बेंगलुरु: ऐतिहासिक करगा महोत्सव हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा की रात को मनाया जाता है. इस बार 12 अप्रैल 2025 को कर्नाटक के बेंगुरु स्थित सिलिकन वैली में उत्सव भव्यता के साथ मनाया गया. सांस्कृतिक गौरव और गहरी आध्यात्मिक भक्ति के प्रतीक, प्रतिष्ठित मध्यरात्रि जुलूस को देखने के लिए लाखों भक्त एकत्रित हुए.
उत्सव के केंद्र में धर्मराय स्वामी मंदिर के मंदिर पुजारी ज्ञानेंद्र वह्निवंशी थे, जिन्होंने लगातार 15वें साल अपने सिर पर पुष्प करगा धारण किया. हालांकि, अप्रत्याशित बारिश के कारण महोत्सव में के जुलूस में थोड़ी देर हुई और यह लगभग डेढ़ बजे शुरू हुआ.

शंखों और ढोल की आवाज से गूंजा शहर
जुलूस में हल्दी के रंग की साड़ी और पारंपरिक चूड़ियां पहने, ज्ञानेंद्र ताल वाद्यों की ताल के साथ सुंदर ढंग से आगे बढ़े. इस दौरान उनके भक्त-संरक्षक वीरकुमार उनके साथ रहे. पूरा शहर 'गोविंदा, गोविंदा' के जयघोष, शंखों और ढोल की आवाज से गूंज उठा. वहीं, लोगों की भीड़ ने श्रद्धापूर्वक पुष्प वर्षा की.

रात्रि समारोह में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हुए शामिल
बेंगलुरु में ऐतिहासिक करगा महोत्सव के भव्य मध्य रात्रि समारोह में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी शामिल हुए, जिन्होंने जुलूस देखा और कार्यक्रम के दौरान अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

मस्तान दरगाह रुका जुलूस
करगा उत्सव का मुख्य आकर्षण कॉटनपेट में हजरत तवक्कल मस्तान दरगाह पर इसका रुकना है. तीन शताब्दियों से अधिक समय से चली आ रही इस परंपरा में देवी द्रौपदी का प्रतिनिधित्व करने वाले करगा वाहक ने मुस्लिम दरगाह पर रुककर जुलूस का स्वागत किया, जहां दरगाह के रखवालों ने हाथ जोड़कर जुलूस का स्वागत किया.

घटनास्थल पर मौजूद एक भक्त ने कहा, "यह अनुष्ठान अंतरधार्मिक सम्मान और सद्भाव का एक प्रतीक है, जो आज के सामाजिक माहौल में विशेष रूप से प्रासंगिक है. यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि आस्था और साझा मूल्यों में एकता विभाजन से अधिक मजबूत है."

10 दिन चलेगा उत्सव
बता दें कि 10 दिवसीय उत्सव 4 अप्रैल को शुरू हुआ और 14 अप्रैल तक चलेगा. धर्मराय स्वामी मंदिर में दैनिक अनुष्ठानों में विशेष पूजा, अभिषेक और महा मंगलारथी शामिल हैं. इस दौरान लगभग 2,000 भक्तों को प्रतिदिन निशुल्क प्रसाद वितरित किया जाता है, जिसमें सभी समुदायों के लोगों का स्वागत किया जाता है.

धन की कमी का आरोप
इस साल उत्सव के लिए कथित सरकारी धन की कमी को लेकर राजनीतिक विवाद सामने आया. जेडीएस ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि बीबीएमपी ने पहले ही धन जारी कर दिया है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने धर्मराय स्वामी मंदिर में जाकर प्रार्थना की और उत्सव की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं.
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