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बिहार के इस 'दानवीर' ने बचाई गुजरात के 6 लोगों की जान, मरने से पहले किया लिवर, हार्ट, किडनी और आंखें दान - BIHAR CHAMAK LAL YADAV

बिहार के चमकलाल ने देहदान कर गुजरात के 6 लोगों की जिंदगी बचाई है. मरने से पहले लिवर, हार्ट, किडनी और आंखें दान कर दिया.

BIHAR CHAMAK LAL YADAV
चमक लाल यादव ने गुजरात में किया देहदान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : April 10, 2025 at 5:35 PM IST

Updated : April 10, 2025 at 6:18 PM IST

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भागलपुर: दानवीर कर्ण की धरती अंग प्रदेश एक बार फिर देशभर में अंगदान के लिए चर्चा में है. भागलपुर के रहने वाले चमकलाल यादव ने गुजरात के छह लोगों की जान बचाकर मानवता की मिसाल पेश की है. उन्होंने मरने से पहले अपने शरीर के कई अंग दान कर दिए. परिवार के लोग उनके जाने से दुखी तो हैं लेकिन साथ में गर्व भी महसूस कर रहे हैं. पत्नी कहती हैं, 'मेरे पति के कारण कई लोगों की जिंदगी फिर से वापस लौटी है, इस बात की खुशी है. सभी लोगों को ऐसा ही करना चाहिए.'

6 जिंदगी को चमका गए चमकलाल: अंगदान करने वाले चमकलाल यादव भागलपुर जिले के कहलगांव के रमजानीपुर पंचायत के बभनगामा कलगीगंज के निवासी थे. वह गुजरात के सूरत में लगभग 15 सालों से उन्नत इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड में क्रेन ऑपरेटर के रूप में काम करते थे. ड्यूटी के दौरान 25 मार्च को क्रेन से गिरने के कारण वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें सूरत में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां 1 अप्रैल को डॉक्टरों ने उनको 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया.

चमक लाल यादव ने बचाई 6 जानें (ETV Bharat)

कौन-कौन सा अंग दान किया?: ब्रेन डेड होने के बाद अंगदान से जुड़ी संस्था डोनेट लाइफ के प्रतिनिधियों ने चमक लाल के परिजनों से मुलाकात कर उनसे अंगदान की अपील की. परिजनों ने थोड़ा वक्त लिया और आपस में बातचीत कर 2 अप्रैल की सुबह अंगदान पर सहमति दे दी. इसके बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बॉडी को दो घंटे में सूरत से अहमदाबाद लाया गया. जहां लिवर, हार्ट, दोनों किडनी और दोनों आंखें दान कर दी गई. उनकी वजह से छह लोगों की जिंदगी बच गई.

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ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 2 घंटे में सूरत से अहमदाबाद लाई गई बॉडी (ETV Bharat)

"चाचा को 25 मार्च को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हमलोग 28 मार्च को गुजरात पहुंचे तो देखा कि चाचा वेंटिलेटर पर हैं. डॉक्टर ने बताया कि उनका ब्रेन डेड है और अब उन्हें बचाया नहीं जा सकता है. देहदान करने वाली एक संस्था के प्रतिनिधि ने अंगदान के लिए प्रेरित किया. घर में लोगों से बातचीत कर निर्णय लिया कि अब तो चाचा बचेंगे नहीं तो उनके शरीर के कुछ हिस्से को दानकर अन्य लोगों की जिंदगी बचा ली जाए. बहुत ही गर्व महसूस हो रहा है कि हमने जो कार्य किया है, इससे 6 लोगों की जिंदगी बचेगी."- राजेश यादव, चमकलाल के भतीजे

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चमक लाल यादव ने बचाई 6 लोगों की जानें (ETV Bharat)

पति के अंग से दूसरों की जान बची: चमकलाल यादव की पत्नी ललिता देवी ने बताया कि वह 8 अप्रैल को वह (चमन लाल) गांव के ही कैलाश साह के साथ घर आने वाले थे. दोनों का टिकट सूरत-भागलपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस के थर्ड एसी में बना था. करीब डेढ़ साल बाद वह घर आने वाले थे लेकिन वह जिंदा नहीं, मौत के बाद वापस लौटे. ललिता ने बताया कि हम लोगों को फोन पर बताया गया कि क्रेन से गिरने की वजह से वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए हैं. इसके बाद हम लोग वहां से गुजरात पहुंचे तो अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने बताया कि उनका ब्रेन डेड कर गया है और अब बचने की कोई उम्मीद नहीं है. अंगदान के लिए जब संस्था ने कहा तो हमलोग इसके लिए राजी हो गए.

