
दरभंगा में सिक्सर लगाएंगे संजय सरावगी या महागठबंधन के सिर सजेगा ताज, जानें सियासी समीकरण
दरभंगा सीट पर 17 बार चुनाव हुए. 8 बार भाजपा और जनसंघ, 6 बार कांग्रेस, एक-एक बार सीपीआई, जनता दल, राजद ने जीत दर्ज की.

Published : October 1, 2025 at 2:19 PM IST
दरभंगा: बिहार की दरभंगा सीट पर बीजेपी का वर्चस्व रहा है. सबसे अधिक 5 बार बीजेपी ने अपना झंडा गाड़ा है. पिछले पांच विधानसभा चुनावों से बीजेपी के नेता संजय सरावगी लगातार विधायक बनते चले आ रहे हैं. भले ही नेताओं और क्षेत्रवाद की राजनीतिक करने वालों ने मिथिला को अपने स्वार्थ के लिए मिथिलांचल सीमांचल और कोसी में बांट दिया, लेकिन इतिहास गवाह है कि जिस दल और गठबंधन के पक्ष में मिथिला ने साथ दिया है उसी ने केंद्र और प्रदेश में गद्दी संभाली है.
दरभंगा सीट पर बीजेपी का कब्जा: दरभंगा शहरी विधासनभा सीट हमेशा से मिथिलांचल का हॉट सीट माना जाता है. यहां हमेशा कांटे की टक्कर देखने को मिलती है. पिछले दो दशक से ज्यादा से भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है और इस सीट पर पिछले पांच बार से लगातार विधायक एंव बिहार सरकार में मंत्री संजय सरावगी अपना दबदबा बनाए हुए हैं.

पांच बार जीत चुके हैं संजय सरावगी: हालांकि, 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को फिर से सीधे टक्कर की उम्मीद है. वैसे जन सुराज भी अपने कुनबा को मजबूत करने में लगातार जुटा है. मिथिलांचल की राजनीति का केंद्र बिंदु माने जाने वाले दरभंगा विधानसभा क्षेत्र में साल 2000 के चुनाव तक सियासी उथल-पुथल का दौर रहा. लेकिन इसके बाद के चुनावों में यहां लगातार कमल खिलते रहा है.
जन सुराज की एंट्री से फाइट टफ!: पिछले दो दशक से यहां भाजपा के संजय सरावगी जीत रहे हैं. इस दौरान उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी राजद ने उनकी घेरेबंदी के लिए हर बार प्रत्याशी बदला, पर सफलता नहीं मिली. सरागवी इस सीट से सर्वाधिक पांच बार जीतने वाले विधायक हैं. इस बार 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को दोहरी चुनौती का सामना करना होगा. भाजपा के मजबूत गढ़ में छक्का लगाने की तैयारी कर रहे भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री संजय सरावगी को घेरने के लिए राजद के साथ-साथ कांग्रेस वीआईपी और जनसुराज ने जोर लगाया है.
क्या आरजेडी लगा पाएगी सेंध: वहीं यदि बात करें तो दरभंगा प्रमंडल के तीन जिले दरभंगा मधुबनी और समस्तीपुर की 30 विधानसभा सीटों में से 22 पर एनडीए और आठ पर महागठबंधन का कब्जा है. दरभंगा जिले की 10 विधानसभा सीट में से एक दरभंगा शहरी सीट हॉट सीट मानी जाती है. एनडीए से संजय सरावगी का टिकट लगभग सुरक्षित माना जा रहा है. वहीं महागठबंधन से अभी तक कोई उम्मीदवार फाइनल नहीं हुआ है, जिसके कारण कई नए और कई पुराने लोग टिकट के रेस में बने हुए हैं.
तालाबों की नगरी में पानी की किल्लत: 2020 के विधानसभा चुनाव में महामहागठबंधन से अमरनाथ ग्रामी उम्मीदवार थे. वह पुनः भाजपा में लौट आए हैं. वहीं शहर के मतदाताओं की मानें तो अतिक्रमण और जाम की समस्या यहां के लोगों के लिए अभिशाप बना हुआ है. वहीं पिछले कुछ वर्षों में पीने की पानी कि किल्लत ने यहां एक सवाल खड़ा किया है कि आखिर तालाबों की नगरी होने वाले शहर से तालाब गायब है.

