नई दिल्ली: नए वक्फ कानून को असंवैधानिक बताते हुए ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया है कि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को नष्ट करना है और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद जताई है.
उन्होंने शनिवार को पीटीआई को दिए एक इंटरल्यू में आश्चर्य जताया कि जब विभिन्न मुद्दों के लिए कई अलग-अलग कानून हैं, तो समान नागरिक संहिता (UCC) कैसे एक समान हो सकती है.हैदराबाद के सांसद ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और वक्फ (संशोधन) अधिनियम की सराहना करने वालों को चुनौती दी कि वे बताएं कि नए कानून में कौन सी धाराएं अच्छी हैं.
नया कानून वक्फ को नष्ट करने के लिए
ओवैसी ने पूछा, "मुझे बताएं कि यह किस तरह से एक प्रगतिशील कानून है? मुझे एक प्रावधान बताएं जिससे वक्फ संपत्ति बच सकती है. मुझे एक प्रावधान बताएं जिससे वक्फ की इनकम में इजाफा होगा और एक प्रावधान जिससे अतिक्रमणकारियों को हटाया जाएगा." ओवैसी ने आरोप लगाया कि नया कानून वक्फ को नष्ट करने के लिए बनाया गया है.
AIMIM प्रमुख ने कहा, "आपने (पिछले कानून से) अच्छे प्रावधानों को हटा दिया. मुझे बताइए कि नए कानून में कौन सी धाराएं (अच्छी हैं)... न तो सरकार और न ही उनके समर्थन में बैठे लोग बता पाएंगे." उन्होंने आगे कहा कि दाऊदी बोहरा चाहते थे कि उन्हें वक्फ कानून के दायरे से बाहर रखा जाए. ओवैसी ने कहा, "हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलने की उम्मीद है क्योंकि यह एक असंवैधानिक कानून है."
उनकी यह टिप्पणी पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह कहे जाने के बाद आई है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को चुनौती देने में अंतरिम राहत के मुद्दे पर 20 मई को सुनवाई करेगा.
तीन मुद्दों पर दलीलें सुनेगी सुप्रीम कोर्ट
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ तीन मुद्दों पर अंतरिम निर्देश पारित करने के लिए दलीलें सुनेगी, जिसमें अदालतों द्वारा वक्फ बाय यूजर, वक्फ या डीड द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की शक्ति शामिल है.
याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाया गया दूसरा मुद्दा स्टेट वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल की कंपोजिशन से संबंधित है. तीसरा मुद्दा एक प्रावधान से संबंधित है, जिसके अनुसार जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करेगा कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा.
किसी के विचार दूसरों पर नहीं थोपे जा सकते
UCC पर ओवैसी ने आश्चर्य जताया कि जब विभिन्न मुद्दों के लिए कई अलग-अलग कानून हैं, तो इसे 'समान' कैसे कहा जा सकता है. उन्होंने पूछा, "जब आप आदिवासियों को छोड़ रहे हैं, हिंदू विवाह अधिनियम और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम को छोड़ रहे हैं, तो यह एक समान कैसे हो सकता है? AIMIM प्रमुख ने कहा कि भारत की विविधता को समझने की जरूरत है और किसी के विचार दूसरों पर नहीं थोपे जा सकते.