शिमला: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बाद सीजफायर का ऐलान होने से दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात टल गए, लेकिन इसके बाद एक और कूटनीतिक मोर्चा खुलता दिख रहा है. व्यापारिक मोर्चे पर भारत और तुर्की के संबंधों में दरार उभरती दिख रही है, भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान तुर्की ने जिस तरह से पाकिस्तान का साथ दिया. उसके बाद देशभर में तुर्की से आयात होने वाले सामान का बायकॉट किया जा रहा है. इसी तरह हर साल तुर्की जाने वाले पर्यटकों की संख्या में भी कमी देखी जा रही है. इस सबके बीच तुर्की से आने वाला सेब भी निशाने पर है. सवाल है कि तुर्की से हर साल कितना सेब आयात होता है ? भारत किन-किन देशों से सेब आयात करता है और भारत में अपना सेब भेजने के मामले में तुर्की कौन से नंबर पर है ?
हिमाचल में शुरू हुआ तुर्की के सेब का विरोध
दरअसल सीजफायर के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया के देश दो हिस्सों में बंट गए. ज्यादातर भारत के समर्थन में दिखे तो कुछ पाकिस्तान के खेमे में भी नजर आए. इनमें चीन के बाद तुर्की का नाम शामिल है. जबकि तुर्की वही देश है जहां दो साल पहले जब भूकंप ने कहर बरपाया तो सबसे पहले मदद पहुंचाने वालों में भारत शामिल था. भारत ने ऑपरेशन दोस्त चलाया और तुर्की की मदद की लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आया. जिसके बाद देशभर में तुर्की से सेब का आयात पर रोक लगाने की आवाज उठने लगी. गौरतलब है कि भारत में जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा सेब का उत्पादन होता है ऐसे में शुरुआती आवाज भी हिमाचल से ही उठी. हिमाचल में कांग्रेस के विधायक और फिर मंत्री ने सबसे पहले ये मांग रखी थी.

"मौजूदा हालात में तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देकर भारत की पीठ पर छुरा घोंपा है. तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान भारत ने एनडीआरएफ और सहायता को भेजी थी. भारत ने मलबे में फंसे लोगों की मदद के लिए गरुड़ एयरोस्पेस ड्रोन भेजे थे, इसके साथ भारत ने इंसानियत का धर्म निभाते हुए तुर्की की दवा व भोजन की व्यवस्था कर मदद की थी, लेकिन संकट की घड़ी में मदद पाने वाले तुर्की ने पाकिस्तान को मदद प्रदान की है. इसलिये तुर्की के सेब और सामान पर तुरंत प्रतिबंध लगना चाहिए" - कुलदीप राठौर, कांग्रेस विधायक, हिमाचल प्रदेश
वैसे हिमाचल से जुडे़ बागवान और नेता लंबे वक्त से विदेश से आने वाले सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने के पक्षधर रहे हैं. कुलदीप राठौर पहले भी विदेशी सेब पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगाने की मांग कर चुके हैं ताकि हिमाचल के बागवानों को फायदा हो.
"हिमाचल के सेब देश के विभिन्न राज्यों में जाता है, लेकिन जब विदेश से आयात होने वाले सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाई जाती है तो उसका सीधा नुकसान बागवानों को होता है. अमेरिका, चीन का सेब तो भारत में आ ही रहा है, लेकिन तुर्की से भी भारत में सेब आ रहा है, जो एक चिंता का विषय है. तुर्की जिस तरह से मौजूदा हालात में पाकिस्तान के साथ रहा उसे देखते हुए वहां से आने वाले सेब पर तुरंत प्रभाव से रोक लगनी चाहिए. इस मामले को हमारी सरकार केंद्र के सामने उठाएगी क्योंकि विदेश से आयात सेब का असर सीधे हिमाचल के बागवानों पर पड़ता है"- विक्रमादित्य सिंह, कैबिनेट मंत्री, हिमाचल प्रदेश
तुर्की से कितना सेब होता है आयात ?
तुर्की से हर साल हजारों मीट्रिक टन सेब भारत पहुंचता है और बीते तीन सालों में ये आंकड़ा एक लाख टन के पार पहुंचा है. DGCIS के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 साल में अकेले तुर्की से ही करीब 5 लाख मीट्रिक टन सेब भारत पहुंचा है इनमें से 3.50 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा सेब पिछले 3 सालों में आयात हुआ. तुर्की का ये सेब औसतन 64 से 70 रुपये के बीच भारत में लैंड होता है और इस मात्रा के हिसाब से तुर्की ने हर साल करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाया.

