सामान्य सीटों से चुनाव लड़ने का इरादा उनकी छवि को केवल दलित नेता से आगे बढ़ाकर सभी वर्गों के नेता के रूप में स्थापित कर सकता है. यह बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे एनडीए का सामाजिक आधार और व्यापक होगा.

यही नहीं बीजेपी ने बिहार से बाहर रहने वाले करीब दो करोड़ प्रवासी मतदाताओं को जोड़ने की भी रणनीति बनाई है. खासतौर पर हरियाणा जैसे राज्यों में रहने वाले बिहारी वोटरों को टारगेट किया जा रहा है.

पार्टी ने हरियाणा के हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम, और अन्य जिलों में पार्टी की पार्टी की कुछ टीम बनाई हैं, जो इन मतदाताओं की पहचान कर उन्हें बिहार चुनाव में वोट डालने के लिए प्रेरित कर रही हैं. छठ पूजा जैसे सांस्कृतिक आयोजनों के जरिए बीजेपी इन मतदाताओं से भावनात्मक जुड़ाव भी लगातार बढ़ाती रही है.

बिहार की राजनीति में जाति एक महत्वपूर्ण कारक है, और बीजेपी ने इसे ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार की है. पार्टी ने पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग (OBC और EBC) को साधने के लिए सरकारी योजनाओं में उनकी भागीदारी बढ़ाने और संगठन में उन्हें नेतृत्व देने का फैसला किया है. 25 से अधिक जिलों में पहली बार पिछड़ा-अति पिछड़ा समाज के कार्यकर्ताओं को जिला अध्यक्ष बनाया गया है. साथ ही, कुशवाहा, धानुक, कुर्मी, और वैश्य समुदायों को टारगेट करते हुए टिकट वितरण में भी इन जातियों को प्राथमिकता दी जा रही है.

वहीं, यदि देखा जाए तो जातीय जनगणना को लेकर भी बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना के फैसले को बीजेपी अपनी रणनीति का हिस्सा मान रही है. यह कदम विपक्ष के 'संविधान विरोधी' नैरेटिव को कमजोर करने और नए जातीय समूहों को अपने पक्ष में लाने के लिए उठाया गया है.

इसके अलावा बीजेपी अपनी परंपरागत हिंदुत्व की विचारधारा को भी मजबूत कर रही है. 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे अभियानों के जरिए पार्टी ने हिंदू मतदाताओं में सकारात्मक माहौल बनाया है. इसके साथ ही, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की वैचारिक मशीनरी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का लाभ उठाने की रणनीति बनाई गई है. संघ प्रमुख लगातार बिहार में कई बार प्रवास कर चुके हैं और वर्तमान में भी वहीं है.

वैसे तो भाजपा यह स्पष्ट कर चुकी है कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. मगर सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर अभी कोई जल्दबाजी नहीं की जा रही है. बीजेपी ने सभी 243 सीटों पर सर्वे पूरा कर लिया है और सहयोगी दलों के साथ आखिरी समय में सीट बंटवारे का फैसला करेगी.

मगर सूत्रों की माने तो अगर नीतीश कुमार की लोकप्रियता में कमी या स्वास्थ्य संबंधी अटकलों के कारण एनडीए को नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत पड़ती है, तो चिराग पासवान को एक युवा और ऊर्जावान चेहरा बनाया जा सकता है.

चिराग ने यह भी संकेत दिया है कि वे 40-50 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं, जो एनडीए के मौजूदा सीट बंटवारे (जेडीयू: 102-103, बीजेपी: 101-102, लोजपा: 25-28) से कहीं ज्यादा है. यह मांग बीजेपी के लिए एक चुनौती है, लेकिन चिराग की लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी उन्हें पूरी तरह नजरअंदाज भी नहीं कर सकती.

पार्टी के एक नेता जो बिहार से हैं नाम ना लेने की शर्त पर उनका कहना है कि बिहार में भाजपा इस बार अकेले भींचा प्रदर्शन करेगीबौर बहुत कुछ चुनाव परिणाम के बाद भी तय किया जा सकता है वैसे पार्टी नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी और वहीं एनडीए के सीएम उम्मीदवार हैं.

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