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उत्तराखंड में 500 ऑटोमेटिक वेदर सेंसर लगाये जाने की तैयारी, जल्द मिलेगी मौसम की सटीक जानकारी - AUTOMATIC WEATHER SENSOR

आपदा प्रबंधन विभाग 500 और ऑटोमेटिक वेदर सेंसर लगाने की योजना बना रहा है.

AUTOMATIC WEATHER SENSOR
उत्तराखंड में 500 ऑटोमेटिक वेदर सेंसर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : June 9, 2025 at 6:00 PM IST

Updated : June 12, 2025 at 3:34 PM IST

6 Min Read

देहरादून: उत्तराखंड में 12 जून के बाद मानसून दस्तक देने जा रहा है. संभावना जताई जा रही है कि आगामी मानसून सीजन में सामान्य से करीब 8 फीसदी अधिक बारिश होने की संभावना है. ऐसे में भारी बारिश के दौरान राहत बचाव कार्यों को दुरुस्त करने के साथ ही यात्रियों को सटीक मौसम की जानकारी दी जा सके इस पर विशेष जोर दिया जा रहा है. अभी तक मौसम विभाग की ओर से जो भी पूर्वानुमान जारी किए जाते हैं उनमें से अधिकतर पूर्वानुमान सही साबित नहीं होते हैं. जिसके चलते लोगों और उत्तराखंड में आने वाले यात्रियों में भ्रम की स्थिति बन जाती है?

उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश के खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा जैसे हालात बनते रहते हैं. मानसून सीजन के दौरान स्थिति काफी अधिक दयनीय हो जाती है. मानसून के दौरान भारी बारिश की वजह से न सिर्फ रास्ते बाधित हो जाते हैं बल्कि जल भराव की स्थिति भी बन जाती है. इसी दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक और यात्री भी उत्तराखंड पहुंचते हैं, लेकिन मौसम की सटीक जानकारी न मिल पाने के चलते पर पर्यटकों और यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिसमें मुख्य रूप से सड़क मार्ग बाधित होने की वजह से यात्रियों को घंटों जाम में फंसना पड़ता है.

मौसम की सटीक जानकारी जल्दी मिलेगी (Video- ETV Bharat)

ऐसे में उत्तराखंड सरकार इन तमाम समस्याओं को देखते हुए मौसम के सटीक पूर्वानुमान जारी किए जाने पर जोर दे रहा है. वर्तमान समय में आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से तीन चरणों में मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी जारी की जाती है. जिसमें अगर बारिश की संभावना होती है तो उससे करीब 3 घंटा पहले एसएमएस के जरिए मौसम की जानकारी भेजी जाती है. अब तक विभाग की ओर से रोजाना मौसम की बुलेटिन जारी की जाती है. इसके साथ ही एक हफ्ते मौसम का क्या रुख रहने वाला है इसकी जानकारी बुलेटिन के जरिए जारी की जाती है. यह जानकारियां अमूमन मौसम की स्थिति के अनुसार बदलती होती हैं. जिसके चलते लोगों को मौसम की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है.

उत्तराखंड में 12 जून आसपास मानसून के दस्तक देने की संभावना है. जिसकी तैयारी में आपदा प्रबंधन विभाग जुटा हुआ है. जिससे मानसून के दौरान कहीं आपदा जैसी स्थिति बनती है तो तत्काल प्रभाव से राहत बचाव के कार्य किए जा सके. मौसम की सटीक जानकारी ना मिल पाने के सवाल पर आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि वर्तमान समय में मौसम विभाग के सहयोग से आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मौसम की सटीक जानकारी साझा की जा रही है. मौसम खराब होने के 3 घंटा पहले ही सटीक जानकारी लोगों को एसएमएस के जरिए दी जा रही है. जिसकी सटीकता करीब 90 फ़ीसदी है.

आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने लोगों से अनुरोध किया कि जिस दौरान बारिश हो रही हो उसे दौरान बहुत जरूरत होने पर ही घर से बाहर निकले. मौसम के सटीक जानकारी के लिए तीन जगहों सुरकंडा देवी, मुक्तेश्वर और लैंसडाउन में डॉप्लर रडार लगे हुए हैं. हर डॉप्लर रडार की रेंज करीब 100 किलोमीटर है. इसके अलावा, करीब 400 से अधिक से ऑटोमेटिक वेदर सेंसर लगाए गए हैं. ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग 500 और ऑटोमेटिक वेदर सेंसर लगाने की योजना बना रही है. जितने अधिक सेंसर होंगे उतना अधिक डाटा एनालिसिस किया जाएगा. जिससे मौसम की स्थिति जानकारी मिल पाएगी.

