नई दिल्ली: मणिपुर के चंदेल जिले में असम राइफल्स के जवानों के साथ मुठभेड़ में 10 उग्रवादियों के मारे जाने के कुछ दिनों बाद डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेरा ने नागालैंड के मोकोकचुंग में असम राइफल्स बटालियन का दौरा किया और क्षेत्र में सुरक्षा की समीक्षा की.
असम राइफल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत से कहा, "महानिदेशक ने फोर्स के ओपरेशनल तत्परता की समीक्षा की." बता दें कि पिछले हफ्ते चंदेल में असम राइफल्स के जवानों के साथ मुठभेड़ में 10 उग्रवादियों को मार गिराया गया था. यह घटना खेंगजोई तहसील के अंतर्गत न्यू सोमताल गांव में हुई, जो भारत-म्यांमार सीमा के पास स्थित है.
खुफिया जानकारी के बाद ऑपरेशन चलाया
सेना की पूर्वी कमान के अनुसार मुठभेड़ उस समय हुई, जब असम राइफल्स की एक यूनिट ने क्षेत्र में सशस्त्र कैडरों की आवाजाही के बारे में विशेष खुफिया जानकारी के बाद एक ऑपरेशन चलाया.सेना की पूर्वी कमान ने कहा, "ऑपरेशन के दौरान सैनिकों पर संदिग्ध उग्रवादियों की ओर से गोलीबारी की गई और उन्होंने तुरंत जवाब दिया. इसके बाद हुई गोलीबारी में 10 कैडरों को मार गिराया गया और बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया."
सबसे उम्रदराज वीरता पुरस्कार विजेता
इस बीच दिग्गजों के साथ अपने संबंधों की परंपरा को बनाए रखते हुए महानिदेशक लखेरा ने मंगलवार को बल के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित दिग्गजों में से एक 105 वर्षीय वयोवृद्ध हवलदार मेरिंग एओ, एससी (सेवानिवृत्त) के साथ बातचीत की. 15 नवंबर, 1920 को जन्मे हवलदार मेरिंग एओ, तीसरी बटालियन असम राइफल्स के एक प्रतिष्ठित वयोवृद्ध हैं और बल के इतिहास में सबसे उम्रदराज वीरता पुरस्कार विजेता हैं.
द्वितीय विश्व युद्ध में लिया भाग
असम राइफल्स के प्रवक्ता ने कहा, "द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने वाले एओ ने कोहिमा और बर्मा में ऐतिहासिक लड़ाइयों में हिस्सा लिया था. 1960 में नागालैंड में एक आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान, उन्होंने एक विद्रोही को मार गिराया और दो अन्य को घायल करके असाधारण बहादुरी का परिचय दिया. वीरता के इस कार्य के लिए, उन्हें 21 अप्रैल, 1960 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा अशोक चक्र क्लास III (जिसे बाद में शौर्य चक्र नाम दिया गया) से सम्मानित किया गया."
लखेरा ने देश के प्रति उनकी महान सेवा और आजीवन प्रतिबद्धता को स्वीकार करते हुए, अनुभवी को प्रशंसा का प्रतीक प्रदान किया. प्रवक्ता ने कहा, "यह बातचीत एक बहुत ही मार्मिक क्षण था जिसने असम राइफल्स के अपने नायकों का सम्मान करने और उनकी विरासत को संरक्षित करने के लोकाचार को उजागर किया."