फरीदाबाद : कहते हैं कि जिसका कोई नहीं, उसका तो खुदा है यारो. ये बात सच साबित हो रही है हरियाणा के फरीदाबाद में जहां पर अनिल सरीन नाम के एक शख्स अपनों से ठुकराए बेसहारा बुजुर्गों का सहारा बने हुए हैं.
बुजुर्गों का सहारा बना वृद्धाश्रम : हरियाणा के फरीदाबाद के सेक्टर 28 स्थित वानप्रस्थ वृद्धजन सेवा सदन वृद्धाश्रम में हरियाणा ही नहीं बल्कि अलग-अलग राज्य से बुजुर्ग रह रहे हैं. इनमें से कई बुजुर्ग ऐसे हैं जिनको परिवार ने किसी वजह से अपने से अलग कर दिया तो कई बुजुर्ग ऐसे हैं जिनके परिवार में कोई नहीं है लेकिन इन सब के बीच यहां कुछ ऐसे बुजुर्ग भी है और जो अपने समय में बड़े पदों पर सरकारी और प्राइवेट नौकरी में रह चुके हैं.

कनाडा की नौकरी छोड़ वृद्धाश्रम चला रहे : इस वृद्धाश्रम को चला रहे हैं अनिल सरीन जो कि फिलहाल कनाडा के नागरिक है और उनकी पूरी फैमिली कनाडा में रहती हैं. अनिल मूल रूप से फरीदाबाद के रहने वाले हैं लेकिन वे कई साल पहले अपने परिवार के साथ कनाडा शिफ्ट हो गए हैं और उन्हें वहां की नागरिकता भी मिल गई. लेकिन कनाडा में अच्छी-खासी नौकरी को छोड़कर वे कुछ अच्छा और पॉजिटिव करने का जुनून लेकर इंडिया लौटें और उन्होंने अपने घर को ही वृद्धाश्रम में तब्दील कर दिया.
रेलवे की नौकरी के बाद वृद्धाश्रम में : ईटीवी से खास बातचीत में अनिल सरीन ने बताया कि इस वृद्धाश्रम में कई बुजुर्ग ऐसे हैं जिनको बच्चों ने घर से निकाल दिया तो कई ऐसे हैं जिनके परिवार में बेटे नहीं है और बेटियों की शादी हो गई. वाइफ की डेथ हो गई या हस्बैंड की डेथ हो गई. वहीं ऐसे लोग हैं जिनकी अपने बहू और बेटों से नहीं बनी और इसीलिए वो यहां रह रहे हैं. अनिल सरीन ने बताया कि उनके यहां पिछले 3 साल से रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर के पद पर नौकरी करने वाले अरुण पिछले 3 सालों से उनके वृद्धाश्रम में रह रहे हैं. उनके बेटे नहीं थे, बल्कि दो बेटी थी जिनकी शादी हो गई और शादियों के बाद उनके प्लॉट को लेकर भी कुछ विवाद हो गया तो वे यहां आकर रहने लगे.
सीनियर मैनेजर रह चुके अजय कपूर : भूषण स्टील में सीनियर मैनेजर का पद पर काम करने वाले कोलकाता के अजय कपूर भी यहां रहते हैं. उनके परिवार में भी अनबन हो गई. उनकी भी दो बेटी है, जिनकी शादी हो गई. इसके अलावा भी कई सारे ऐसे लोग हैं, जो अच्छे पदों पर काम करते थे लेकिन अब किसी न किसी वजह से यहां पर आकर रह रहे हैं. हालांकि शुरुआती दिनों में इनको यहां पर दिक्कत होती है, लेकिन धीरे-धीरे ये सेटल हो जाते हैं. लेकिन अभी भी ये अपनी फैमिली को याद करते हैं और सोचते हैं कि क्या से क्या हो गया. इस सब की मुख्य वजह है जेनरेशन गैप और प्रॉपर्टी जिसकी वजह से बच्चे आजकल अपने माता-पिता को साथ नहीं रखना चाहते हैं.

