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कीमत में BMW को टक्कर देता है यह घोड़ा, महीने में एक लाख खर्च, पनीर की सब्जी के बिना खाना नहीं खाता - AMAZING HORSES

यह घोड़ा कीमत में BMW को टक्कर देता है. खानपान में महीने में एक लाख खर्च होता है. इसे पनीर की सब्जी बेहद पसंद है.

Amazing Horses In Gaya
गया में दो घोड़े बादल और अश्विनी पर रिपोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : April 14, 2025 at 5:02 PM IST

10 Min Read

गया: बिहार के गया में ऐसे दो घोड़े जिसकी चर्चा खूब हो रही है. बादल और अश्विनी की तेज रफ्तार के साथ-साथ खान-पान और लग्जरी लाइफ से लोग हैरान हैं. जब सड़क पर दौड़ते हैं तो इनकी स्पीड 10 एचपी की गाड़ी से कम नहीं होती. कीमत में भी लग्जरी गाड़ी बीएमडबल्यू को टक्कर देते हैं.

घोड़ा पालने की कहानी: बिहार के गया शहर नूतन नगर स्थित बेलदारी मोहल्ले में रहने वाले हरि प्रपन्न के पास यह दो घोड़ा है. हरि प्रपन्न बताते हैं कि उनके परिवार में पिछले 70 साल से घोड़े पाले जा रहे हैं. इसके पीछे की कहानी भी थोड़ी अलग है.

गया में दो घोड़े बादल और अश्विनी पर रिपोर्ट (ETV Bharat)

ऐसे हुई शुरुआत: कहानी 70 साल से अधिक पुरानी है. हरि प्रपन्न के दादाजी स्वर्गीय अवध सिंह को बैल खरीदना था. इसके लिए वे एक बार सोनपुर मेला गए थे. अवध सिंह एक सीधा-साधा व्यक्ति थे इस कारण मेला में लोगों ने उन्हें बैल के बदले घोड़ा खरीदवा दिया. घोड़ा खरीदने के बाद अवध सिंह घर पहुंचे तो परिवार के लोग बेचैन हो गए.

मजबूरी बन गया शौक: परिवार के लोग कहने लगे कि 'बैल खरीदने गए थे और घोड़ा लेकर आ गए.' परिवार के सदस्यों ने घोड़ा बेच देने के लिए कहा लेकिन अवध सिंह नहीं माने. कहा कि यह घोड़ा अब उनके घर में ही रहेगा. उन्होंने घोड़ा पालना शुरू किया. देखभाल और लगाव के कारण उन्हें घोड़ा पालने का शौक हो गया. हरि प्रपन्न बताते हैं कि तब से उनके घर में घोड़ा पाले जा रहे हैं.

"घोड़ा पालना हमारे परिवार के सदस्यों का शौक हो गया है. पहली बार दादा जी घोड़ा लाए थे तब से पिछले 70 साल से घोड़ा हमारे परिवार के सदस्य के रूप में रहा है. कुछ समय के लिए 10 से 12 साल घर में घोड़ा नहीं था लेकिन अब पिछले 20 वर्षों से घोड़ा पाल रहे हैं." -हरि प्रपन्न, घोड़ा मालिक

Amazing Horses In Gaya
गया में हरि प्रपन्न के घर घोड़ा (ETV Bharat)

राजस्थान से आए बादल और अश्विनी: हरि प्रपन्न बताते हैं कि वर्तमान में उनके घर में दो घोड़े हैं जिनका नाम बादल और अश्विनी है. उन्होंने बताया कि एकबार भाई के साथ घूमने के लिए राजस्थान गए थे. वहीं से मुंहमांगी कीमत बादल और अश्विनी को खरीदे. बादल को 3 लाख और अश्विनी को 2.50 लाख रुपये में लाए थे. उस वक्त इसकी उम्र 7 महीने थी.

देखभाल पर लाखों खर्च: हरि प्रपन्न के अनुसार इस घोड़े की खासियत अलग है. इसके देखभाल के लिए अलग से 5 स्टाफ और घूमाने के लिए एक जॉकी रखे गए हैं. खानपान में भी इतने खर्च होते हैं जितने में कम से कम तीन मध्य वर्गीय परिवार में महीने का खर्च होगा.