"गुजरात से फोन पर बताया गया कि मेरे पति अस्पताल में भर्ती है. अस्पताल पहुंचे तो देखे कि पति की हालत खराब है. डॉक्टर ने बताया ब्रेन डेड हो चुका है, फिर दान करने वाली संस्था के लोगों ने हमसे से संपर्क किया और अंगदान की प्रक्रिया पूर्ण की. इस बात का सुकून है कि हमारे पति के विभिन्न अंगों से कई लोगों की जिंदगी फिर से वापस लौटी है. हम तो सभी लोगों से अपील करेंगे कि अंगदान जरूर करें."- ललिता देवी, अंगदान करने वाले चमकलाल की पत्नी

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चमक लाल के बेटे और पत्नी (ETV Bharat)

'पिता की वजह से गर्व महसूस हो रहा': अंगदान करने वाले चमकलाल के बड़े बेटे नीतीश कुमार ने बताया कि वे भागलपुर टीएनबी कॉलेज से फिजिक्स ऑनर्स की पढ़ाई कर रहे हैं. जिस दिन पिता का अंतिम संस्कार किया, उसके ठीक दूसरे दिन फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा थी. मन काफी विचलित था फिर भी हमने परीक्षा दिया है. उसने कहा कि पिता का सपना है कि हम लोग पढ़-लिखकर अच्छा आदमी बनें, उनका ये सपना जरूर पूरा करेंगे. वह भी देहदान के फैसले से गौरवान्वित महसूस कर रहा है.

"अंगदान करना मानव सेवा है. हर किसी को अंगदान करना चाहिए. अंगदान करने से कई लोगों की जिंदगी बदल जाती है. मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि हमने अपने पिताजी के शरीर के कुछ हिस्सों को दान किया है और उससे कई लोगों की जिंदगी बदली है."- नीतीश कुमार, चमक लाल के बड़े बेटे

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चमक लाल यादव का परिवार (ETV Bharat)

क्या कहते हैं बेटे?: चमक लाल के दूसरे नंबर के पुत्र संजीव ने कहा कि अच्छा लग रहा है कि पिताजी के विभिन्न अंगों से कई लोगों के जिंदगी बचाई गई है. वह कहता है, 'वैसे लोगों से जरूर मिलना चाहेंगे जिसके शरीर में हमारे पिताजी के अंग को लगाया गया है.' वहीं, 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले चमक लाल के सबसे छोटे पुत्र जयकांत ने कहा, 'पिताजी भले ही अब हमलोगों के बीच नहीं हैं लेकिन उनका कई अंग आज भी छह लोगों के शरीर में है, जिससे उनकी जिंदगी बची है.'

दधीचि देह दान समिति से मिली मदद: पटना की दधीचि देह दान समिति का प्रतिनिधित्व कर रहे विमल जैन ने चमक लाल के शव को अहमदाबाद से भागलपुर वापस लाने की व्यवस्था की. शव को हवाई जहाज से पहले पटना लाया गया, फिर एम्बुलेंस के जरिए भागलपुर स्थित चमक लाल के पैतृक घर तक पहुंचा. जहां परिवार वालों ने हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की. प्रताप यादव के बेटे चमक लाल अपने 6 भाइयों में सबसे छोटे थे.

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चमक लाल यादव का घर (ETV Bharat)

बेटों की पढ़ाई का लिया जिम्मा: चमक लाल की मौत के बाद उन्नत इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड सूरत ने उनके परिवार को 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद की है. वहीं, अंगदान संस्था डोनेट लाइफ ने चमक लाल के तीन बेटों की पढ़ाई का जिम्मा लिया है. बड़ा बेटे नीतीश टीएनबी कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष का छात्र है. दूसरा बेटा संजीव 10वीं और तीसरा बेटा जयकांत 9वीं कक्षा का छात्र है.

