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भारत में सलीम, बांग्लादेश में दिलवर... 2007 से पश्चिम बंगाल में रह रहा घुसपैठिया धराया - WEST BENGAL

भारतीय पासपोर्ट के साथ पकड़े गए बांग्लादेशी युवक का नाम सलीम शेख है, जबकि बांग्लादेश के पहचान पत्र में उसका नाम मोहम्मद दिलवर है.

bangladeshi arrested with dual identity cards in malda west bengal staying in india since 2007
मालदा में महदीपुर इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट पर मौजूद लोग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : June 21, 2025 at 9:48 PM IST

7 Min Read

मालदा: बंगाली कवि सुभाष मुखर्जी ने अपनी कविता 'परापा' (Parapa) में दो बंगालों- पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की भाषाई और सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया था. लेकिन किसने सोचा होगा कि एक ही व्यक्ति की दो पहचान हो सकती हैं, एक तरफ सलीम शेख और दूसरी तरफ मोहम्मद दिलवर.

मालदा में बिल्कुल यही हुआ. एक ही व्यक्ति की दो पहचान. कभी वो बांग्लादेशी होता है, तो कभी पूरा भारतीय. मालदा के महदीपुर इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट अथॉरिटी ने उस युवक को इमिग्रेशन के दौरान रंगे हाथों पकड़ा, जो भारतीय पासपोर्ट पर वैध तरीके से बांग्लादेश जा रहा था.

इंग्लिश बाजार थाने की पुलिस ने शुक्रवार को उसे गिरफ्तार कर लिया और मालदा जिला न्यायालय की अनुमति से उसे छह दिनों की हिरासत में ले लिया. जांचकर्ता गिरफ्तार व्यक्ति से पूछताछ कर रहे हैं और बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय बनाने के रैकेट की जड़ें तलाशने की कोशिश कर रहे हैं.

भारतीय पासपोर्ट के साथ पकड़े गए युवक का नाम सलीम शेख (31) है. उसका मूल घर मुर्शिदाबाद जिले के भागबंगोला थाने के बाजितपुर कालूखाली गांव में है. वहीं, बांग्लादेश के पहचान पत्र के अनुसार वह अपने देश में मोहम्मद दिलवर है और उसकी उम्र 30 साल है. वह राजशाही जिले के गोदागरी इलाके का निवासी है. दोनों देशों के पहचान पत्रों में इस्तेमाल फोटो एक ही व्यक्ति का है.

ऐसे पकड़ा गया घुसपैठिया
पुलिस सूत्रों के अनुसार, गुरुवार को दोपहर करीब तीन बजे महदीपुर आईसीपी पर युवक आया और उसने अपना नाम सलीम बताया. उसने इमिग्रेशन काउंटर पर अपना पासपोर्ट जमा कराया. जब आईसीपी अधिकारियों ने पासपोर्ट रीडर स्कैनर में डाला तो मशीन की लाल बत्ती जलने लगी. मशीन ने संकेत दिया कि कोलकाता में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ), ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन (बीओआई) द्वारा उस नंबर वाले पासपोर्ट के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया गया है. इसके बाद महादिपुर एकीकृत जांच चौकी प्राधिकरण के अधिकारी उसे महादिपुर आईसीपी ले गए और उससे पूछताछ शुरू कर दी.

शुरुआत में जांचकर्ताओं ने सलीम उर्फ ​​दिलवर के मोबाइल फोन की जांच शुरू की. फोन में कई तस्वीरें मिलीं. ज्यादातर तस्वीरों में सलीम एक महिला और छह महीने के बच्चे के साथ है. पूछताछ के दौरान वह शुरू में जांचकर्ताओं को गलत जानकारी दे रहा था. यह एहसास होने के बाद भी कि वह गलती कर रहा है, जांचकर्ताओं ने उस पर ज्यादा दबाव नहीं डाला. आखिरकार उस फोन में एक दस्तावेज की तस्वीर दिखी. जमीन का यह दस्तावेज बांग्लादेश का है. इसमें मोहम्मद दिलवर हुसैन का नाम और उसके बांग्लादेशी नागरिक पहचान पत्र का नंबर लिखा हुआ है.

