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असम के सीएम हिमंता ने लव-लैंड जिहाद पर खेला कार्ड, झारखंड में भी मुद्दा बनाने की है तैयारी, क्या कहते हैं जानकार - Himanta Biswa Sarma

Love and Land Jihad. असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने लव और लैंड जिहाद को लेकर बड़ा कार्ड खेला है. झारखंड में भी इसे मुद्दा बनाया जा रहा है. क्या हिमंता के इस कार्ड का झारखंड की राजनीति में भी असर होगा, जानिए क्या कहते हैं जानकार?

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 5, 2024, 8:47 PM IST

HIMANTA BISWA SARMA
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की आहट के बीच भाजपा लव और लैंड जिहाद पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही है. आदिवासियों की अस्मिता की बात कर रही है. एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश की जा रही है. यह बताया जा रहा है कि लव और लैंड जिहाद की वजह से आदिवासियों की जनसंख्या घट रही है. एक साजिश के तहत बांग्लादेशी घुसपैठिए यहां की आदिवासी बेटियों से शादी कर जमीन हड़प रहे हैं.

इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा जो झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी भी हैं, ने अपने राज्य में लव और लैंड जिहाद को लेकर बड़ा कार्ड खेला है. उन्होंने इसे रोकने के लिए दो कानून लाने की बात कही है. मुस्लिम और हिन्दू अगर एक दूसरे की संपत्ति खरीदना चाहता है तो उन्हें सरकार की अनुमति लेनी होगी. साथ ही लव जिहाद करने वालों को उम्रकैद की सजा दी जाएगी. उन्होंने एक और कानून की बात की है. वह आदिवासियों से जुड़ी है. उसके मुताबिक ट्राइबल बेल्ट और ब्लॉक स्थापित किया जाएगा. इस नीति से छोटे-छोटे गांवों में आदिवासी समुदाय की जमीन गैर आदिवासी नहीं खरीद पाएंगे. इससे आदिवासियों का जनसंख्या प्रतिशत बरकरार रहेगा.

झारखंड के लिहाज से देखें तो यहां धर्म परिवर्तन और आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए पहले से कानून हैं. जिसके तहत धर्म परिवर्तन कराकर जबरन शादी करने पर चार साल की सजा का प्रावधान है. लेकिन असम के सीएम ने इस मामले में आजीवन कारावास की पैरवी की है. वो लव जिहाद पर फोकस करने की बात की कर रहे है जबकि झारखंड में धर्म परिवर्तन पर रघुवर दास सरकार ने कानून बनाया था.

वरिष्ठ पत्रकार मधुकर के मुताबिक हिन्दू वोट को पोलराइज करना भाजपा की सबसे बड़ी चाहत है. इसके लिए मुस्लिम को साइड लाइन करना होगा. झारखंड में विधानसभा का चुनाव होना है. यहां भाजपा के लिए आदिवासी वोट को पोलराइज करना बड़ी चुनौती रही है. क्योंकि लोकसभा चुनाव में भाजपा अपनी तीनों एसटी सीटें गंवा चुकी है. इसलिए आदिवासियों के बीच नैरेटिव सेट करने की कोशिशें चल रहीं हैं.

हिमंता बिस्वा सरमा को पार्टी ने चुनाव सह प्रभारी बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दे रखी है. उन्हें रिजल्ट देना है. अब वह झारखंड में आकर कह सकेंगे कि असम में लव जिहाद को रोकने के लिए सख्त कानून लाया जा रहा है. ऐसा करने वालों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान होगा. झारखंड में भाजपा या एनडीए की सरकार बनी तो यहां भी लव जिहाद पर सख्त कानून लाया जाएगा.

यही वजह है कि चुनाव से पहले ही भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठ, लैंड और लव जिहाद के मुद्दे को हवा दे रही है. लेकिन यह भी देखना होगा कि आदिवासी समाज इनकी बातों को किस रूप में लेता है. हिमंता बिस्वा सरमा को अगर आदिवासियों की इतनी ही चिंता है तो फिर असम के चाय बागानों में काम कर रहे झारखंड के आदिवासियों के लिए आरक्षण का दरवाजा भी खोलना चाहिए.

झारखंड में पहले से है धर्म परिवर्तन पर कानून

झारखंड में धर्म परिवर्तन पर पहले से कानून बना हुआ है. इस कानून का नाम है झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक, 2017. इसके मुताबिक अगर महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को जबरन, प्रलोभन या छल से धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो आरोपी को चार साल की सजा होगी. साथ ही एक लाख का जुर्माना लगेगा. अगर कोई धर्म परिवर्तन करता है या करवाता है तो उसे जिला दंडाधिकारी से अनुमति लेनी होगी. इसकी अवहेलना होने पर इसे नॉन बेलेबल क्राइम माना जाएगा. मामले की जांच इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी करेंगे. इस कानून को 12 अगस्त 2017 को तत्कालीन रघुवर सरकार ने विधानसभा से पारित कराया था.

आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए भी है कानून

झारखंड में वर्षों से आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए कानून है. राज्य के एक हिस्से में सीएनटी, 1908 यानी छोटानागपुर टिनेंसी एक्ट है तो दूसरे हिस्से यानी संथाल में एसपीटी, 1949 यानी संथाल परगना टिनेंसी एक्ट लागू है. सीएनटी एक्ट के मुताबिक एक थानाक्षेत्र का आदिवासी अपनी जमीन सिर्फ उसी थानाक्षेत्र के आदिवासी को बेच या खरीद सकता है. इस जमीन को गैर आदिवासी नहीं खरीद सकते. लेकिन संथाल में और भी कड़ा कानून है. वहां आदिवासी जमीन की खरीद बिक्री पर पूरी तरह रोक है. गैर आदिवासी भी कुछ खास शर्तों के साथ जमीन की खरीद बिक्री कर सकते हैं.