साल | तुर्की से आयात सेब (मीट्रिक टन में) | मार्केट वैल्यू (करोड़ में) |
2020 | 31,894 | 205 |
2021 | 73,827 | 472 |
2022 | 1,10,736 | 699 |
2023 | 1,29,254 | 813 |
2024 | 1,16,680 | 764 |
तुर्की से ही होता है सबसे ज्यादा सेब का आयात
भारत में सेब की अच्छी खासी खपत होती है और इसलिये कई देशों से आयात भी होता है. भारत हर साल ईरान से लेकर इटली और अफगानिस्तान से लेकर अमेरिका तक से सेब आयात करता है. लेकिन सबसे ज्यादा सेब तुर्की से ही पहुंचता है. DGCIS के आंकड़ों के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा करीब 23 फीसदी सेब तुर्की से आयात होता है. इसके बाद ईरान (21%), अफगानिस्तान (10%), इटली (8%), पोलैंड (7%) और अन्य देशों से (31%) का नंबर आता है. वैसे भारत चिली, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका, पोलैंड, ब्राजील, बेल्जियम, सर्बिया, फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन, नीदरलैंड, अर्जेंटीना, भूटान, क्रोएशिया, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्लोवेनिया, ग्रीस और थाईलैंड आदि देशों से सेब आयात करता है. लेकिन इन सबमें तुर्की अव्वल है.
देशभर में शुरू हुआ विरोध
तुर्की से आने वाले सेब का विरोध देशभर में हो रहा है. महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली और उत्तर प्रदेश की मंडियों तक में व्यापारी तुर्की का बायकॉट कर रहे हैं और तुर्की का सेब नहीं बेच रहे हैं. कुछ जगह ग्राहक भी तुर्की के सेब से मुंह मोड़ रहे हैं. पुणे की एपीएमसी मार्केट में सेब के व्यापारी सुयोग ज़ेंडे का कहना है, "हमने तुर्की का सेब खरीदना बंद करने का फ़ैसला किया है क्योंकि वह पाकिस्तान का समर्थन करता है, और इसके बजाय हिमाचल और दूसरे इलाकों से सेब खरीदना पसंद करते हैं. भारत आतंकवाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रहा था, लेकिन तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन सप्लाई किए. खुदरा ग्राहक भी कह रहे हैं कि उन्हें तुर्की के सेब नहीं चाहिए. उन्हें देखकर हमने भी तुर्की के सेबों का बहिष्कार करने का फ़ैसला किया. तुर्की के सेब यहां 3 महीने तक बिकते हैं और यह कारोबार करीब 1200-1500 करोड़ रुपए का है. जब तुर्की में भूकंप आया था, तो भारत उनकी मदद करने वाला पहला देश था, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान का साथ दिया"

5 साल में तुर्की और अन्य देशों से कितना सेब आयात हुआ ?
विदेशों से वर्ष 2024 में आयात हुए सेब के आंकड़े पर गौर करें तो भारत ने 28 देशों से 5,19,652 मीट्रिक टन सेब आयात किया, जिसकी मार्केट वैल्यू 3549 करोड़ की थी. भारत ने तुर्की से 1,16,680 मीट्रिक टन सेब आयात किया था. इसकी मार्केट वैल्यू 764 करोड़ थी. वहीं, विदेशों से आयात किए जाने वाले सेब का आंकड़ा हर साल बढ़ रहा है. पिछले पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो विदेशों से कुल 20,33,417.38 मीट्रिक टन सेब का आयात हुआ हैं, जिसकी वैल्यू 13,294.23 करोड़ रुपये की थी.

साल | विदेशों से आयात सेब की मार्केट वैल्यू (करोड़ में) |
2020 | 1485.62 |
2021 | 2790.39 |
2022 | 2470.69 |
2023 | 2998.86 |
2024 | 3548.67 |
तुर्की के सेब से गिरते हैं भारतीय एप्पल के रेट
पिछले पांच सालों में तुर्की के सेब का औसत लैंडिंग प्राइस 64 रुपए किलो रहा है. साल 2020 और 2021 में तुर्की से आयात सेब का लैंडिंग प्राइस 64 रुपए किलो था. वर्ष 2022 और 2023 में ये 63 रुपए किलो था जबकि साल 2024 में लैडिंग प्राइस 66 रुपए प्रति किलो रहा. यानी तुर्की का सेब 64 से 66 रुपये के औसत मूल्य पर भारत में लैंड होता है.
हिमाचल के बागवान संजीव चौहान का कहना है कि "अगर तुर्की का सेब 60 से 70 रुपये के बीच भारत में लैंड होता है तो बाजार तक पहुंचने का 30 रुपए प्रति किलो खर्च भी जोड़ा जाए तो ये सेब आसानी से 90 से 100 रुपये किलो तक में उपलब्ध हो जाता है. इस दाम पर सेब की उपलब्धता हिमाचल और कश्मीर के सेब और बागवानों की जेब के लिए अच्छी बात नहीं है. बाहरी सेब से हर साल बागवानों को नुकसान उठाना पड़ता है. सेब के आयात और निर्यात पर केंद्र सरकार का कंट्रोल है. भारत को तुरंत प्रभाव से तुर्की से होने वाले सेब के आयात पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगाना चाहिए."

