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जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर को लेकर बार एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश से किया संपर्क - JUSTICE YASHWANT VARMA

बार निकायों ने जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर साक्ष्यों के साथ कथित छेड़छाड़ का मुद्दा भी उठाया है,

Justice Yashwant Varma
जस्टिस यशवंत वर्मा (IANS)
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By Sumit Saxena

Published : March 27, 2025 at 3:56 PM IST

3 Min Read

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर 14 मार्च को आग लगने की घटना के दौरान कथित तौर पर नोटों की जली हुई गड्डियां मिलने के मामले में बार एसोसिएशनों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना के कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपा है. इसमें जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की कॉलेजियम की सिफारिश को वापस लेने की मांग की गई.

इलाहाबाद, गुजरात, केरल, जबलपुर, कर्नाटक और लखनऊ के हाई कोर्ट के बार संघों ने सीजेआई के कार्यालय को यह एक ज्ञापन सौंपा. उधर आरोपों की निंदा करते हुए जस्टिस वर्मा ने कहा था कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी भी स्टोर रूम में कोई कैश नहीं रखा.

बार एसोसिएशनों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि बार एसोसिएशन चीफ जस्टिस और कॉलेजियम से अनुरोध करते हैं कि जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर वापस लिया जाए और न्यायिक कार्य के अलावा सभी प्रशासनिक कार्य भी वापस लिए जाएं.

एफआईआर दर्ज न किए जाने पर सवाल उठाया
बार निकायों ने जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर साक्ष्यों के साथ कथित छेड़छाड़ का मुद्दा भी उठाया है, जहां 14 मार्च को आग लगने की घटना के दौरान नोटों के जले हुए बंडल कथित तौर पर पाए गए थे. इतना ही नहीं घटना में एफआईआर दर्ज न किए जाने पर सवाल उठाया गया है.

बार निकायों ने कहा कि इस तरह के अपराधों में अन्य लोगों की संलिप्तता होगी और मामला दर्ज न होने से उनके अभियोजन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. बता दें कि बार नेता आज सीजेआई से मिलने का समय मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट के परिसर में थे.

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि सीजेआई ने बार नेताओं को आश्वासन दिया कि जस्टिस वर्मा के तबादले की कॉलेजियम की सिफारिश को वापस लेने की उनकी मांग पर विचार किया जाएगा. विभिन्न उच्च न्यायालयों के छह बार एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों ने दोपहर में सीजेआई और कॉलेजियम के अन्य सदस्यों न्यायमूर्ति बी आर गवई, सूर्यकांत, अभय एस ओका और विक्रम नाथ से मुलाकात की.

सुप्रीम कोर्ट में हुई बैठक से बाहर आने के बाद तिवारी ने कहा कि उन्होंने अपने ज्ञापन पर विचार-विमर्श किया और उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया. तिवारी ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार निकाय इस बात पर पुनर्विचार करेगा कि अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखी जाए या नहीं.

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की हड़ताल
इस बीच जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके मूल हाई कोर्ट में वापस भेजे जाने के प्रस्ताव के विरोध में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने 25 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है. उल्लेखनीय है कि कथित कैश की बरामदगी 14 मार्च की रात करीब 11 बजकर 35 मिनट पर जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद हुई थी.

आंतरिक जांच के समिति गठित
इस विवाद के बैकग्राउंड में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उनके पैतृक इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की, जिनसे मुख्य न्यायाधीश के निर्देश के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने कार्यभार वापस ले लिया था. 22 मार्च को मुख्य न्यायाधीश ने आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की और घटना में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय की जांच रिपोर्ट अपलोड करने का निर्णय लिया.

यह भी पढ़ें- कर्नाटक 'हनी ट्रैप' मामले में CBI जांच नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर 14 मार्च को आग लगने की घटना के दौरान कथित तौर पर नोटों की जली हुई गड्डियां मिलने के मामले में बार एसोसिएशनों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना के कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपा है. इसमें जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की कॉलेजियम की सिफारिश को वापस लेने की मांग की गई.

इलाहाबाद, गुजरात, केरल, जबलपुर, कर्नाटक और लखनऊ के हाई कोर्ट के बार संघों ने सीजेआई के कार्यालय को यह एक ज्ञापन सौंपा. उधर आरोपों की निंदा करते हुए जस्टिस वर्मा ने कहा था कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी भी स्टोर रूम में कोई कैश नहीं रखा.

बार एसोसिएशनों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि बार एसोसिएशन चीफ जस्टिस और कॉलेजियम से अनुरोध करते हैं कि जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर वापस लिया जाए और न्यायिक कार्य के अलावा सभी प्रशासनिक कार्य भी वापस लिए जाएं.

एफआईआर दर्ज न किए जाने पर सवाल उठाया
बार निकायों ने जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर साक्ष्यों के साथ कथित छेड़छाड़ का मुद्दा भी उठाया है, जहां 14 मार्च को आग लगने की घटना के दौरान नोटों के जले हुए बंडल कथित तौर पर पाए गए थे. इतना ही नहीं घटना में एफआईआर दर्ज न किए जाने पर सवाल उठाया गया है.

बार निकायों ने कहा कि इस तरह के अपराधों में अन्य लोगों की संलिप्तता होगी और मामला दर्ज न होने से उनके अभियोजन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. बता दें कि बार नेता आज सीजेआई से मिलने का समय मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट के परिसर में थे.

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि सीजेआई ने बार नेताओं को आश्वासन दिया कि जस्टिस वर्मा के तबादले की कॉलेजियम की सिफारिश को वापस लेने की उनकी मांग पर विचार किया जाएगा. विभिन्न उच्च न्यायालयों के छह बार एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों ने दोपहर में सीजेआई और कॉलेजियम के अन्य सदस्यों न्यायमूर्ति बी आर गवई, सूर्यकांत, अभय एस ओका और विक्रम नाथ से मुलाकात की.

सुप्रीम कोर्ट में हुई बैठक से बाहर आने के बाद तिवारी ने कहा कि उन्होंने अपने ज्ञापन पर विचार-विमर्श किया और उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया. तिवारी ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार निकाय इस बात पर पुनर्विचार करेगा कि अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखी जाए या नहीं.

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की हड़ताल
इस बीच जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके मूल हाई कोर्ट में वापस भेजे जाने के प्रस्ताव के विरोध में इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने 25 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है. उल्लेखनीय है कि कथित कैश की बरामदगी 14 मार्च की रात करीब 11 बजकर 35 मिनट पर जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद हुई थी.

आंतरिक जांच के समिति गठित
इस विवाद के बैकग्राउंड में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उनके पैतृक इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की, जिनसे मुख्य न्यायाधीश के निर्देश के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने कार्यभार वापस ले लिया था. 22 मार्च को मुख्य न्यायाधीश ने आरोपों की आंतरिक जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की और घटना में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय की जांच रिपोर्ट अपलोड करने का निर्णय लिया.

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