कितना हुआ विकास?: लोगों का कहना है कि तालाबों पर आलीशान महल और बाजार बन गए हैं. उससे कब निजात सरकार दिलायेगी. वहीं पिछले दो दशक से एक पार्टी विशेष की जीत के बावजूद यहां ज्यों का त्यों स्थिति बने रहने के कारण लोगों का यह भी मानना है वही चेहरे वही परिवार और वहीं जमीन लेकिन समस्या कम नहीं हो रही है.
1951 में अस्तित्व में आई सीट: दरभंगा विधानसभा सीट साल 1951 में अस्तित्व में आई थी. तब इसका नाम दरभंगा सेंट्रल था. 1967 के बाद इसका नाम दरभंगा हो गया. हालांकि बोलचाल की भाषा में लोग इसे दरभंगा शहरी विधानसभा भी कहते हैं. यहां हुए कुल 17 चुनावों में 8 बार भाजपा एवं जनसंघ, 6 बार कांग्रेस, एक बार सीपीआई, एक बार जनता दल और एक बार राजद ने जीत दर्ज की है.
1985 के बाद यहां कांग्रेस वापसी नहीं कर सकी. 1952 से 1969 तक कांग्रेस के शेख सईदुल हक एवं रामेश्वर प्रसाद सिन्हा यहां से जीते. 1969 में मारवाड़ी समाज के लोकप्रिय सीपीआई नेता रामाबल्लभ जालान ने भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी सुरेंद्र झा सुमन को पराजित किया. 1972 के चुनाव में जनसंघ ने पहली बार जीत दर्ज की. यहां 1985 में आखिरी बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अशफाक अंसारी जीते थे. इस सीट पर 2005 से आज तक लगातार 5 बार संजय सरावगी जीत दर्ज कर चुके हैं.
दरभंगा की पहचान राज परिवार से रही है. दरभंगा राज परिवार का शिक्षा, संस्कृति और उद्योग के क्षेत्र में योगदान रहा है. दरभंगा ध्रुपद संगीत का एक प्रमुख केंद्र भी रहा है. साथ ही यहां दो विश्वविद्यालय हैं. दरभंगा शहर स्थित श्यामा मंदिर अस्था का प्रमुख केंद्र है. एयरपोर्ट चालू होने से यहां हवाई संपर्कता बढ़ी है.
ये हैं क्षेत्र के बड़े मुद्दे: बारिश के दिनों में शहर के विभिन्न इलाकों में होनेवाला जलजमाव इस बार विधानसभा चुनाव में मुद्दा बन सकता है. हालांकि शहर में स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम के तहत नाला निर्माण का काम चल रहा है, पर इससे शहर के अधिकतर लोग संतुष्ट नहीं हैं. वे इसमें गड़बड़ी की बात कह रहे हैं और बारिश होने के बाद पानी जम जाने से लोग परेशान नजर आ रहें है.
महागठबंधन और जन सुराज लगा रहे जोर: दरभंगा में राजद और कांग्रेस कार्यकर्ता एनडीए सरकार के खिलाफ काफी मुखर हैं. हाल ही में राहुल गांधी ने भी यहां आकर प्रदर्शन किया था. उधर, जन सुराज पार्टी ने भी दरभंगा में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर यहां पदयात्रा और संवाद कर चुके हैं.

दरभंगा विधानसभा सीट एक नजर में: दरभंगा विधानसभा में कुल 3,24,144 मतदाता हैं. इनमें 1,68,861 पुरुष और 155,272 महिला वोटर हैं. इसके अलावा 11 थर्ड जेंडर मतदाता हैं. इस विधानसभा के पूरब में दरभंगा ग्रामीण, पश्चिम में बहादुरपुर एवं केवटी, उत्तर में केवटी और दक्षिण में बहादुरपुर पड़ता है.
पांच साल में हुये काम: दरभंगा जंक्शन से एकमी वाया दोनार, कर्पूरी चौक एलिवेटेड कॉरिडोर की वित्तीय स्वीकृति, नगर के तीनों प्रमुख तालाबों हराही, दिग्घी तथा गंगासागर के एकीकरण व सौंदर्यीकरण की स्वीकृति, 270 करोड़ की लागत से नगर में आठ पंपिंग स्टेशनों के साथ स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज का निर्माण, करीब 10 करोड़ की लागत से विद्युत शवदाहगृह सह मुक्तिधाम का निर्माण, जाम से मुक्ति दिलाने के लिए छह आरओबी का निर्माण कार्य प्रगति पर.
वायदे जो पूरे नहीं हुए: सबसे बड़ा और अहम मुद्दा जाम की समस्या है. बीते 15 सालों में पीएचईडी की ओर से पेयजल की आपूर्ति के लिए पाइप नहीं बिछाई जा सकी है. डीएमसीएच परिसर स्थित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में इनडोर सेवा शुरू नहीं हुई है. शहर में विभिन्न जगहों पर रखी दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण का काम शुरू नहीं हो पाया है. दरभंगा-लहेरियासराय वीआईपी सड़क समेत शहर की सड़कों से अतिक्रमण नहीं हट सका और शहर के निचले इलाकों में हो रहे जलजमाव की समस्या को दूर नहीं किया जा सका है.
क्या इस बार बीजेपी बदलेगी उम्मीदवार: वैसे इस बार भाजपा अपना उम्मीदवार बदलती है तो नगर निगम के बालेन्दु झा का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है. उसके पीछे लोगों का कहना है कि ये जनसंघ के समय से इनका परिवार सदस्य है. वहीं ये पूर्व में भाजपा के युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं और नगर निगम के डिप्टी मेयर के चुनाव में महिला सीट होने के कारण इनकी पत्नी चुनाव लड़ी थी जो लगभग 28 हजार वोट प्राप्त हुआ था. भाजपा के आंतरिक लड़ाई में चुनाव हार गई थी.
दरभंगा से विधायक सह मंत्री संजय सरावगी का दावा है कि 1868 करोड़ से दरभंगा जंक्शन से एकमी तक एलिवेटेड कॉरिडोर तथा नगर के तीनों प्रमुख तालाबों हराही, दिग्घी तथा गंगासागर के एकीकरण एवं सौंदर्यीकरण की स्वीकृति दिलाई गई.
"8 पंपिंग स्टेशनों के साथ स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज का निर्माण कार्य प्रगति पर है. बिहार का पहला विद्युत शवदाह गृह भी बन रहा है. 164.31 करोड़ से अत्याधुनिक तारामंडल बनाया गया है. जाम से मुक्ति के लिए 6 आरओबी का निर्माण कार्य प्रगति पर है."-संजय सरावगी,विधायक सह मंत्री
राजद के संभावित उम्मीदवार राकेश नायक का आरोप है कि संजय सरावगी ने पिछले पांच साल के कार्यकाल में केवल खुद का विकास किया है. पूरे शहर की स्थिति नारकीय हो गई है. न सड़क का पता है और न ही नाले का.
"जलजमाव और ट्रैफिक जाम से पूरा शहर अस्त-व्यस्त हो गया है. पिछले 5 साल में उन्होंने इन समस्याओं के समाधान की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है."- राकेश नायक,राजद के संभावित उम्मीदवार
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