लोगों को समय से मौसम की सटीक जानकारी ना मिल पाने के सवाल पर मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ रोहित थपलियाल ने बताया पिछले कुछ दिनों के भीतर जो पूर्वानुमान जारी किए गए हैं वो सही साबित हुए हैं. उन्होंने कहा जो 3 घंटा पहले नाउ कास्ट जारी किया जाता है वो क्षेत्र के हिसाब से जारी किया जाता है. अगर किसी जिले मैं बारिश को लेकर पूर्वानुमान जारी किया जाता है तो इसका मतलब नहीं कि पूरे जिले में बारिश होगी, बल्कि कुछ क्षेत्रों में ही बारिश की संभावना रहती है. पूर्वानुमान में अगर कुछ स्थानों में बारिश होना बताया गया है. इसका मतलब जिले के 25 से 50 फ़ीसदी हिस्सों में बारिश हो सकती है. अगर अनेक स्थानों पर बारिश होना बताया गया है तो इसका मतलब 50 से 75 फ़ीसदी क्षेत्र में बारिश हो सकती है.

साथ ही बताया कि एनडीएमए की ओर से जो बड़ा अलर्टिंग प्रोग्राम के तहत लोगों को मैसेज भेजे जाते हैं वह बल्क में भेजे जाते हैं. जिसे चलते कई बार लोगों को तीन घंटा बीतने या फिर कई बार 6-6 घंटा बीत जाने के बाद उनके पास अलर्ट पहुंचता है. यही वजह है कि भारत सरकार की ओर से सचेत ऐप भी डेवलप किया गया है. जिसके जरिए लोगों को तत्काल अलर्ट की जानकारी मिल जाती है. इसके साथ ही मौसम की सटीक जानकारी के लिए नेटवर्क को भी बढ़ाया जा रहा है.जिसमें रडार का नेटवर्क और सर्फेस ऑब्जर्वेटरी नेटवर्क को बढ़ाए जाने पर जोर दिया जा रहा है.

6 तरीकों से जारी होता है मौसम का पूर्वानुमान

  • पूरे मौसम के लिए पूर्वानुमान जारी किया जाता है. जिसके तहत मानसून सीजन में 8 फीसदी अधिक बारिश होने की संभावना है.
  • हर महीने के लिए पूर्वानुमान जारी किया जाता है. जून महीने में सामान्य से अधिक बारिश रहने की संभावना है.
  • 5 दिन के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जाता है.
  • एक हफ्ते के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जाता है.
  • रोजाना मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जाता है.
  • मौसम खराब होने की संभावना के चलते तीन घंटे पहले नाउ कास्ट जारी किया जाता है.

देहरादून: उत्तराखंड में 12 जून के बाद मानसून दस्तक देने जा रहा है. संभावना जताई जा रही है कि आगामी मानसून सीजन में सामान्य से करीब 8 फीसदी अधिक बारिश होने की संभावना है. ऐसे में भारी बारिश के दौरान राहत बचाव कार्यों को दुरुस्त करने के साथ ही यात्रियों को सटीक मौसम की जानकारी दी जा सके इस पर विशेष जोर दिया जा रहा है. अभी तक मौसम विभाग की ओर से जो भी पूर्वानुमान जारी किए जाते हैं उनमें से अधिकतर पूर्वानुमान सही साबित नहीं होते हैं. जिसके चलते लोगों और उत्तराखंड में आने वाले यात्रियों में भ्रम की स्थिति बन जाती है?

उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश के खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा जैसे हालात बनते रहते हैं. मानसून सीजन के दौरान स्थिति काफी अधिक दयनीय हो जाती है. मानसून के दौरान भारी बारिश की वजह से न सिर्फ रास्ते बाधित हो जाते हैं बल्कि जल भराव की स्थिति भी बन जाती है. इसी दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक और यात्री भी उत्तराखंड पहुंचते हैं, लेकिन मौसम की सटीक जानकारी न मिल पाने के चलते पर पर्यटकों और यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिसमें मुख्य रूप से सड़क मार्ग बाधित होने की वजह से यात्रियों को घंटों जाम में फंसना पड़ता है.

मौसम की सटीक जानकारी जल्दी मिलेगी (Video- ETV Bharat)

ऐसे में उत्तराखंड सरकार इन तमाम समस्याओं को देखते हुए मौसम के सटीक पूर्वानुमान जारी किए जाने पर जोर दे रहा है. वर्तमान समय में आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से तीन चरणों में मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी जारी की जाती है. जिसमें अगर बारिश की संभावना होती है तो उससे करीब 3 घंटा पहले एसएमएस के जरिए मौसम की जानकारी भेजी जाती है. अब तक विभाग की ओर से रोजाना मौसम की बुलेटिन जारी की जाती है. इसके साथ ही एक हफ्ते मौसम का क्या रुख रहने वाला है इसकी जानकारी बुलेटिन के जरिए जारी की जाती है. यह जानकारियां अमूमन मौसम की स्थिति के अनुसार बदलती होती हैं. जिसके चलते लोगों को मौसम की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है.

