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'बेलगावी संजीविनी शाविगे' ब्रांड लॉन्च, अब देश भर में मिलेगी कर्नाटक की स्वादिष्ट सेवइयां

कर्नाटक की बेलगावी जिला पंचायत ने स्वादिष्ट शाविगे (सेवइयां ) को ब्रांड के रूप में पेश किया है. देशभर में इसे पहुंचाने की तैयारी है.

Belagavi Sanjeevini Shavige brand launched in market 2000 women get employment
'बेलगावी संजीविनी शाविगे' ब्रांड लॉन्च, अब देश भर में मिलेगी कर्नाटक की स्वादिष्ट सेवइयां (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : October 9, 2025 at 4:52 PM IST

7 Min Read
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बेलगावी: कर्नाटक के बेलगावी जिले के ग्रामीण इलाकों में बड़ी मात्रा में शाविगे (Shavige) या सेवइयां (vermicelli) का उत्पादन होता है. अब बेलगावी जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) ने उस शाविगे को एक ब्रांड नाम दिया है. अब 'बेलगावी संजीविनी शाविगे' (Belagavi Sanjeevini Shavige) नाम से पैकेट में शाविगे की बिक्री शुरू हो गई है. इससे शाविगे बनाने वाली महिलाओं में नई उम्मीद जगी है और उन्हें अच्छी कमाई की उम्मीद है. शाविगे नूडल्स की एक किस्म है.

पहले उत्तर कर्नाटक के हर घर में शाविगे बनता था. लेकिन अब किसी के पास समय नहीं है. इसे बनाने वालों से पैसे देकर शाविगे खरीदना आम बात हो गई है. इस तरह से तैयार किए गए शाविगे को एक नाम दिया जाना चाहिए. इसके लिए एक अच्छी मार्केटिंग व्यवस्था उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, जिला पंचायत के सीईओ राहुल शिंदे ने 'बेलगावी संजीविनी शाविगे' के माध्यम से एक इनोवेटिव कदम उठाया है. यह कार्यक्रम दो महीने पहले शुरू किया गया था.

'बेलगावी संजीविनी शाविगे' ब्रांड लॉन्च
'बेलगावी संजीविनी शाविगे' ब्रांड लॉन्च (ETV Bharat)

कौशल विकास, उद्यमिता और आजीविका विभाग के अंतर्गत, कर्नाटक में 'संजीविनी' के नाम से प्रसिद्ध राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका योजना, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर जीवन का मार्ग प्रशस्त कर रही है. इस योजना का उद्देश्य है कि प्रत्येक परिवार की कम से कम एक महिला इस योजना का लाभ उठाकर स्वरोजगार शुरू करे और समाज में स्वतंत्र रूप से जीवनयापन कर सके. जिला पंचायत की संजीविनी इकाई अब महिलाओं के लिए रीढ़ की हड्डी बनकर खड़ी है.

स्वच्छ और स्वादिष्ट शाविगे
संजीविनी योजना के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया और स्वयं सहायता संघों की महिलाएं शाविगे का उत्पादन कर रही थीं. उस शाविगे के लिए उचित मूल्य और बाजार का अभाव था. जिले में लगभग 450 ग्राम पंचायतों में 204 स्वयं सहायता संघों की लगभग 2,000 महिलाएं शाविगे उत्पादन में लगी हुई हैं. संजीविनी योजना ने उन्हें उचित मार्गदर्शन प्रदान किया है, इच्छुक स्वयं सहायता संघों का चयन किया है, और 'बेलगावी संजीविनी शाविगे' ब्रांड के तहत उत्पाद के लिए ब्रांडिंग, पैकेजिंग और लेबलिंग तैयार की है, जो अब बाजार तक पहुंच रही है. अन्य राज्यों और देशों में रहने वाले शाविगे-प्रेमी उपभोक्ता स्वाभाविक रूप से स्वच्छ, स्वादिष्ट शाविगे का सेवन कर सकते हैं. गेहूं और रवा से बने शाविगे की कीमत 59 रुपये प्रति 500 ग्राम तय की गई है.

खाद्य निरीक्षकों द्वारा प्रशिक्षण
एनआरएलएम ने पहले ही राष्ट्रीय आजीविका मिशन (एनएलएम) के तहत अक्का कैफे (Akka Cafe) शुरू किया है ताकि संजीविनी स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को होटल उद्योग में शामिल किया जा सके और उन्हें आत्मनिर्भर जीवन जीने में मदद मिल सके.इसी तरह, उन्होंने बेलगाम के सांबरा हवाई अड्डे पर 'अवसर' नाम से और वन स्टेशन वन प्रोडक्ट नाम से बेलगाम सहित जिले के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर बिक्री आउटलेट शुरू किए हैं, जो महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के लिए एक विपणन प्रणाली प्रदान करते हैं. इसी प्रकार, जिला पंचायत ने संजीविनी शाविगे को ब्रांड बनाने और बाजार में जारी करने की योजना तैयार की है. महिला संघ के सदस्यों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जा रहा है और 2,000 से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार प्रदान करने के लिए विभिन्न कंपनियों के साथ समझौते किए जा रहे हैं.