खानपान: बादल और अश्विनी को प्रति दिन भोजन में 15 लीटर दूध, 3 किलो किशमिश, 500 ग्राम काजू, एक किलो सेब, एक किलो अंगूर, गेहूं का चोकर दिया जाता है. पनीर की सब्जी अगर चोकर में मिक्स नहीं किया गया तो खाना नहीं खाते. पीने के लिए आरओ वॉटर का इस्तेमाल किया जाता है. नार्मल पानी हलक से नीचे नहीं उतरता है. घर के बाहर बड़ी मुश्किल से नॉर्मल पानी पीते हैं.

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घोड़े की खासियत (ETV Bharat)

रख-रखाव: बादशाह और अश्विनी के रहने के लिए एक घुड़साल बना है. बिना मच्छरदानी नींद नहीं आती. अगर गर्मी अधिक होती है तो मच्छरदानी की जगह पर गुड नाइट जलाए जाते हैं. दोनों घोड़े के लिए दो-दो पंखे एक-एक कुलर चलता है. अधिक गर्मी होने पर एयर कंडीशनर चलाए जाते हैं. ठंडे के मौसम में एक घोड़े के लिए 2 हीटर चलाए जाते हैं.

मालिश, शैंपू और कंडिशनर: रोज घी और तेल से घोड़े की मालिश की जाती है. लोहे के खरहरा से उसकी पीठ को रगड़ा जाता है. नारियल के गुच्छा से पैर को रगड़ा जाता है. एक बार में घोड़े की दोनों साइड से एक-एक स्टाफ मालिश करता है. ठंड के मौसम में सरसों का तेल, मेथी अजवाइन और सोंठ डालकर तेल में पका कर मालिश करना होता है. दोनों का रंग सफेद है, इसलिए शैंपू कंडीशनर लगाया जाता है.

घोड़े का नस्ल: हरि प्रपन्न ने बताते हैं कि बादल सिंधी नस्ल का है. यह अपनी बेहतर सहनशीलता और मालिक के प्रति वफादारी के लिए जाना जाता है. जब वे और उनके भाई एक दो दिनों के लिए घर से बाहर जाते हैं तब दोनों बादल और अश्विनी खूब शोर मचाते हैं. हंहनाहट से गुस्सा झलकती है. घर से बाहर से आने पर पहले घोड़ा से मिलते हैं.आधे घंटे तक पीठ और गर्दन को सहलाने के बाद घोड़ा शांत होता है.

Amazing Horses In Gaya
घोड़े की खासियत (ETV Bharat)

सिंधी नस्ल की खासियत: सिंधी नस्ल की बात करें तो यह प्राचीन नस्ल का घोड़ा माना जाता है. मूल रूप से पाकिस्तान के सिंध और भारत (राजस्थान और गुजरात) में पाए जाते हैं. यह सुंदरता सहनशक्ति और चपलता के लिए प्रसिद्ध है. युद्ध और परेड के लिए उपयुक्त माना जाता है.

प्रचीन नस्ल: आमतौर पर 56-60 इंच या इससे बढ़कर 60 से 66 इंच का होता है. रंग में काला, भूरा और सफेद होता है. बुद्धिमान, आज्ञाकारी और निडरता के लिए जाना जाता है. मुगल काल और ब्रिटिश राज में इस घोड़े का इस्तेमाल होता था. राजपूत और मराठा शासक इस्तेमाल करते थे. ब्रिटिश राज में सेना के लिए उपयोगी माना जाता था.

घोड़ा का घर से बच्चों से भी काफी लगाव है. 15 साल के नारायण प्रपन्न कहते हैं वे अपने पिता और चाचा की तरह घोड़े के शौकीन हैं. वो अपने हाथों से प्रति दिन घोड़ा को खाना खिलाते हैं. वे बताते हैं कि अब तो उनके परिवार में घोड़े पालने की एक परंपरा हो गई है. हम भी घुड़सवारी की तकनीक को जान रहे हैं.