छह दिन की पुलिस हिरासत में आरोपी
जांचकर्ताओं ने जब वह नंबर बांग्लादेश दूतावास को भेजा तो पता चला कि मोहम्मद दिलवर हुसैन बांग्लादेशी नागरिक है. इतना ही नहीं, बांग्लादेश दूतावास से दिलवर के पहचान पत्र की एक प्रति भी महदीपुर आईसीपी को भेजी गई. इसके बाद गुरुवार दोपहर को सलीम उर्फ ​​दिलवर को आईसीपी ने इंग्लिश बाजार थाने के हवाले कर दिया. फिर उसे तुरंत जिला अदालत में सात दिन की पुलिस हिरासत के लिए पेश किया गया, लेकिन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उसे छह दिन की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया.

इंग्लिश बाजार पुलिस ने गिरफ्तार युवक के कब्जे से भारतीय पासपोर्ट, वोटर और आधार कार्ड, वीजा और कुछ भारतीय मुद्रा जब्त की है. पुलिस पूछताछ के दौरान युवक ने शुरू में खुद को भारतीय साबित करने की पूरी कोशिश की. उसने यह भी दावा किया कि बांग्लादेशी पहचान पत्र में उसकी तस्वीर का इस्तेमाल करके छेड़छाड़ की गई है. उसने दावा किया कि उसके मामा बांग्लादेश में रहते हैं जो बीमार हैं, इसलिए वह उन्हें देखने जा रहा है.

पूछताछ में किया खुलासा
लेकिन पुलिस द्वारा बार-बार पूछताछ करने पर वह टूट गया. इसके बाद जो खुलासा हुआ उसे सुनकर जांच कर रहे पुलिस अधिकारी हैरान रह गए. गिरफ्तार युवक ने पुलिस को बताया कि बांग्लादेश में उसके माता-पिता, एक भाई, दो बहनें, पत्नी और छह महीने की बेटी रहती है. 2007 में वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ मुर्शिदाबाद के लालगोला इलाके से सीमा पार कर भारत आया था. फिर वह सिलीगुड़ी से सटे जलपाईगुड़ी जिले के कावाखाली में अपनी मौसी के घर चला गया. कुछ दिनों बाद उसका परिवार देश लौट आया, लेकिन वह अपनी मौसी के घर ही रहा. थोड़ा बड़ा होने पर वह निर्माण मजदूर के तौर पर काम करने लगा. बाद में वह राजमिस्त्री बन गया.

2020 से ही वह भारतीय नागरिक बनने की कोशिश कर रहा है. उसने अपने मौसा-मौसी को अपना नकली माता-पिता बताकर वहां की ग्राम पंचायत से जन्म प्रमाण पत्र हासिल किया. इस मामले में मौसी ने उसे दलालों से भी मदद की. जन्म प्रमाण पत्र मिलने के बाद उसने दलालों के जरिये एक-एक करके राशन कार्ड, वोटर कार्ड और आधार कार्ड बनवाए. फिर उसने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया.

2022 में उसे भारतीय पासपोर्ट मिल गया. उसके बाद वह कई बार वैध तरीके से बांग्लादेश गया. वहां उसकी शादी हुई. हाल ही में उसकी एक बेटी हुई है. वह अपनी बेटी से मिलने बांग्लादेश वापस जा रहा था.

दलाली गिरोह की जड़ तक पहुंचने की कोशिश...
हाल ही में गाजोल थाने की पुलिस ने गाजोल ग्राम पंचायत 2 नंबर के रसिकपुर गांव से बांग्लादेशी होने के संदेह में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में गिरफ्तार लोगों ने स्वीकार किया कि वे बांग्लादेश के निवासी हैं. वे करीब 10 साल पहले अवैध रूप से भारत में घुसे थे. तब से वे इसी देश में रह रहे हैं. उनके पास कोई वैध दस्तावेज नहीं है. आधार कार्ड होने के बावजूद उनमें से किसी के पास अभी तक वोटर कार्ड या पासपोर्ट नहीं है. इस घटना ने जिला पुलिस में हड़कंप मचा दिया. इसलिए जिला पुलिस गिरफ्तार सलीम उर्फ ​​दिलवर से पूछताछ कर इस दलाली गिरोह की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.

इस संबंध में जिला पुलिस अधीक्षक प्रदीप कुमार यादव ने एक बयान में कहा, "इस घटना में महदीपुर आईसीपी की ओर से इंग्लिश बाजार थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है. अदालत की अनुमति से उसे पुलिस हिरासत में लिया गया है. पूछताछ के दौरान गिरफ्तार व्यक्ति ने स्वीकार किया कि वह बांग्लादेशी नागरिक है. उसने अवैध रूप से विभिन्न भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट हासिल किए हैं. इस मामले में पहले से ही कुछ सबूत मिले हैं, जिससे उसके बांग्लादेशी नागरिक होने का प्रमाण मिल सकता है. गिरफ्तार व्यक्ति के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. अधिक जानकारी और सबूत जुटाने के प्रयास जारी हैं."