बिक्री के लिए मंच
ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम मेले, तालुका स्तर पर मासिक मेले, जिला स्तर पर प्रदर्शनी एवं बिक्री मेले तथा संभाग, राज्य एवं अंतरराज्यीय स्तर पर आयोजित होने वाले बिक्री मेलों में शाविगे की बिक्री के लिए व्यवस्था की गई है. बेलगावी, खानपुर, घाटप्रभा, रायबाग और उगारा रेलवे स्टेशनों पर 'एक स्टेशन एक उत्पाद' दुकानों पर शाविगे की बिक्री की अनुमति दी जा रही है. बेलगावी हवाई अड्डे पर 'अवसर' दुकान, बेलगावी में 'संजीवनी मार्ट' दुकान, हुक्केरी, अथानी, खानपुर और तालुका पंचायत की दुकान, अक्का कैफे आदि स्थानों पर बिक्री की अनुमति दी गई है.

'बेलगावी संजीविनी शाविगे' ब्रांड
'बेलगावी संजीविनी शाविगे' ब्रांड (ETV Bharat)

जिला पंचायत के सीईओ राहुल शिंदे ने 'ईटीवी भारत' को बताया, "बेलगावी के सांबरा और नेसरगी मार्ग समेत जिले के विभिन्न हिस्सों में बनने वाले शाविगे ने काफी प्रसिद्धि हासिल की है. हालांकि, इस शाविगे की उचित मार्केटिंग और ब्रांडिंग का अभाव था. इसी को ध्यान में रखते हुए हमने 'बेलगावी संजीविनी शाविगे' ब्रांड शुरू किया है. खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता कैसे बनाए रखें? एफएसएसआई प्रमाणपत्र कैसे प्राप्त करें? और इसकी ब्रांडिंग कैसे करें, इन सब के बारे में महिलाओं को विस्तार से बताया गया है."

उन्होंने कहा, "सबसे पहले, जिले और राज्य में बिक्री की व्यवस्था की गई है. फिलहाल, 2,000 महिलाएं इससे जुड़ी हैं और इसे पूरे देश में पहुंचाने के लिए और महिलाओं की भर्ती की जाएगी. इसके अलावा, हम सिर्फ गर्मियों में ही नहीं, बल्कि 12 महीनों के लिए शाविगे बनाने पर विचार कर रहे हैं और हमने शाविगे को सुखाने के लिए हीटर मशीनें देने की योजना बनाई है. कुल मिलाकर, सरकार का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है."

मुथगा ग्राम पंचायत के अंतर्गत श्रीराम नगर की गीता जितेंद्र चौगुले ने कहा, "हम पिछले 10 वर्षों से शाविगे बनाकर बेच रहे हैं. अब हमारे शाविगे को एक ब्रांड मिल गया है. हमें इससे अच्छी आय की उम्मीद है. जिला पंचायत हमारे पीछे खड़ी है. उन्होंने हमें शाविगे की गुणवत्ता और स्वच्छता बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया है. शाविगे को आधा किलो, एक किलो, दो किलो के पैकेट में पैक किया जाता है. पहले हम सब कुछ प्लास्टिक की थैलियों में पैक करते थे. अब पैकेट आकर्षक हैं और ग्राहक भी इसे खुशी से खरीद रहे हैं."

दोगुनी कीमत
खानापुर तालुका के इटागी गांव की भारती प्रकाश बडिगेरा, जो पिछले 15 वर्षों से शाविगे बना रहे हैं, ने कहा, "पहले पैकेजिंग सही नहीं थी. जब बेलगावी संजीविनी शाविगे ब्रांड शुरू हुआ था, तब हमें दोगुनी कीमत मिल रही थी. अब कीमत 98 रुपये प्रति 1 किलो तय की गई है. शाविगे के प्रकार के अनुसार कीमत में अंतर होता है. मैं बाजरा और आलू सहित 11 प्रकार के शाविगे बनाती हूं. अब मुझे बहुत खुशी है कि जिला पंचायत के सीईओ ने हमारे शाविगे को एक ब्रांड दिया है."

ऋण सुविधा प्रदान करने में सहायता
जिला पंचायत की तरफ से महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने के लिए कम ब्याज दरों पर ऋण वितरित किया जाता है, ताकि वे मशीनरी और कच्चा माल खरीद सकेंगे. राष्ट्रीयकृत बैंक भी प्रत्येक संघ को उनके व्यवसाय के अनुसार 3 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक के ऋण प्रदान करते हैं. अधिकारियों ने बताया कि जिला पंचायत, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के माध्यम से 50% सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने और स्थानीय ग्राम पंचायत एवं उद्योग विभाग से रोजगार शुरू करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने में सहायता प्रदान कर रही है.

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