उत्तराखंड में 12 जून आसपास मानसून के दस्तक देने की संभावना है. जिसकी तैयारी में आपदा प्रबंधन विभाग जुटा हुआ है. जिससे मानसून के दौरान कहीं आपदा जैसी स्थिति बनती है तो तत्काल प्रभाव से राहत बचाव के कार्य किए जा सके. मौसम की सटीक जानकारी ना मिल पाने के सवाल पर आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि वर्तमान समय में मौसम विभाग के सहयोग से आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मौसम की सटीक जानकारी साझा की जा रही है. मौसम खराब होने के 3 घंटा पहले ही सटीक जानकारी लोगों को एसएमएस के जरिए दी जा रही है. जिसकी सटीकता करीब 90 फ़ीसदी है.

आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने लोगों से अनुरोध किया कि जिस दौरान बारिश हो रही हो उसे दौरान बहुत जरूरत होने पर ही घर से बाहर निकले. मौसम के सटीक जानकारी के लिए तीन जगहों सुरकंडा देवी, मुक्तेश्वर और लैंसडाउन में डॉप्लर रडार लगे हुए हैं. हर डॉप्लर रडार की रेंज करीब 100 किलोमीटर है. इसके अलावा, करीब 400 से अधिक से ऑटोमेटिक वेदर सेंसर लगाए गए हैं. ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग 500 और ऑटोमेटिक वेदर सेंसर लगाने की योजना बना रही है. जितने अधिक सेंसर होंगे उतना अधिक डाटा एनालिसिस किया जाएगा. जिससे मौसम की स्थिति जानकारी मिल पाएगी.

लोगों को समय से मौसम की सटीक जानकारी ना मिल पाने के सवाल पर मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ रोहित थपलियाल ने बताया पिछले कुछ दिनों के भीतर जो पूर्वानुमान जारी किए गए हैं वो सही साबित हुए हैं. उन्होंने कहा जो 3 घंटा पहले नाउ कास्ट जारी किया जाता है वो क्षेत्र के हिसाब से जारी किया जाता है. अगर किसी जिले मैं बारिश को लेकर पूर्वानुमान जारी किया जाता है तो इसका मतलब नहीं कि पूरे जिले में बारिश होगी, बल्कि कुछ क्षेत्रों में ही बारिश की संभावना रहती है. पूर्वानुमान में अगर कुछ स्थानों में बारिश होना बताया गया है. इसका मतलब जिले के 25 से 50 फ़ीसदी हिस्सों में बारिश हो सकती है. अगर अनेक स्थानों पर बारिश होना बताया गया है तो इसका मतलब 50 से 75 फ़ीसदी क्षेत्र में बारिश हो सकती है.

साथ ही बताया कि एनडीएमए की ओर से जो बड़ा अलर्टिंग प्रोग्राम के तहत लोगों को मैसेज भेजे जाते हैं वह बल्क में भेजे जाते हैं. जिसे चलते कई बार लोगों को तीन घंटा बीतने या फिर कई बार 6-6 घंटा बीत जाने के बाद उनके पास अलर्ट पहुंचता है. यही वजह है कि भारत सरकार की ओर से सचेत ऐप भी डेवलप किया गया है. जिसके जरिए लोगों को तत्काल अलर्ट की जानकारी मिल जाती है. इसके साथ ही मौसम की सटीक जानकारी के लिए नेटवर्क को भी बढ़ाया जा रहा है.जिसमें रडार का नेटवर्क और सर्फेस ऑब्जर्वेटरी नेटवर्क को बढ़ाए जाने पर जोर दिया जा रहा है.

6 तरीकों से जारी होता है मौसम का पूर्वानुमान

  • पूरे मौसम के लिए पूर्वानुमान जारी किया जाता है. जिसके तहत मानसून सीजन में 8 फीसदी अधिक बारिश होने की संभावना है.
  • हर महीने के लिए पूर्वानुमान जारी किया जाता है. जून महीने में सामान्य से अधिक बारिश रहने की संभावना है.
  • 5 दिन के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जाता है.
  • एक हफ्ते के लिए मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जाता है.
  • रोजाना मौसम का पूर्वानुमान जारी किया जाता है.
  • मौसम खराब होने की संभावना के चलते तीन घंटे पहले नाउ कास्ट जारी किया जाता है.
Last Updated : June 12, 2025 at 3:34 PM IST
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