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असम के मुख्यमंत्री ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से दिया इस्तीफा, जानें क्या है विवाद - HIMANTA BISWA SARMA

गौहाटी उच्च न्यायालय के स्थानांतरण को लेकर विवाद के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बार एसोसिएशन से इस्तीफा दे दिया है.

Assam CM Himanta Biswa Sarma resigns from Bar Association over as member of Gauhati HC relocation
असम के मुख्यमंत्री ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से दिया इस्तीफा, जानें क्या है विवाद (File Photo - ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 30, 2025 at 6:39 PM IST

3 Min Read

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गौहाटी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (GHBCA) के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने यह फैसला ऐसे समय में लिया, जब गौहाटी हाईकोर्ट के स्थानांतरण को लेकर राज्य में पिछले कुछ समय से विवाद चल रहा है.

28 मार्च को गौहाटी उच्च न्यायालय के स्थानांतरण को लेकर असम के महाधिवक्ता देबजीत सैकिया ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद यह दूसरा हाई-प्रोफाइल इस्तीफा है.

गोवालपारा जिले में बुधवार को एक सार्वजनिक बैठक में भाग लेने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री सरमा ने गौहाटी उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन से अपने इस्तीफे की घोषणा की. उन्होंने कहा, "मुझे उच्च न्यायालय की इमारत का पुनर्निर्माण करना है. बार एसोसिएशन का मानना ​​है कि इसे नहीं बनाया जाना चाहिए. इसलिए चूंकि मैं बार से सहमत नहीं हो सकता और सरकार का मुखिया होने के नाते मुझे सरकार का काम करना होगा."

जीएचबीसीए के अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में सरमा ने लिखा, "गौहाटी उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा अपनाई गई वर्तमान स्थिति को देखते हुए, जो माननीय उच्च न्यायालय और असम सरकार के रुख के विपरीत और विरोधाभासी है, मैं खुद को नैतिक रूप से कठिन स्थिति में पाता हूं क्योंकि मैं पूर्ण न्यायालय के फैसले के विरोध में खुद को खड़ा करने में असमर्थ हूं. इसलिए, पूरी विनम्रता और उचित सम्मान के साथ, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया इस पत्र को तत्काल प्रभाव से गौहाटी उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की सदस्यता से मेरे इस्तीफे के रूप में स्वीकार करें."

कार्यकारी समिति की बैठक में होगा फैसला
इस घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर बार एसोसिएशन के महासचिव गिरिन पेगु ने कहा, "विधायक बनने से पहले हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने पेशे के तहत वकालत की थी. वह गौहाटी उच्च न्यायालय के बार एसोसिएशन के सदस्य थे. आज हमें गौहाटी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से एक पत्र मिला, जिसमें इस्तीफा देने की बात कही गई है. इस संबंध में कल बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति की बैठक होगी. उसके बाद हम अपना निर्णय बताएंगे."

हाईकोर्ट को उत्तर गुवाहाटी के रंगमहल में शिफ्ट किया जाएगा
गौरतलब है कि राज्य मंत्रिमंडल ने हाईकोर्ट को वर्तमान स्थान से करीब 30 किलोमीटर दूर उत्तर गुवाहाटी के रंगमहल में शिफ्ट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. गौहाटी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया.

इस बीच, ऐसे समय में जब बार एसोसिएशन गौहाटी हाईकोर्ट के स्थानांतरण का कड़ा विरोध कर रहा है, उसने इस मुद्दे पर कथित रूप से नरम रुख अपनाने के लिए गौहाटी हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की कड़ी निंदा की है.

7 अप्रैल को सैकिया ने असम के महाधिवक्ता के रूप में और अपनी व्यक्तिगत क्षमता में तीन वकीलों के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की दो याचिकाएं दायर कीं, जिसमें वर्तमान स्थिति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई. मामला अभी भी लंबित है.

इससे पहले 9 जनवरी को गौहाटी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों ने एक प्रेस वार्ता में उच्च न्यायालय को उत्तर गुवाहाटी में स्थानांतरित करने के सरकार के फैसले पर अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी. एसोसिएशन ने कहा था कि सरकार ने बिना किसी से परामर्श किए एकतरफा फैसला लिया है.

