नेपाल, UP और झारखंड-बंगाल से सटे बिहार के 20 जिलों में दूसरे फेज में ही वोटिंग क्यों? 2020 में हुआ था जबरदस्त मुकाबला
दूसरे फेज में बिहार के जिन इलाकों में चुनाव होंगे, वह नेपाल, यूपी, झारखंड और बंगाल से सटे हैं. ऐसे में चुनौती बड़ी है. पढ़ें..

Published : October 9, 2025 at 8:10 PM IST
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तहत पहले फेज में 6 नवंबर को 121 और दूसरे चरण में 11 नवंबर 122 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. दूसरे चरण में राज्य के उन 20 जिलों में मतदान होगा, सीमावर्ती हैं. ये जिले तीन राज्यों और नेपाल से सटे हैं. इन क्षेत्रों में परंपरागत रूप से एनडीए और महागठबंधन का प्रभाव रहा है.
दूसरे चरण में 20 जिलों में मतदान: दूसरे चरण में 20 जिलों में वोटिंग होगी. जिन जिलों में वोटिंग होगी, उनमें पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर शामिल हैं.

दूसरे फेज का रणनीतिक महत्व: 20 जिलों की 122 विधानसभा सीटें बिहार के दक्षिण और पश्चिमी हिस्से में फैली हुई हैं. इस चरण की वोटिंग का महत्व इसलिए भी ज्यादा हो गया है, क्योंकि इस चरण में बिहार के 7 जिले नेपाल से, 8 जिला झारखंड से, 3 जिला पश्चिम बंगाल से और 8 जिला उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है.
122 में 66 पर एनडीए का कब्जा: दूसरे चरण में जिन 122 सीटों पर चुनाव होना है, उनमें 66 सीटों पर 2020 के चुनाव में एनडीए की जीत हुई थी. चुनाव के बाद बसपा से जीते जमा खान और निर्दलीय सुमित सिंह ने एनडीए को समर्थन दे दिया. इस तरह देखा जाए तो 68 सीटों पर एनडीए की पकड़ मजबूत हुई.

महागठबंधन के किले में ओवैसी ने लगाई सेंध: 2020 विधानसभा चुनाव में इन 122 सीटों में 50 पर महागठबंधन को सफलता मिली थी. वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 5 सीटों पर जीत हासिल की. हालांकि बाद में 4 विधायकों ने आरजेडी की सदस्यता ग्रहण कर ली.
2020 में कांटे का मुकाबला: 122 सीटों में से एनडीए को 66 सीटों पर और महागठबंधन को 50 सीटों जीत मिली थी, जबकि अन्य दलों को 6 सीट पर जीत मिली थी. कई जिलों में बीजेपी और जेडीयू का प्रदर्शन शानदार रहा था. हालांकि किशनगंज, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर में एनडीए का खाता तक नहीं खुल पाया.

नेपाल से सटे जिले में एनडीए मजबूत: विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बिहार के साथ ऐसे जिले हैं, जो नेपाल की सीमा से सटे हुए हैं. इनमें पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज शामिल हैं. विधानसभा सीटों के हिसाब से यदि देखें तो पश्चिम चंपारण में 9, पूर्वी चंपारण में 12, सीतामढ़ी में 8, मधुबनी में 10, अररिया में 6, किशनगंज में 4 और सुपौल में 5 विधानसभा की सीट है. इन सात जिलों में विधानसभा की 54 सीट हैं. 2020 चुनाव एनडीए ने 40 सीटों पर जीत हासिल की थी.

पश्चिम चंपारण में 9 सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 8 सीट वाल्मीकिनगर, रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, लौरिया, नौतन, चनपटिया और बेतिया में जीत हासिल की थी, जबकि सीपीआई माले ने सिकटा सीट पर कब्जा जमाया था.
पूर्वी चंपारण में 12 सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खाते में 8 सीटें रक्सौल, हरसिद्धि, गोविंदगंज, पिपरा, मधुबन, मोतिहारी, चिरैया और ढाका आईं, जबकि जेडीयू ने केसरिया पर झंडा गाड़ा. वहीं, आरजेडी ने 3 सीटें कल्याणपुर, सुगौली और नरकटिया पर जीत हासिल की.
शिवहर में एक सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में शिवहर की एकमात्र सीट पर राष्ट्रीय जनता दल को सफलता मिली थी. हालांकि पिछले साल उनके विधायक ने पाला बदल लिया और जेडीयू का दामन थाम लिया.