यह भी पढ़ें- बंगाल से बिहार में शराब की तस्करी, आम की पेटियों में कई बोतल बरामद, तस्कर गिरफ्तार

मालदा: बंगाली कवि सुभाष मुखर्जी ने अपनी कविता 'परापा' (Parapa) में दो बंगालों- पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की भाषाई और सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया था. लेकिन किसने सोचा होगा कि एक ही व्यक्ति की दो पहचान हो सकती हैं, एक तरफ सलीम शेख और दूसरी तरफ मोहम्मद दिलवर.

मालदा में बिल्कुल यही हुआ. एक ही व्यक्ति की दो पहचान. कभी वो बांग्लादेशी होता है, तो कभी पूरा भारतीय. मालदा के महदीपुर इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट अथॉरिटी ने उस युवक को इमिग्रेशन के दौरान रंगे हाथों पकड़ा, जो भारतीय पासपोर्ट पर वैध तरीके से बांग्लादेश जा रहा था.

इंग्लिश बाजार थाने की पुलिस ने शुक्रवार को उसे गिरफ्तार कर लिया और मालदा जिला न्यायालय की अनुमति से उसे छह दिनों की हिरासत में ले लिया. जांचकर्ता गिरफ्तार व्यक्ति से पूछताछ कर रहे हैं और बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय बनाने के रैकेट की जड़ें तलाशने की कोशिश कर रहे हैं.

भारतीय पासपोर्ट के साथ पकड़े गए युवक का नाम सलीम शेख (31) है. उसका मूल घर मुर्शिदाबाद जिले के भागबंगोला थाने के बाजितपुर कालूखाली गांव में है. वहीं, बांग्लादेश के पहचान पत्र के अनुसार वह अपने देश में मोहम्मद दिलवर है और उसकी उम्र 30 साल है. वह राजशाही जिले के गोदागरी इलाके का निवासी है. दोनों देशों के पहचान पत्रों में इस्तेमाल फोटो एक ही व्यक्ति का है.

ऐसे पकड़ा गया घुसपैठिया
पुलिस सूत्रों के अनुसार, गुरुवार को दोपहर करीब तीन बजे महदीपुर आईसीपी पर युवक आया और उसने अपना नाम सलीम बताया. उसने इमिग्रेशन काउंटर पर अपना पासपोर्ट जमा कराया. जब आईसीपी अधिकारियों ने पासपोर्ट रीडर स्कैनर में डाला तो मशीन की लाल बत्ती जलने लगी. मशीन ने संकेत दिया कि कोलकाता में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ), ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन (बीओआई) द्वारा उस नंबर वाले पासपोर्ट के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया गया है. इसके बाद महादिपुर एकीकृत जांच चौकी प्राधिकरण के अधिकारी उसे महादिपुर आईसीपी ले गए और उससे पूछताछ शुरू कर दी.

शुरुआत में जांचकर्ताओं ने सलीम उर्फ ​​दिलवर के मोबाइल फोन की जांच शुरू की. फोन में कई तस्वीरें मिलीं. ज्यादातर तस्वीरों में सलीम एक महिला और छह महीने के बच्चे के साथ है. पूछताछ के दौरान वह शुरू में जांचकर्ताओं को गलत जानकारी दे रहा था. यह एहसास होने के बाद भी कि वह गलती कर रहा है, जांचकर्ताओं ने उस पर ज्यादा दबाव नहीं डाला. आखिरकार उस फोन में एक दस्तावेज की तस्वीर दिखी. जमीन का यह दस्तावेज बांग्लादेश का है. इसमें मोहम्मद दिलवर हुसैन का नाम और उसके बांग्लादेशी नागरिक पहचान पत्र का नंबर लिखा हुआ है.

छह दिन की पुलिस हिरासत में आरोपी
जांचकर्ताओं ने जब वह नंबर बांग्लादेश दूतावास को भेजा तो पता चला कि मोहम्मद दिलवर हुसैन बांग्लादेशी नागरिक है. इतना ही नहीं, बांग्लादेश दूतावास से दिलवर के पहचान पत्र की एक प्रति भी महदीपुर आईसीपी को भेजी गई. इसके बाद गुरुवार दोपहर को सलीम उर्फ ​​दिलवर को आईसीपी ने इंग्लिश बाजार थाने के हवाले कर दिया. फिर उसे तुरंत जिला अदालत में सात दिन की पुलिस हिरासत के लिए पेश किया गया, लेकिन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उसे छह दिन की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया.