यह भी पढ़ें- जाति जनगणना कराएगी मोदी सरकार, कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला, कांग्रेस पर लगाया आरोप

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गौहाटी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (GHBCA) के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने यह फैसला ऐसे समय में लिया, जब गौहाटी हाईकोर्ट के स्थानांतरण को लेकर राज्य में पिछले कुछ समय से विवाद चल रहा है.

28 मार्च को गौहाटी उच्च न्यायालय के स्थानांतरण को लेकर असम के महाधिवक्ता देबजीत सैकिया ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद यह दूसरा हाई-प्रोफाइल इस्तीफा है.

गोवालपारा जिले में बुधवार को एक सार्वजनिक बैठक में भाग लेने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री सरमा ने गौहाटी उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन से अपने इस्तीफे की घोषणा की. उन्होंने कहा, "मुझे उच्च न्यायालय की इमारत का पुनर्निर्माण करना है. बार एसोसिएशन का मानना ​​है कि इसे नहीं बनाया जाना चाहिए. इसलिए चूंकि मैं बार से सहमत नहीं हो सकता और सरकार का मुखिया होने के नाते मुझे सरकार का काम करना होगा."

जीएचबीसीए के अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में सरमा ने लिखा, "गौहाटी उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा अपनाई गई वर्तमान स्थिति को देखते हुए, जो माननीय उच्च न्यायालय और असम सरकार के रुख के विपरीत और विरोधाभासी है, मैं खुद को नैतिक रूप से कठिन स्थिति में पाता हूं क्योंकि मैं पूर्ण न्यायालय के फैसले के विरोध में खुद को खड़ा करने में असमर्थ हूं. इसलिए, पूरी विनम्रता और उचित सम्मान के साथ, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया इस पत्र को तत्काल प्रभाव से गौहाटी उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की सदस्यता से मेरे इस्तीफे के रूप में स्वीकार करें."

कार्यकारी समिति की बैठक में होगा फैसला
इस घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर बार एसोसिएशन के महासचिव गिरिन पेगु ने कहा, "विधायक बनने से पहले हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने पेशे के तहत वकालत की थी. वह गौहाटी उच्च न्यायालय के बार एसोसिएशन के सदस्य थे. आज हमें गौहाटी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से एक पत्र मिला, जिसमें इस्तीफा देने की बात कही गई है. इस संबंध में कल बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति की बैठक होगी. उसके बाद हम अपना निर्णय बताएंगे."

हाईकोर्ट को उत्तर गुवाहाटी के रंगमहल में शिफ्ट किया जाएगा
गौरतलब है कि राज्य मंत्रिमंडल ने हाईकोर्ट को वर्तमान स्थान से करीब 30 किलोमीटर दूर उत्तर गुवाहाटी के रंगमहल में शिफ्ट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. गौहाटी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया.

इस बीच, ऐसे समय में जब बार एसोसिएशन गौहाटी हाईकोर्ट के स्थानांतरण का कड़ा विरोध कर रहा है, उसने इस मुद्दे पर कथित रूप से नरम रुख अपनाने के लिए गौहाटी हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की कड़ी निंदा की है.

7 अप्रैल को सैकिया ने असम के महाधिवक्ता के रूप में और अपनी व्यक्तिगत क्षमता में तीन वकीलों के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की दो याचिकाएं दायर कीं, जिसमें वर्तमान स्थिति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई. मामला अभी भी लंबित है.

इससे पहले 9 जनवरी को गौहाटी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्यों ने एक प्रेस वार्ता में उच्च न्यायालय को उत्तर गुवाहाटी में स्थानांतरित करने के सरकार के फैसले पर अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी. एसोसिएशन ने कहा था कि सरकार ने बिना किसी से परामर्श किए एकतरफा फैसला लिया है.

यह भी पढ़ें- जाति जनगणना कराएगी मोदी सरकार, कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला, कांग्रेस पर लगाया आरोप

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