कौन हैं 16 बार चुनाव लड़ने वाले बिहार के नबी हसन, मां जीती.. बेटा हारा
मुजफ्फरपुर के डॉ. मोहम्मद नबी हसन 17वीं बार चुनाव लड़ने को तैयार हैं. पंच से लेकर लोकसभा तक का चुनाव लड़ चुके हैं. पढ़ें

Published : October 8, 2025 at 5:03 PM IST
मुजफ्फरपुर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा के साथ ही राजनीति के कई पुराने चेहरे फिर से सुर्खियों में हैं. इन्हीं में एक नाम मुजफ्फरपुर जिले के साहेबगंज निवासी डॉ. मोहम्मद नबी हसन (45) का है. ये वही शख्स हैं जो अब तक 16 बार चुनाव लड़ चुके हैं और 17वीं बार अपनी किस्मत आजमाने की तैयारी में हैं.
17वीं बार चुनाव लड़ने की तैयारी में नबी: पंच से लेकर लोकसभा तक का चुनाव लड़ चुके डॉ. मोहम्मद नबी हसन पेशे से इंटीरियर डेकोरेटर हैं और उनका कारोबार कोलकाता में चलता है. सिर्फ तीन बार ही जमानत बच पाई है, लेकिन हार के बावजूद उनका जुनून बरकरार है. उन्होंने दो बार अपनी ही मां के खिलाफ भी चुनाव लड़ा है.
'धरती पकड़' के रूप में पहचान: नबी हसन का सफर बहुत हद तक धरती पकड़ के नाम से मशहूर काका जोगिंदर सिंह के जैसा है, जिन्होंने 1962 से लेकर 1998 तक का हर चुनाव लड़ा था. फिर चाहे वो पार्षद का हो या राष्ट्रपति का. तमिलनाडु के पद्मराजन भी इसी राह पर चल चुके हैं, जो अबतक रिकॉर्ड 238 बार चुनाव लड़ चुके हैं.
2006 के चुनाव में जीत: नबी हसन दो बार अपनी ही मां के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. फिर भी परिवार में राजनीतिक मतभेद को कभी कटुता में नहीं बदलने दिया. डॉ. नबी हसन ने अपना पहला चुनाव 2006 में पंच पद से लड़ा था. उस वक्त उन्होंने अपने समर्थकों के कहने पर नामांकन दाखिल किया और पहली ही बार में जीत हासिल कर पंच बने. यह जीत उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत थी.
2 बार मां से मुकाबला: इसके बाद 2008 में उन्होंने नगर पंचायत बानगियां वार्ड नंबर 5 से चुनाव लड़ा, जबकि उनकी मां जयबुन्नी साह ने वार्ड नंबर 12 से मैदान संभाला था. नतीजा दोनों ही उम्मीदवार रनरअप रहे, लेकिन नबी हसन के भीतर राजनीति का जोश और बढ़ गया. 2010 में नबी हसन ने पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा, हालांकि इसमें उन्हें जीत नहीं मिली.

मां की जीत, बेटे की हार: फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और 2013 में नगरपालिका के पार्षद पद से चुनाव लड़ा. इस बार भी दिलचस्प मुकाबला हुआ. वे वार्ड 5 से लड़े और उनकी मां वार्ड 12 से लड़ीं. नतीजा मां जीत गईं और बेटा हार गया.
2013 में उन्होंने एमएलसी चुनाव के लिए भी प्रयास किया, लेकिन नामांकन प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई. फिर 2014 में उन्होंने वैशाली लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उन्हें 22,455 वोट मिले, जो बिना किसी पार्टी समर्थन के एक उल्लेखनीय प्रदर्शन था.
2018 में मां ने राजनीति से लिया संन्यास: 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जनता के बीच सर्वे कराया और पाया कि फीडबैक मजबूत नहीं है, इसलिए उस बार मैदान में नहीं उतरे. 2018 में जब उनकी मां ने राजनीति से संन्यास लिया, तब नबी हसन ने नगर पंचायत साहेबगंज से चुनाव लड़ा और पार्षद पद पर जीत दर्ज की.
"मैंने जनता के बीच जाकर विकास कार्यों पर ध्यान दिया और जनसेवा को अपनी प्राथमिकता बताया. 2020 में फिर साहेबगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद नगर पंचायत को नगर परिषद का दर्जा मिलने के बाद घर वार्ड नंबर 16 में आ गया. 2022 में वार्ड सभापति पद के लिए नामांकन किया, लेकिन गिनती से पहले चुनाव रद्द हो गया."- डॉ. मोहम्मद नबी हसन, 16 बार चुनाव लड़ चुके पूर्व प्रत्याशी

सर्वे के बाद निर्णय: अब जब बिहार विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो चुकी है, नबी हसन एक बार फिर चुनावी मूड में हैं. उन्होंने अपनी टीम को साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र में सर्वे के लिए भेजा है. उनका कहना है कि अगर जनता का फीडबैक अच्छा रहा, तो इस बार 17वीं बार चुनाव लड़ूंगा. राजनीति मेरे लिए सेवा का माध्यम है, हार नहीं.

साहेबगंज सीट से राजू सिंह विधायक: बिहार में दो चरणों 6 नवंबर और 11 नवंबर को चुनाव होंगे. यहां 14 नवंबर को काउंटिंग होगी. साहेबगंज सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है. मुजफ्फरपुर में पहले चरण में वोटिंग होगी. 2020 के चुनाव में वीआईपी के राजू कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी. आरजेडी के रामविचार राय की हार हुई थी.
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