सीतामढ़ी में 8 सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में सीतामढ़ी जिले की रीगा, बथनाहा, परिहार और सीतामढ़ी सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी, जबकि सुरसंड और रुन्नीसैदपुर सीट जेडीयू की झोली में गई थी. वहीं, बाजपट्टी और बेलसंड में आरजेडी को सफलता मिली थी.
मधुबनी में 10 सीटें: 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 5 सीट बेनीपट्टी, खजौली, बिस्फी, राजनगर और झंझारपुर में परचम लहराया था, जबकि जेडीयू को 3 सीट हरलाखी, बाबूबरही और फुलपरास में सफलता मिली. वहीं, मधुबनी और लोकहा में आरजेडी को जीत मिली.
सुपौल में 5 सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 4 सीटें निर्मली, पिपरा, सुपौल, और त्रिवेणीगंज में जीत हासिल की, जबकि बीजेपी को छातापुर सीट पर सफलता मिली. आरजेडी का खाता नहीं खुला.

अररिया में 6 सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में अररिया जिले की 3 सीट नरपतगंज, फारबिसगंज और सिकटी में बीजेपी जीती थी, जबकि रानीगंज पर जेडीयू को सफलता मिली. वहीं अररिया सीट पर कांग्रेस और जोकीहाट में एआईएमआईएम को कामयाबी मिली.
किशनगंज में 4 सीट: आरजेडी ने 2020 में ठाकुरगंज और कांग्रेस ने किशनगंज सीट पर जीत हासिल की. वहीं कोचाधामन और बहादुरगंज विधानसभा सीट पर एआईएमआईएम ने कब्जा जमाया.
पूर्णिया में 7 सीटें: 2020 में बीजेपी ने बनमनखी और पूर्णिया में जीत हासिल की, जबकि जेडीयू के हिस्से में रुपौली और धमदाहा सीट आई. वहीं कांग्रेस ने कसबा सीट पर कब्जा जमाया. एआईएमआईएम के हिस्से में अमौर और बायसी सीट आई.

कटिहार में 7 सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 3 सीटें कटिहार, प्राणपुर और कोढ़ा में सफलता मिली. जेडीयू को बरारी पर जीत मिली. कांग्रेस के हिस्से में कदवा और मनिहारी सीटें आईं. वहीं बलरामपुर सीट पर सीपीआई माले ने कब्जा जमाया था.
भागलपुर में 7 सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 3 सीट बिहपुर, पीरपैंती और कहलगांव में जीत हासिल की थी. गोपालपुर और सुल्तानगंज सीट पर जेडीयू को सफलता मिली. कांग्रेस ने भागलपुर और आरजेडी ने नाथनगर पर कब्जा जमाया.
बांका में 5 सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बांका सदर और कटोरिया पर जीत हासिल की, जबकि जेडीयू ने अमरपुर और बेलहर पर जमाया. वहीं धोरैया सीट आरजेडी के कब्जे में आई.

जमुई में 4 सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जमुई सीट पर जीत हासिल की थी. वहीं झाझा सीट पर जेडीयू और सिकंदरा सीट पर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने कब्जा जमाया. चकाई सीट पर निर्दलीय कैंडिडेट ने झंडा फहराया.
नवादा में 5 सीट: 2020 में बीजेपी ने वारसलीगंज और कांग्रेस ने हिसुआ विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी. वहीं, आरजेडी ने तीन सीट रजौली, नवादा और गोविंदपुर पर कब्जा जमाया था.
गया में 10 सीट: बीजेपी ने 2 सीट गया टाउन और वजीरगंज में परचम लहराया था. हम पार्टी ने इमामगंज, बाराचट्टी और टिकारी पर जीत हासिल की. वहीं आरजेडी ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया था. इनमें शेरघाटी, गुरुवा, बोधगया, बेलागंज और अत्री शामिल है.
जहानाबाद में 3 सीट: 2020 में आरजेडी ने जहानाबाद और मखदुमपुर सीट पर जीत हासिल की थी. वहीं घोसी में सीपीआई माले को सफलता मिली. एनडीए का खाता नहीं खुला.
अरवल में 2 सीट: आरजेडी ने कुर्था और सीपीआई माले ने अरवल सीट पर कब्जा जमाया था. अरवल में भी एनडीए का खाता नहीं खुला.
औरंगाबाद में 6 सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने गोह, ओबरा, नबीनगर, रफीगंज सीट पर जीत हासिल की. वहीं बाकी दो सीटें कुटुंबा और औरंगाबाद कांग्रेस की झोली में गई.