Amazing Horses In Gaya
सिंधी घोड़े का इतिहास और वंश (ETV Bharat)

"बड़े होकर और अच्छे ढंग से इनकी देख भाल करेंगे. ये घोड़े हमारे दिल के करीब हैं. स्कूल जाने से पहले हम इनसे एक बार जरूर मिलते हैं. अगर मिल कर नहीं गए तो हमें बेचैनी सी लगी रहती है." -नारायण प्रपन्ना

परिवार के सदस्य भी शौकिन: हरि प्रपन्न के भाई लव कुमार और कुश कुमार ये दोनों भी घोड़ा पालने के शौकिन हैं. पेशे से व्यवसायी हरि प्रपन्न बताते हैं कि उनके स्कूल और कॉलेज है.वो कहते हैं कि घोड़ा रखना एक शौक है. हमारे पास कई महंगी गाड़ियां हैं, लेकिन उन गाड़ियों पर खर्च हर दिन नहीं होते. जब वो गाड़ियां नहीं चलतीं तो खर्च नहीं होता लेकिन एक घोड़े को अगर आप पाल रहे हैं तो प्रतिदिन उन पर खर्च होगा.

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गया में हरि प्रपन्न के घर घोड़ा (ETV Bharat)

"अगर व्यवसायिक दृष्टिकोण से रखेंगे तो वह घनिष्ठता मित्रता उन से नहीं होगी. शौक से रखेंगे तो परिवार का वो एक अभिन्न अंग हो जाएंगे. अगर एक पशु से आप प्यार करके देखें तो वह एक आदमी से ज्यादा आपके लिए वफादार होता है." -हरि प्रपन्न, घोड़ा मालिक

मौत पर दो दिनों तक नहीं खाए थे खाना: हरि प्रपन्न एक घटना के बारे में बताते हैं दरअसल, वर्तमान में जो अश्विनी नाम घोड़ा है, उसे पिछले साल लाया गया था. 1 जनवरी 2024 को अश्विनी नामक घोड़ी की मौत हो गयी थी. उसकी जगह वर्तमान वाला अश्विनी को लाया गया है. कहते हैं कि पहली वाली अश्विनी बहुत छोटी थी जब उसे लाया गया था. 10 साल तक परिवार के सदस्य की तरह साथ रहे लेकिन उसकी मौत हो गयी. इससे परिवार के लोगों को काफी दुख हुआ था.

"ऐसा लगा कि घर का कोई परिवार चला गया है. दो दिनों तक खाना पीना घर के लोगों का छूट गया था. परिवार दुखी था तभी हम ने उसकी जगह पर एक घोड़ा और लेकर आए जो अभी वर्तमान में घर पर है." -हरि प्रपन्न, घोड़ा मालिक

अन्य जानवर पाले हैं: घर में घोड़ा के अलावे अन्य जानवर पालने का शौक है. छोटे भाई लव कुमार को जानवरों से अधिक प्रेम है. इसलिए कई नस्ल की गाएं ,भैंस और कुत्ता के साथ हंस के जोड़े हैं. घर के सभी सदस्यों को जानवरों से गहरा लगाव है यही कारण है कि हमारे घर के एक बड़े हिस्से को पशुओं के लिए अलग से घर बनाया गया है ताकि वे उसमें आराम से रह सके.

घोड़े की खासियत: घोड़े की देखभाल करने वाले एक्सपर्ट पवन सिंह बताते हैं कि यह दोनों सिंधी नस्ल के घोड़े हैं. अभी बादल की उम्र ढाई वर्ष है और कद काठी 62 इंच है. इसकी हाइट अभी और बढ़कर 66 इंच होगा. बादल की उम्र कम है इस वजह से उसको और ट्रेंड किया जा रहा है.

Amazing Horses In Gaya
गया में हरि प्रपन्न के घर घोड़ा (ETV Bharat)

"घोड़े की रफ्तार 25 किमी प्रति घंटा है. आगे चलकर यह 40 से 45 की रफ्तार तक दौड़ेगा. इसकी देखभाल खास तकनीक से की जाती है." -पवन सिंह, रखवाला

लग्जरी गाड़ी को टक्कर: हरि प्रपन्न बताते हैं कि बादल का कद-काठी अलग है. वह देखने में बहुत सुंदर है. अक्सर व्यापारी इसे देखने आते हैं और बेचने के लिए कहते हैं. अभी एक महीने पहले राजस्थान के व्यापारी आए हुए थे.

लग्जरी कार के बराबर कीमत: उन्होंने बादल की कीमत 40 से 45 लाख लगायी. अश्विनी की कीमत 8 से 12 लाख देने को तैयार थे, लेकिन हमलोगों ने मना कर दिया. व्यपारियों के अनुसार बादल की कीमत और बढ़ेगी. 60 से 70 लाख तक भी कीमत जा सकती है. खरीदने वाले तो सिंधी घोड़े की कीमत करोड़ों में लगाते हैं.