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रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की आहट के बीच भाजपा लव और लैंड जिहाद पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही है. आदिवासियों की अस्मिता की बात कर रही है. एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश की जा रही है. यह बताया जा रहा है कि लव और लैंड जिहाद की वजह से आदिवासियों की जनसंख्या घट रही है. एक साजिश के तहत बांग्लादेशी घुसपैठिए यहां की आदिवासी बेटियों से शादी कर जमीन हड़प रहे हैं.

इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा जो झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी भी हैं, ने अपने राज्य में लव और लैंड जिहाद को लेकर बड़ा कार्ड खेला है. उन्होंने इसे रोकने के लिए दो कानून लाने की बात कही है. मुस्लिम और हिन्दू अगर एक दूसरे की संपत्ति खरीदना चाहता है तो उन्हें सरकार की अनुमति लेनी होगी. साथ ही लव जिहाद करने वालों को उम्रकैद की सजा दी जाएगी. उन्होंने एक और कानून की बात की है. वह आदिवासियों से जुड़ी है. उसके मुताबिक ट्राइबल बेल्ट और ब्लॉक स्थापित किया जाएगा. इस नीति से छोटे-छोटे गांवों में आदिवासी समुदाय की जमीन गैर आदिवासी नहीं खरीद पाएंगे. इससे आदिवासियों का जनसंख्या प्रतिशत बरकरार रहेगा.

झारखंड के लिहाज से देखें तो यहां धर्म परिवर्तन और आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए पहले से कानून हैं. जिसके तहत धर्म परिवर्तन कराकर जबरन शादी करने पर चार साल की सजा का प्रावधान है. लेकिन असम के सीएम ने इस मामले में आजीवन कारावास की पैरवी की है. वो लव जिहाद पर फोकस करने की बात की कर रहे है जबकि झारखंड में धर्म परिवर्तन पर रघुवर दास सरकार ने कानून बनाया था.

वरिष्ठ पत्रकार मधुकर के मुताबिक हिन्दू वोट को पोलराइज करना भाजपा की सबसे बड़ी चाहत है. इसके लिए मुस्लिम को साइड लाइन करना होगा. झारखंड में विधानसभा का चुनाव होना है. यहां भाजपा के लिए आदिवासी वोट को पोलराइज करना बड़ी चुनौती रही है. क्योंकि लोकसभा चुनाव में भाजपा अपनी तीनों एसटी सीटें गंवा चुकी है. इसलिए आदिवासियों के बीच नैरेटिव सेट करने की कोशिशें चल रहीं हैं.

हिमंता बिस्वा सरमा को पार्टी ने चुनाव सह प्रभारी बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दे रखी है. उन्हें रिजल्ट देना है. अब वह झारखंड में आकर कह सकेंगे कि असम में लव जिहाद को रोकने के लिए सख्त कानून लाया जा रहा है. ऐसा करने वालों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान होगा. झारखंड में भाजपा या एनडीए की सरकार बनी तो यहां भी लव जिहाद पर सख्त कानून लाया जाएगा.

यही वजह है कि चुनाव से पहले ही भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठ, लैंड और लव जिहाद के मुद्दे को हवा दे रही है. लेकिन यह भी देखना होगा कि आदिवासी समाज इनकी बातों को किस रूप में लेता है. हिमंता बिस्वा सरमा को अगर आदिवासियों की इतनी ही चिंता है तो फिर असम के चाय बागानों में काम कर रहे झारखंड के आदिवासियों के लिए आरक्षण का दरवाजा भी खोलना चाहिए.

झारखंड में पहले से है धर्म परिवर्तन पर कानून

झारखंड में धर्म परिवर्तन पर पहले से कानून बना हुआ है. इस कानून का नाम है झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक, 2017. इसके मुताबिक अगर महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को जबरन, प्रलोभन या छल से धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो आरोपी को चार साल की सजा होगी. साथ ही एक लाख का जुर्माना लगेगा. अगर कोई धर्म परिवर्तन करता है या करवाता है तो उसे जिला दंडाधिकारी से अनुमति लेनी होगी. इसकी अवहेलना होने पर इसे नॉन बेलेबल क्राइम माना जाएगा. मामले की जांच इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी करेंगे. इस कानून को 12 अगस्त 2017 को तत्कालीन रघुवर सरकार ने विधानसभा से पारित कराया था.

आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए भी है कानून

झारखंड में वर्षों से आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए कानून है. राज्य के एक हिस्से में सीएनटी, 1908 यानी छोटानागपुर टिनेंसी एक्ट है तो दूसरे हिस्से यानी संथाल में एसपीटी, 1949 यानी संथाल परगना टिनेंसी एक्ट लागू है. सीएनटी एक्ट के मुताबिक एक थानाक्षेत्र का आदिवासी अपनी जमीन सिर्फ उसी थानाक्षेत्र के आदिवासी को बेच या खरीद सकता है. इस जमीन को गैर आदिवासी नहीं खरीद सकते. लेकिन संथाल में और भी कड़ा कानून है. वहां आदिवासी जमीन की खरीद बिक्री पर पूरी तरह रोक है. गैर आदिवासी भी कुछ खास शर्तों के साथ जमीन की खरीद बिक्री कर सकते हैं.

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