ये भी पढ़ें: देश में अंगदान के प्रति जागरुकता की कमी, जानें जीवित रहते और मरने के बाद किन अंगों का हो सकता हैं डोनेशन - World Organ Donation Day

भागलपुर: दानवीर कर्ण की धरती अंग प्रदेश एक बार फिर देशभर में अंगदान के लिए चर्चा में है. भागलपुर के रहने वाले चमकलाल यादव ने गुजरात के छह लोगों की जान बचाकर मानवता की मिसाल पेश की है. उन्होंने मरने से पहले अपने शरीर के कई अंग दान कर दिए. परिवार के लोग उनके जाने से दुखी तो हैं लेकिन साथ में गर्व भी महसूस कर रहे हैं. पत्नी कहती हैं, 'मेरे पति के कारण कई लोगों की जिंदगी फिर से वापस लौटी है, इस बात की खुशी है. सभी लोगों को ऐसा ही करना चाहिए.'

6 जिंदगी को चमका गए चमकलाल: अंगदान करने वाले चमकलाल यादव भागलपुर जिले के कहलगांव के रमजानीपुर पंचायत के बभनगामा कलगीगंज के निवासी थे. वह गुजरात के सूरत में लगभग 15 सालों से उन्नत इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड में क्रेन ऑपरेटर के रूप में काम करते थे. ड्यूटी के दौरान 25 मार्च को क्रेन से गिरने के कारण वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें सूरत में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां 1 अप्रैल को डॉक्टरों ने उनको 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया.

चमक लाल यादव ने बचाई 6 जानें (ETV Bharat)

कौन-कौन सा अंग दान किया?: ब्रेन डेड होने के बाद अंगदान से जुड़ी संस्था डोनेट लाइफ के प्रतिनिधियों ने चमक लाल के परिजनों से मुलाकात कर उनसे अंगदान की अपील की. परिजनों ने थोड़ा वक्त लिया और आपस में बातचीत कर 2 अप्रैल की सुबह अंगदान पर सहमति दे दी. इसके बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर बॉडी को दो घंटे में सूरत से अहमदाबाद लाया गया. जहां लिवर, हार्ट, दोनों किडनी और दोनों आंखें दान कर दी गई. उनकी वजह से छह लोगों की जिंदगी बच गई.

BIHAR CHAMAK LAL YADAV
ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 2 घंटे में सूरत से अहमदाबाद लाई गई बॉडी (ETV Bharat)

"चाचा को 25 मार्च को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हमलोग 28 मार्च को गुजरात पहुंचे तो देखा कि चाचा वेंटिलेटर पर हैं. डॉक्टर ने बताया कि उनका ब्रेन डेड है और अब उन्हें बचाया नहीं जा सकता है. देहदान करने वाली एक संस्था के प्रतिनिधि ने अंगदान के लिए प्रेरित किया. घर में लोगों से बातचीत कर निर्णय लिया कि अब तो चाचा बचेंगे नहीं तो उनके शरीर के कुछ हिस्से को दानकर अन्य लोगों की जिंदगी बचा ली जाए. बहुत ही गर्व महसूस हो रहा है कि हमने जो कार्य किया है, इससे 6 लोगों की जिंदगी बचेगी."- राजेश यादव, चमकलाल के भतीजे

BIHAR CHAMAK LAL YADAV
चमक लाल यादव ने बचाई 6 लोगों की जानें (ETV Bharat)

पति के अंग से दूसरों की जान बची: चमकलाल यादव की पत्नी ललिता देवी ने बताया कि वह 8 अप्रैल को वह (चमन लाल) गांव के ही कैलाश साह के साथ घर आने वाले थे. दोनों का टिकट सूरत-भागलपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस के थर्ड एसी में बना था. करीब डेढ़ साल बाद वह घर आने वाले थे लेकिन वह जिंदा नहीं, मौत के बाद वापस लौटे. ललिता ने बताया कि हम लोगों को फोन पर बताया गया कि क्रेन से गिरने की वजह से वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए हैं. इसके बाद हम लोग वहां से गुजरात पहुंचे तो अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने बताया कि उनका ब्रेन डेड कर गया है और अब बचने की कोई उम्मीद नहीं है. अंगदान के लिए जब संस्था ने कहा तो हमलोग इसके लिए राजी हो गए.