हिमाचल प्रदेश आढ़ती संघ के पूर्व प्रधान नाहर सिंह चौधरी का कहना है कि 'तुर्की का सेब हिमाचल सहित कश्मीर के सेब को बहुत नुकसान पहुंचाता है. तुर्की का सेब हिमाचल और अन्य मंडियों में उस वक्त पहुंचता है जब सेब का सीजन चल रहा होता है. अगस्त सितंबर के दौरान उसकी कम कीमत हिमाचल के सेब के दाम कम कर देती है. जिसका नुकसान सीधे-सीधे हिमाचल और कश्मीर जैसे राज्यों के बागवानों को होता है इसलिये तुर्की से सेब के आयात पर रोक लगानी चाहिए. तुर्की ने भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुए युद्ध जैसे हालातों में पाकिस्तान का साथ दिया है. ऐसे में तुर्की से आयात होने वाले सेब पर प्रतिबंध लगाने का अच्छा अवसर है.'
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में साहिबाबाद फल मंडी के एक फल व्यापारी ने कहा, "तुर्की ने हाल के दिनों में पाकिस्तान का समर्थन किया है. भारत का तुर्की के साथ सेब और अन्य उत्पादों का करीब करोड़ों रुपये का व्यापार होता है. ब तुर्की से हर तरह के व्यापारिक रिश्ते खत्म होने चाहिए क्योंकि उसने पाकिस्तान का साथ दिया है, यानी एक तरह से आतंकवाद का समर्थन किया है. हम नहीं चाहते कि कोई देश हमारे पैसों का इस्तेमाल हमारे ही खिलाफ करे."

तुर्की के सेब से हिमाचली सेब के बागवानों को सीधा नुकसान होता है. तुर्की का सेब अगर ऑफ-सीजन में भी आता है, तो इसके कम दाम होने से मार्केट में लोकल सेब की कीमत गिर जाती है और कोल्ड स्टोर में पड़ा माल औने-पौने दाम में बिकता है. विदेशों से आयात होने वाले सेब पर आयात शुल्क 50 फीसदी होने से ये सेब लोगों को हिमाचल सहित अन्य सेब उत्पादन करने वाले राज्यों की तुलना में सस्ता पड़ता है, जिससे विदेशी सेब की अधिक मांग रहती है. ये सेब ऑफ सीजन में लोगों को काफी सस्ते रेट में पड़ता है, जिस कारण कोल्ड स्टोर में रखे गए हिमाचली सेब की कीमत गिरी जाती है. इस कारण बागवानों को भरी नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिये बागवान विदेशी सेबों पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगाने की मांग करते हैं.
लोगों में तुर्की के लिए गुस्सा
बात अब सेब तक ही सीमित नहीं रही है. जिस तरह से तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया है उससे भारतीयों में गुस्सा है और तुर्की से आयात चीजों का बायकॉट किया जा रहा है. एशिया की सबसे बड़ी मार्बल निर्यात की मंडी उदयपुर मार्बल प्रोसेसर समिति के अध्यक्ष कपिल सुराना ने कहा कि 'हम सभी ने टर्की से आयातित माल पर रोक लगाने का फैसला लिया है. तुर्की के माल को सभी एसोसिएशन रोक देती हैं तो इससे भारतीय माल को बढ़ावा मिलेगा और विश्व स्तर पर भी संदेश जाएगा कि भारत किसी भी स्तर पर निर्णय लेने में सक्षम है.'

पूना मर्चेंट चेंबर के डायेरक्टर नवीन गोयल ने कहा कि, तुर्की ने पाकिस्तान को सपोर्ट किया है. ये हमारे देश के हित में नहीं है. हम ड्राई फ्रूट की आइटम टर्की से आयात करते थे, लेकिन हम आज इसका विरोध करते हैं. हम इंपोर्टर और ग्राहकों से निवेदन करते हैं कि टर्की की किसी चीज का आगे इस्तेमाल न हो. टर्की से ड्राई फ्रूट का 10 से 20 हजार करोड़ का इंपोर्ट होता है. भारत अगर बहिष्कार करता है तो उनकी कमर टूट जाएगी, क्योंकि भारत बहुत बड़ा कंज्यूमर हैं. हम सिर्फ व्यापारी ही नहीं भारतीय भी हैं.'
भारतीय पर्यटक भी बना रहे तुर्की से दूरी
सेब या अन्य सामान के आयात के साथ-साथ भारतीय पर्यटकों ने भी तुर्की का बायकॉट करना शुरू कर दिया है. गौरतलब है कि हर साल लाखों लोग तुर्की और अजरबैजान देशों में घूमने और छुट्टियां मनाने जाते हैं. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद से कई भारतीय अपनी बुकिंग कैंसिल करवा चुके हैं.