दिल्ली से आए अरुण ने क्या कहा ? : वहीं वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्ग अरुण ने बताया कि वे दिल्ली के रहने वाले हैं और रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर के पद पर थे. यहां पर वे पिछले 3 सालों से रह रहे हैं. उन्हें यहां किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है. उनकी दो बेटियां है जिनकी शादी हो गई है. दोनों सेटल है. उनकी और भी कुछ फैमिल मजबूरी थी जिसके चलते वे यहां पर रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें यहां सारी चीज की फैसेलिटीज है, कोई परेशानी नहीं है.
सेलिब्रिटीज़ से मिले, अब वृद्धाश्रम में : वही दिल्ली के रहने वाले बुजुर्ग दिलीप ने बताया कि वे एड एजेंसी कंपनी में काम करते थे, जहां कई बड़े सेलिब्रिटी जैसे जैकी श्रॉफ, ओम पुरी, शाहरुख खान, सुभाष घई से उनकी मुलाकात हो चुकी है. अपने जमाने में उन्होंने खूब मेहनत की और पैसे कमाए लेकिन निजी कारणों से आज वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हैं.
रेनू ने बताई अपनी कहानी : वहीं वृद्धा आश्रम में रहने वाली बुजुर्ग रेनू ने बताया कि वह अपने जमाने में प्राइवेट नौकरी करती थी, भरा-पूरा परिवार था लेकिन बेटे की मौत हो गई, हस्बैंड की मौत हो गई, दो बेटियां हैं, वो अपनी जगह सेटल है और अब वे यहां रह रही हैं.

यूपी के नरेंद्र मोंगिया हो गए भावुक : वहीं मोदी मिल में अच्छे पोस्ट पर काम करने वाले नरेंद्र मोंगिया अपने परिवार को याद करते हुए भावुक हो गए. इस दौरान उन्होंने बताया कि वे उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. परिवार में सभी हैं. कभी-कभी फोन भी आता है बेटे का, बेटियों का, उनकी याद बहुत आती है. लेकिन मेरी स्थिति ऐसी हो गई है कि मैं अब वृद्धा आश्रम में रह रहा हूं.
फैमिली की तरह रहते हैं : इसी तरह से इस वृद्धा आश्रम में रहने वाले अन्य बुजुर्गों ने बताया कि सबके साथ किसी ने किसी तरह की मजबूरी है, जिसकी वजह से सब यहां पर रह रहे हैं. किसी के परिवार में कोई व्यक्ति नहीं है तो किसी का भरा-पूरा परिवार है, लेकिन किस्मत का खेल है कि हम यहां पर मजबूरी में रह रहे हैं. लेकिन अब हम यहां पर भी एक फैमिली की तरह हो गए हैं और मिल जुलकर रहते हैं.
बहू ने घर से निकाला : आपको बता दें इस ओल्ड एज होम में पुरुषों के साथ-साथ कई ऐसी महिलाएं भी है, जो कैमरे पर नहीं आई. लेकिन उनका साफ तौर पर कहना था कि हमने अपने बच्चों को बड़ी मेहनत के साथ पढ़ाया, लिखाया और शादी की लेकिन जब हमारे घर में बहू आ गई तो बहू ने बेटे के साथ मिलकर ही हमें घर से निकाल दिया.
बुजुर्गों को लेने जाते हैं : आपको बता दें कि इस ओल्ड एज होम में बुजुर्गों को पूरी फैसिलिटी दी जाती है. खाने पीने के साथ-साथ मेडिकल सुविधाएं भी मुहैया करवाई जाती है. इसके अलावा अनिल सरीन को कहीं भी ऐसे बुजुर्गों के बारे में पता चलता है तो अनिल उन्हें खुद लेने चले जाते हैं तो कभी-कभी बच्चे अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम के गेट पर छोड़कर चले जाते हैं जिन्हें अनिल सरीन अपने आश्रम में आसरा देते हैं और फिर उनकी देखभाल करते हैं.
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