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आंध्र प्रदेश शराब घोटाला मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कृष्ण मोहन रेड्डी और के धनंजय को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार - ANDHRA PRADESH LIQUOR SCAM

आंध्र प्रदेश शराब घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कृष्ण मोहन रेड्डी और के. धनंजय को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया.

ANDHRA PRADESH LIQUOR SCAM
सुप्रीम कोर्ट. (IANS)
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By Sumit Saxena

Published : May 17, 2025 at 1:18 PM IST

3 Min Read

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने करोड़ों रुपये के आंध्र प्रदेश शराब घोटाले मामले के दो आरोपियों पी कृष्ण मोहन रेड्डी और के. धनंजय रेड्डी को गिरफ्तारी से संरक्षण देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सत्तारूढ़ दल के खिलाफ सिर्फ राजनीतिक पक्षपात के दावे ही रिकॉर्ड में मौजूद अन्य दस्तावेजों को नजरअंदाज करते हुए अग्रिम जमानत देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

दोनों आरोपी वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के कार्यालय में काम किया था. शुक्रवार को न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि अगर जांच एजेंसी उनसे हिरासत में पूछताछ करना चाहती है तो अपीलकर्ताओं को अग्रिम जमानत देना जांच एजेंसी के लिए बाधा बन सकता है.

पीठ ने कहा कि यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि हिरासत में पूछताछ के लिए, जांच एजेंसी को आरोपी की रिमांड मांगते समय प्रथम दृष्टया मामला बनाना होगा. पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्रियों को देखने के बाद, उसका मानना ​​है कि अदालत को अग्रिम जमानत देने के लिए अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और बताया कि उच्च न्यायालय पहले ही मामले पर गौर कर चुका है और उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है.

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और विकास सिंह ने अधिवक्ता एम.ए. नाज़की के साथ मिलकर पीठ के समक्ष अपीलकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया. वकील ने कहा कि अपीलकर्ता सेवानिवृत्त लोक सेवक हैं, जिन्हें इस मामले में एक सुनियोजित साजिश के तहत आरोपित किया गया है. यह मामला सत्तारूढ़ दल की ओर से राजनीतिक द्वेष और पूर्वाग्रह का परिणाम है.

पीठ ने कहा कि आज उसे इस बात की जांच करनी चाहिए कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं. और उसका मानना ​​है कि आज कोई मामला बनता है. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से अपीलकर्ताओं के खिलाफ किसी भी तरह की थर्ड डिग्री पद्धति को अपनाने से परहेज करने को कहा. पीठ ने कहा कि भविष्य में यदि कोई मामला उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लाया जाता है तो उस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा.

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया. वकील ने इस बात पर जोर दिया कि अपीलकर्ताओं के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पहले ही बन चुका है और जांच महत्वपूर्ण चरण में है. उनसे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता होगी. राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि 3,000 करोड़ रुपये तक के सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हुआ है.

इसे भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट से पूर्व आबकारी अधिकारी को मिली जमानत, रिहाई के लिए करना होगा इंतजार!

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने करोड़ों रुपये के आंध्र प्रदेश शराब घोटाले मामले के दो आरोपियों पी कृष्ण मोहन रेड्डी और के. धनंजय रेड्डी को गिरफ्तारी से संरक्षण देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सत्तारूढ़ दल के खिलाफ सिर्फ राजनीतिक पक्षपात के दावे ही रिकॉर्ड में मौजूद अन्य दस्तावेजों को नजरअंदाज करते हुए अग्रिम जमानत देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

दोनों आरोपी वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी के कार्यालय में काम किया था. शुक्रवार को न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि अगर जांच एजेंसी उनसे हिरासत में पूछताछ करना चाहती है तो अपीलकर्ताओं को अग्रिम जमानत देना जांच एजेंसी के लिए बाधा बन सकता है.

पीठ ने कहा कि यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि हिरासत में पूछताछ के लिए, जांच एजेंसी को आरोपी की रिमांड मांगते समय प्रथम दृष्टया मामला बनाना होगा. पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्रियों को देखने के बाद, उसका मानना ​​है कि अदालत को अग्रिम जमानत देने के लिए अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और बताया कि उच्च न्यायालय पहले ही मामले पर गौर कर चुका है और उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है.

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और विकास सिंह ने अधिवक्ता एम.ए. नाज़की के साथ मिलकर पीठ के समक्ष अपीलकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया. वकील ने कहा कि अपीलकर्ता सेवानिवृत्त लोक सेवक हैं, जिन्हें इस मामले में एक सुनियोजित साजिश के तहत आरोपित किया गया है. यह मामला सत्तारूढ़ दल की ओर से राजनीतिक द्वेष और पूर्वाग्रह का परिणाम है.

पीठ ने कहा कि आज उसे इस बात की जांच करनी चाहिए कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं. और उसका मानना ​​है कि आज कोई मामला बनता है. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से अपीलकर्ताओं के खिलाफ किसी भी तरह की थर्ड डिग्री पद्धति को अपनाने से परहेज करने को कहा. पीठ ने कहा कि भविष्य में यदि कोई मामला उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लाया जाता है तो उस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा.

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया. वकील ने इस बात पर जोर दिया कि अपीलकर्ताओं के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पहले ही बन चुका है और जांच महत्वपूर्ण चरण में है. उनसे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता होगी. राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि 3,000 करोड़ रुपये तक के सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हुआ है.

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