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गया: बिहार के गया में ऐसे दो घोड़े जिसकी चर्चा खूब हो रही है. बादल और अश्विनी की तेज रफ्तार के साथ-साथ खान-पान और लग्जरी लाइफ से लोग हैरान हैं. जब सड़क पर दौड़ते हैं तो इनकी स्पीड 10 एचपी की गाड़ी से कम नहीं होती. कीमत में भी लग्जरी गाड़ी बीएमडबल्यू को टक्कर देते हैं.

घोड़ा पालने की कहानी: बिहार के गया शहर नूतन नगर स्थित बेलदारी मोहल्ले में रहने वाले हरि प्रपन्न के पास यह दो घोड़ा है. हरि प्रपन्न बताते हैं कि उनके परिवार में पिछले 70 साल से घोड़े पाले जा रहे हैं. इसके पीछे की कहानी भी थोड़ी अलग है.

गया में दो घोड़े बादल और अश्विनी पर रिपोर्ट (ETV Bharat)

ऐसे हुई शुरुआत: कहानी 70 साल से अधिक पुरानी है. हरि प्रपन्न के दादाजी स्वर्गीय अवध सिंह को बैल खरीदना था. इसके लिए वे एक बार सोनपुर मेला गए थे. अवध सिंह एक सीधा-साधा व्यक्ति थे इस कारण मेला में लोगों ने उन्हें बैल के बदले घोड़ा खरीदवा दिया. घोड़ा खरीदने के बाद अवध सिंह घर पहुंचे तो परिवार के लोग बेचैन हो गए.

मजबूरी बन गया शौक: परिवार के लोग कहने लगे कि 'बैल खरीदने गए थे और घोड़ा लेकर आ गए.' परिवार के सदस्यों ने घोड़ा बेच देने के लिए कहा लेकिन अवध सिंह नहीं माने. कहा कि यह घोड़ा अब उनके घर में ही रहेगा. उन्होंने घोड़ा पालना शुरू किया. देखभाल और लगाव के कारण उन्हें घोड़ा पालने का शौक हो गया. हरि प्रपन्न बताते हैं कि तब से उनके घर में घोड़ा पाले जा रहे हैं.

"घोड़ा पालना हमारे परिवार के सदस्यों का शौक हो गया है. पहली बार दादा जी घोड़ा लाए थे तब से पिछले 70 साल से घोड़ा हमारे परिवार के सदस्य के रूप में रहा है. कुछ समय के लिए 10 से 12 साल घर में घोड़ा नहीं था लेकिन अब पिछले 20 वर्षों से घोड़ा पाल रहे हैं." -हरि प्रपन्न, घोड़ा मालिक

Amazing Horses In Gaya
गया में हरि प्रपन्न के घर घोड़ा (ETV Bharat)

राजस्थान से आए बादल और अश्विनी: हरि प्रपन्न बताते हैं कि वर्तमान में उनके घर में दो घोड़े हैं जिनका नाम बादल और अश्विनी है. उन्होंने बताया कि एकबार भाई के साथ घूमने के लिए राजस्थान गए थे. वहीं से मुंहमांगी कीमत बादल और अश्विनी को खरीदे. बादल को 3 लाख और अश्विनी को 2.50 लाख रुपये में लाए थे. उस वक्त इसकी उम्र 7 महीने थी.

देखभाल पर लाखों खर्च: हरि प्रपन्न के अनुसार इस घोड़े की खासियत अलग है. इसके देखभाल के लिए अलग से 5 स्टाफ और घूमाने के लिए एक जॉकी रखे गए हैं. खानपान में भी इतने खर्च होते हैं जितने में कम से कम तीन मध्य वर्गीय परिवार में महीने का खर्च होगा.

खानपान: बादल और अश्विनी को प्रति दिन भोजन में 15 लीटर दूध, 3 किलो किशमिश, 500 ग्राम काजू, एक किलो सेब, एक किलो अंगूर, गेहूं का चोकर दिया जाता है. पनीर की सब्जी अगर चोकर में मिक्स नहीं किया गया तो खाना नहीं खाते. पीने के लिए आरओ वॉटर का इस्तेमाल किया जाता है. नार्मल पानी हलक से नीचे नहीं उतरता है. घर के बाहर बड़ी मुश्किल से नॉर्मल पानी पीते हैं.