इंग्लिश बाजार पुलिस ने गिरफ्तार युवक के कब्जे से भारतीय पासपोर्ट, वोटर और आधार कार्ड, वीजा और कुछ भारतीय मुद्रा जब्त की है. पुलिस पूछताछ के दौरान युवक ने शुरू में खुद को भारतीय साबित करने की पूरी कोशिश की. उसने यह भी दावा किया कि बांग्लादेशी पहचान पत्र में उसकी तस्वीर का इस्तेमाल करके छेड़छाड़ की गई है. उसने दावा किया कि उसके मामा बांग्लादेश में रहते हैं जो बीमार हैं, इसलिए वह उन्हें देखने जा रहा है.

पूछताछ में किया खुलासा
लेकिन पुलिस द्वारा बार-बार पूछताछ करने पर वह टूट गया. इसके बाद जो खुलासा हुआ उसे सुनकर जांच कर रहे पुलिस अधिकारी हैरान रह गए. गिरफ्तार युवक ने पुलिस को बताया कि बांग्लादेश में उसके माता-पिता, एक भाई, दो बहनें, पत्नी और छह महीने की बेटी रहती है. 2007 में वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ मुर्शिदाबाद के लालगोला इलाके से सीमा पार कर भारत आया था. फिर वह सिलीगुड़ी से सटे जलपाईगुड़ी जिले के कावाखाली में अपनी मौसी के घर चला गया. कुछ दिनों बाद उसका परिवार देश लौट आया, लेकिन वह अपनी मौसी के घर ही रहा. थोड़ा बड़ा होने पर वह निर्माण मजदूर के तौर पर काम करने लगा. बाद में वह राजमिस्त्री बन गया.

2020 से ही वह भारतीय नागरिक बनने की कोशिश कर रहा है. उसने अपने मौसा-मौसी को अपना नकली माता-पिता बताकर वहां की ग्राम पंचायत से जन्म प्रमाण पत्र हासिल किया. इस मामले में मौसी ने उसे दलालों से भी मदद की. जन्म प्रमाण पत्र मिलने के बाद उसने दलालों के जरिये एक-एक करके राशन कार्ड, वोटर कार्ड और आधार कार्ड बनवाए. फिर उसने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया.

2022 में उसे भारतीय पासपोर्ट मिल गया. उसके बाद वह कई बार वैध तरीके से बांग्लादेश गया. वहां उसकी शादी हुई. हाल ही में उसकी एक बेटी हुई है. वह अपनी बेटी से मिलने बांग्लादेश वापस जा रहा था.

दलाली गिरोह की जड़ तक पहुंचने की कोशिश...
हाल ही में गाजोल थाने की पुलिस ने गाजोल ग्राम पंचायत 2 नंबर के रसिकपुर गांव से बांग्लादेशी होने के संदेह में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. पुलिस की प्रारंभिक पूछताछ में गिरफ्तार लोगों ने स्वीकार किया कि वे बांग्लादेश के निवासी हैं. वे करीब 10 साल पहले अवैध रूप से भारत में घुसे थे. तब से वे इसी देश में रह रहे हैं. उनके पास कोई वैध दस्तावेज नहीं है. आधार कार्ड होने के बावजूद उनमें से किसी के पास अभी तक वोटर कार्ड या पासपोर्ट नहीं है. इस घटना ने जिला पुलिस में हड़कंप मचा दिया. इसलिए जिला पुलिस गिरफ्तार सलीम उर्फ ​​दिलवर से पूछताछ कर इस दलाली गिरोह की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.

इस संबंध में जिला पुलिस अधीक्षक प्रदीप कुमार यादव ने एक बयान में कहा, "इस घटना में महदीपुर आईसीपी की ओर से इंग्लिश बाजार थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है. अदालत की अनुमति से उसे पुलिस हिरासत में लिया गया है. पूछताछ के दौरान गिरफ्तार व्यक्ति ने स्वीकार किया कि वह बांग्लादेशी नागरिक है. उसने अवैध रूप से विभिन्न भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट हासिल किए हैं. इस मामले में पहले से ही कुछ सबूत मिले हैं, जिससे उसके बांग्लादेशी नागरिक होने का प्रमाण मिल सकता है. गिरफ्तार व्यक्ति के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. अधिक जानकारी और सबूत जुटाने के प्रयास जारी हैं."

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