रोहतास में 7 सीट: आरजेडी ने 2020 चुनाव में 4 सीट दिनारा, सासाराम, नोखा और डेहरी में कामयाबी का झंडा गाड़ा. कांग्रेस के हिस्से में चेनारी और करगहर सीटें आईं, जबकि काराकाट में सीपीआई माले को जीत मिली.
कैमूर में 4 सीट: 2020 विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने रामगढ़, मोहनिया और भभुआ में जीत हासिल की. वहीं चैनपुर में बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली. हालांकि बाद में बीएसपी विधायक जेडीयू में शामिल हो गए.
क्या कहते हैं जानकार?: वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय कहते हैं कि 1985 के बाद पहली बार बिहार में दो चरणों में चुनाव हो रहा है. दो चरणों में चुनाव होना यह संकेत देता है कि बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति अब नियंत्रण में है. जहां तक दूसरे चरण के चुनाव की बात है तो बिहार के लगभग सभी सीमावर्ती जिलों में दूसरे चरण में ही चुनाव है.
वे कहते हैं कि SIR के बाद पहली बार सीमांचल के इलाकों में वोटिंग होगी, जहां पर हमेशा इस बात को लेकर बहस होती रहती है कि बांग्लादेशी और बाहर के अवैध घुसपैठिये इस इलाके में आकर बस गए हैं. हालांकि वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण में इस इलाके में लाखों की संख्या में लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं.
अरुण पांडेय कहते हैं कि जहां तक नेपाल सीमा की बात है तो यह भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा है. आम धारणा है कि बिहार के किसी भी भाग में कोई अपराध होता है तो अपराधी आसानी से नेपाल भाग जाता है. दूसरे चरण में चुनाव सीमावर्ती इलाके में होने से यह होगा कि बॉर्डर इलाके में केंद्रीय सुरक्षा बलों की अधिक मात्रा में तैनाती हो सकती है. जिस कारण न केवल दूसरे चरण के चुनाव पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि पहले चरण के चुनाव में भी सुरक्षा वालों की मुस्तादी के कारण आमतौर पर अवैध हथियारों का जो तस्करी बाहर के इलाकों से होता है, उस पर रोक लगेगी.
"दूसरे चरण में जिन 122 सीटों पर चुनाव हो रहा है, उसमें दो ऐसे इलाके हैं जो बीजेपी या यूं कहें एनडीए का मजबूत गढ़ है. एक पूरा चंपारण का इलाका और दूसरा मिथिलांचल का इलाका है. यह दोनों इलाका नेपाल से सटा हुआ है. इस बार के चुनाव में दोनों गठबंधन के बीच प्रशांत किशोर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए उस इलाके में लगातार दौरा करते रहे हैं. इसलिए इस बार का चुनाव दूसरे चरण में बड़ा ही दिलचस्प होने जा रहा है."- अरुण पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
सीमावर्ती जिलों में प्रमुख मुद्दे: वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि नेपाल और झारखंड की सीमा से सटे जिले जैसे औरंगाबाद, गया, कैमूर, रोहतास कभी नक्सल प्रभावित रहे हैं. इन इलाकों में विकास मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. सिंचाई की कमी और सूखे जैसी समस्याएं किसानों को प्रभावित करती हैं. कृषि उपज का उचित मूल्य न मिलना भी एक बड़ी चिंता का विषय है. झारखंड सीमा से लगे जिलों में अवैध खनन एक बड़ा मुद्दा है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि अवैध खनन माफिया पर राजनीतिक संरक्षण है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है और स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा.
"दूसरे चरण में हो रहे मतदान में बिहार के सीमावर्ती जिलों को रखा गया है. जो उत्तर प्रदेश, नेपाल, बंगाल और झारखंड से जुड़ा हुआ है. इन इलाकों में रोजगार और पलायन सबसे बड़ा मुद्दा है. झारखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे जिलों से बड़ी संख्या में युवा रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं. स्थानीय स्तर पर उद्योगों और रोजगार के अवसरों का अभाव एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बना हुआ है."- सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
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