नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को घोषणा की कि वह अगले दो दिनों में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. 56 वर्षीय राजनेता का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा आबकारी नीति मामले में उन्हें जमानत दिए जाने के दो दिन बाद आया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मुख्यमंत्री पद तभी स्वीकार करेंगे जब आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में जनता उनकी ईमानदारी पर मुहर लगाएगी. उन्होंने कहा, "हम अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए जनता की अदालत में जाएंगे."
AAP नेता का राजनीतिक सफर
केजरीवाल का राजनीतिक करियर 2011 में कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में उनकी भूमिका से शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य जन लोकपाल विधेयक पारित करना था. आंदोलन और स्वच्छ शासन के आह्वान से प्रेरित होकर, केजरीवाल ने 2012 में आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थापना की. पार्टी ने 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा और 70 में से 28 सीटें जीतीं, जिसके चलते केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने.
हालांकि, जन लोकपाल विधेयक पारित करने में कठिनाइयों के कारण उन्होंने 49 दिनों के बाद इस्तीफा दे दिया. बाद में, AAP ने 2015 के चुनावों में भारी जीत हासिल की, 70 में से 67 सीटें हासिल कीं और केजरीवाल फिर से चुने गए. उन्होंने 2020 में फिर से जीत हासिल की. वह नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.
नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े
2014 में केजरीवाल वाराणसी में नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े. हालांकि, वह असफल रहे. इस बीच सार्वजनिक नियुक्तियों और अधिकार क्षेत्र की जिम्मेदारियों सहित विभिन्न मुद्दों पर उनका अक्सर मोदी सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल से टकराव होता रहा है.
मोहल्ला क्लीनिक पहल की शुरुआत
मुख्यमंत्री के तौर पर AAP नेता को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पानी, बिजली और बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का क्रेडिट दिया जाता है. उनकी सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक पहल की शुरुआत की, जिससे दिल्ली भर में सुलभ स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हुई.
केजरीवाल के प्रशासन को हर घर में 20,000 लीटर प्रति माह तक मुफ्त पानी देने और उपयोगिताओं को और अधिक किफायती बनाने के लिए बिजली दरों में सब्सिडी देने का श्रेय भी दिया जाता है.
आईआरएस रहे केजरीवाल
राजनीति में प्रवेश करने से पहले केजरीवाल भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के पूर्व अधिकारी थे. वह सूचना के अधिकार (आरटीआई) आंदोलन और शासन सुधारों की वकालत में सक्रिय रूप से शामिल थे. 2006 में उभरते नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने के बाद उन्हें प्रमुखता मिली.