Amazing Horses In Gaya
घोड़े की खासियत (ETV Bharat)

रख-रखाव: बादशाह और अश्विनी के रहने के लिए एक घुड़साल बना है. बिना मच्छरदानी नींद नहीं आती. अगर गर्मी अधिक होती है तो मच्छरदानी की जगह पर गुड नाइट जलाए जाते हैं. दोनों घोड़े के लिए दो-दो पंखे एक-एक कुलर चलता है. अधिक गर्मी होने पर एयर कंडीशनर चलाए जाते हैं. ठंडे के मौसम में एक घोड़े के लिए 2 हीटर चलाए जाते हैं.

मालिश, शैंपू और कंडिशनर: रोज घी और तेल से घोड़े की मालिश की जाती है. लोहे के खरहरा से उसकी पीठ को रगड़ा जाता है. नारियल के गुच्छा से पैर को रगड़ा जाता है. एक बार में घोड़े की दोनों साइड से एक-एक स्टाफ मालिश करता है. ठंड के मौसम में सरसों का तेल, मेथी अजवाइन और सोंठ डालकर तेल में पका कर मालिश करना होता है. दोनों का रंग सफेद है, इसलिए शैंपू कंडीशनर लगाया जाता है.

घोड़े का नस्ल: हरि प्रपन्न ने बताते हैं कि बादल सिंधी नस्ल का है. यह अपनी बेहतर सहनशीलता और मालिक के प्रति वफादारी के लिए जाना जाता है. जब वे और उनके भाई एक दो दिनों के लिए घर से बाहर जाते हैं तब दोनों बादल और अश्विनी खूब शोर मचाते हैं. हंहनाहट से गुस्सा झलकती है. घर से बाहर से आने पर पहले घोड़ा से मिलते हैं.आधे घंटे तक पीठ और गर्दन को सहलाने के बाद घोड़ा शांत होता है.

Amazing Horses In Gaya
घोड़े की खासियत (ETV Bharat)

सिंधी नस्ल की खासियत: सिंधी नस्ल की बात करें तो यह प्राचीन नस्ल का घोड़ा माना जाता है. मूल रूप से पाकिस्तान के सिंध और भारत (राजस्थान और गुजरात) में पाए जाते हैं. यह सुंदरता सहनशक्ति और चपलता के लिए प्रसिद्ध है. युद्ध और परेड के लिए उपयुक्त माना जाता है.

प्रचीन नस्ल: आमतौर पर 56-60 इंच या इससे बढ़कर 60 से 66 इंच का होता है. रंग में काला, भूरा और सफेद होता है. बुद्धिमान, आज्ञाकारी और निडरता के लिए जाना जाता है. मुगल काल और ब्रिटिश राज में इस घोड़े का इस्तेमाल होता था. राजपूत और मराठा शासक इस्तेमाल करते थे. ब्रिटिश राज में सेना के लिए उपयोगी माना जाता था.

घोड़ा का घर से बच्चों से भी काफी लगाव है. 15 साल के नारायण प्रपन्न कहते हैं वे अपने पिता और चाचा की तरह घोड़े के शौकीन हैं. वो अपने हाथों से प्रति दिन घोड़ा को खाना खिलाते हैं. वे बताते हैं कि अब तो उनके परिवार में घोड़े पालने की एक परंपरा हो गई है. हम भी घुड़सवारी की तकनीक को जान रहे हैं.

Amazing Horses In Gaya
सिंधी घोड़े का इतिहास और वंश (ETV Bharat)

"बड़े होकर और अच्छे ढंग से इनकी देख भाल करेंगे. ये घोड़े हमारे दिल के करीब हैं. स्कूल जाने से पहले हम इनसे एक बार जरूर मिलते हैं. अगर मिल कर नहीं गए तो हमें बेचैनी सी लगी रहती है." -नारायण प्रपन्ना

परिवार के सदस्य भी शौकिन: हरि प्रपन्न के भाई लव कुमार और कुश कुमार ये दोनों भी घोड़ा पालने के शौकिन हैं. पेशे से व्यवसायी हरि प्रपन्न बताते हैं कि उनके स्कूल और कॉलेज है.वो कहते हैं कि घोड़ा रखना एक शौक है. हमारे पास कई महंगी गाड़ियां हैं, लेकिन उन गाड़ियों पर खर्च हर दिन नहीं होते. जब वो गाड़ियां नहीं चलतीं तो खर्च नहीं होता लेकिन एक घोड़े को अगर आप पाल रहे हैं तो प्रतिदिन उन पर खर्च होगा.