"गुजरात से फोन पर बताया गया कि मेरे पति अस्पताल में भर्ती है. अस्पताल पहुंचे तो देखे कि पति की हालत खराब है. डॉक्टर ने बताया ब्रेन डेड हो चुका है, फिर दान करने वाली संस्था के लोगों ने हमसे से संपर्क किया और अंगदान की प्रक्रिया पूर्ण की. इस बात का सुकून है कि हमारे पति के विभिन्न अंगों से कई लोगों की जिंदगी फिर से वापस लौटी है. हम तो सभी लोगों से अपील करेंगे कि अंगदान जरूर करें."- ललिता देवी, अंगदान करने वाले चमकलाल की पत्नी

BIHAR CHAMAK LAL YADAV
चमक लाल के बेटे और पत्नी (ETV Bharat)

'पिता की वजह से गर्व महसूस हो रहा': अंगदान करने वाले चमकलाल के बड़े बेटे नीतीश कुमार ने बताया कि वे भागलपुर टीएनबी कॉलेज से फिजिक्स ऑनर्स की पढ़ाई कर रहे हैं. जिस दिन पिता का अंतिम संस्कार किया, उसके ठीक दूसरे दिन फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा थी. मन काफी विचलित था फिर भी हमने परीक्षा दिया है. उसने कहा कि पिता का सपना है कि हम लोग पढ़-लिखकर अच्छा आदमी बनें, उनका ये सपना जरूर पूरा करेंगे. वह भी देहदान के फैसले से गौरवान्वित महसूस कर रहा है.

"अंगदान करना मानव सेवा है. हर किसी को अंगदान करना चाहिए. अंगदान करने से कई लोगों की जिंदगी बदल जाती है. मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि हमने अपने पिताजी के शरीर के कुछ हिस्सों को दान किया है और उससे कई लोगों की जिंदगी बदली है."- नीतीश कुमार, चमक लाल के बड़े बेटे

BIHAR CHAMAK LAL YADAV
चमक लाल यादव का परिवार (ETV Bharat)

क्या कहते हैं बेटे?: चमक लाल के दूसरे नंबर के पुत्र संजीव ने कहा कि अच्छा लग रहा है कि पिताजी के विभिन्न अंगों से कई लोगों के जिंदगी बचाई गई है. वह कहता है, 'वैसे लोगों से जरूर मिलना चाहेंगे जिसके शरीर में हमारे पिताजी के अंग को लगाया गया है.' वहीं, 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले चमक लाल के सबसे छोटे पुत्र जयकांत ने कहा, 'पिताजी भले ही अब हमलोगों के बीच नहीं हैं लेकिन उनका कई अंग आज भी छह लोगों के शरीर में है, जिससे उनकी जिंदगी बची है.'

दधीचि देह दान समिति से मिली मदद: पटना की दधीचि देह दान समिति का प्रतिनिधित्व कर रहे विमल जैन ने चमक लाल के शव को अहमदाबाद से भागलपुर वापस लाने की व्यवस्था की. शव को हवाई जहाज से पहले पटना लाया गया, फिर एम्बुलेंस के जरिए भागलपुर स्थित चमक लाल के पैतृक घर तक पहुंचा. जहां परिवार वालों ने हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की. प्रताप यादव के बेटे चमक लाल अपने 6 भाइयों में सबसे छोटे थे.

BIHAR CHAMAK LAL YADAV
चमक लाल यादव का घर (ETV Bharat)

बेटों की पढ़ाई का लिया जिम्मा: चमक लाल की मौत के बाद उन्नत इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड सूरत ने उनके परिवार को 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद की है. वहीं, अंगदान संस्था डोनेट लाइफ ने चमक लाल के तीन बेटों की पढ़ाई का जिम्मा लिया है. बड़ा बेटे नीतीश टीएनबी कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष का छात्र है. दूसरा बेटा संजीव 10वीं और तीसरा बेटा जयकांत 9वीं कक्षा का छात्र है.

ये भी पढ़ें: देश में अंगदान के प्रति जागरुकता की कमी, जानें जीवित रहते और मरने के बाद किन अंगों का हो सकता हैं डोनेशन - World Organ Donation Day

Last Updated : April 10, 2025 at 6:18 PM IST
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