Amazing Horses In Gaya
गया में हरि प्रपन्न के घर घोड़ा (ETV Bharat)

"अगर व्यवसायिक दृष्टिकोण से रखेंगे तो वह घनिष्ठता मित्रता उन से नहीं होगी. शौक से रखेंगे तो परिवार का वो एक अभिन्न अंग हो जाएंगे. अगर एक पशु से आप प्यार करके देखें तो वह एक आदमी से ज्यादा आपके लिए वफादार होता है." -हरि प्रपन्न, घोड़ा मालिक

मौत पर दो दिनों तक नहीं खाए थे खाना: हरि प्रपन्न एक घटना के बारे में बताते हैं दरअसल, वर्तमान में जो अश्विनी नाम घोड़ा है, उसे पिछले साल लाया गया था. 1 जनवरी 2024 को अश्विनी नामक घोड़ी की मौत हो गयी थी. उसकी जगह वर्तमान वाला अश्विनी को लाया गया है. कहते हैं कि पहली वाली अश्विनी बहुत छोटी थी जब उसे लाया गया था. 10 साल तक परिवार के सदस्य की तरह साथ रहे लेकिन उसकी मौत हो गयी. इससे परिवार के लोगों को काफी दुख हुआ था.

"ऐसा लगा कि घर का कोई परिवार चला गया है. दो दिनों तक खाना पीना घर के लोगों का छूट गया था. परिवार दुखी था तभी हम ने उसकी जगह पर एक घोड़ा और लेकर आए जो अभी वर्तमान में घर पर है." -हरि प्रपन्न, घोड़ा मालिक

अन्य जानवर पाले हैं: घर में घोड़ा के अलावे अन्य जानवर पालने का शौक है. छोटे भाई लव कुमार को जानवरों से अधिक प्रेम है. इसलिए कई नस्ल की गाएं ,भैंस और कुत्ता के साथ हंस के जोड़े हैं. घर के सभी सदस्यों को जानवरों से गहरा लगाव है यही कारण है कि हमारे घर के एक बड़े हिस्से को पशुओं के लिए अलग से घर बनाया गया है ताकि वे उसमें आराम से रह सके.

घोड़े की खासियत: घोड़े की देखभाल करने वाले एक्सपर्ट पवन सिंह बताते हैं कि यह दोनों सिंधी नस्ल के घोड़े हैं. अभी बादल की उम्र ढाई वर्ष है और कद काठी 62 इंच है. इसकी हाइट अभी और बढ़कर 66 इंच होगा. बादल की उम्र कम है इस वजह से उसको और ट्रेंड किया जा रहा है.

Amazing Horses In Gaya
गया में हरि प्रपन्न के घर घोड़ा (ETV Bharat)

"घोड़े की रफ्तार 25 किमी प्रति घंटा है. आगे चलकर यह 40 से 45 की रफ्तार तक दौड़ेगा. इसकी देखभाल खास तकनीक से की जाती है." -पवन सिंह, रखवाला

लग्जरी गाड़ी को टक्कर: हरि प्रपन्न बताते हैं कि बादल का कद-काठी अलग है. वह देखने में बहुत सुंदर है. अक्सर व्यापारी इसे देखने आते हैं और बेचने के लिए कहते हैं. अभी एक महीने पहले राजस्थान के व्यापारी आए हुए थे.

लग्जरी कार के बराबर कीमत: उन्होंने बादल की कीमत 40 से 45 लाख लगायी. अश्विनी की कीमत 8 से 12 लाख देने को तैयार थे, लेकिन हमलोगों ने मना कर दिया. व्यपारियों के अनुसार बादल की कीमत और बढ़ेगी. 60 से 70 लाख तक भी कीमत जा सकती है. खरीदने वाले तो सिंधी घोड़े की कीमत करोड़ों में लगाते हैं.

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