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7 साल पहले टिहरी में मिले प्राचीन हथियारों का होगा वैज्ञानिक अध्ययन, ASI से 1 महीने में आएगी रिपोर्ट - TEHRI ANCIENT WEAPONS

टिहरी जिले के पेपोला ढुंग गांव में सड़क निर्माण के दौरान मिले थे प्राचीन हथियार,7 साल बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करा रहा वैज्ञानिक अध्ययन

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टिहरी में मिले हथियार (फोटो सोर्स- Historian Raju Gusain)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 2, 2025 at 4:51 PM IST

5 Min Read

धीरज सजवान, देहरादून: टिहरी में 7 साल पहले मिले रहस्यमयी प्राचीन हथियारों को वैज्ञानिक अध्ययन के लिए भेजने की तैयारी है. जिसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने पूरी कार्रवाई कर ली है. जिसकी रिपोर्ट एक महीने के भीतर आ जाएगी. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही इन रहस्यमयी प्राचीन हथियारों का राज खुल जाएंगे.

एएसआई ने 7 साल बाद शुरू की कार्रवाई: करीब 7 साल पहले जून 2017 में टिहरी जिले के पेपोला ढुंग गांव में सड़क निर्माण के दौरान खुदाई में प्राचीन रहस्यमयी हथियार मिले थे. जिस पर अब एसआई (ASI) यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून ने अध्ययन का काम करना शुरू कर दिया है.

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प्राचीन हथियार (फोटो सोर्स- Historian Raju Gusain)

लंबे समय से इन प्राचीन हथियारों को लेकर सवाल किया जा रहा था कि आखिर इन हथियारों को लेकर क्या कुछ जानकारी निकल कर सामने आई है? ये हथियार कितने पुराने हैं या किस काल के हैं? लिहाजा, अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस पर काम शुरू कर दिया है.

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प्राचीन हथियारों के अध्ययन में आगे बढ़ा एएसआई (फोटो सोर्स- Historian Raju Gusain)

एएसआई डायरेक्टर मनोज सक्सेना ने ईटीवी भारत को बताया कि-

यह मामला उनकी नियुक्ति से पहले का है, लेकिन जैसे ही हाल में उनके संज्ञान में इसकी जानकारी आई, वैसे ही उन्होंने इस पर काम करना शुरू कर दिया है. सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद अब इन्हें एएसआई की साइंस ब्रांच भेजा जा रहा है. - मनोज सक्सेना, डायरेक्टर, एएसआई

एएसआई डायरेक्टर मनोज सक्सेना ने बताया कि जांच के बाद जो भी जानकारी मिलेगी, उसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा.

मार्च फाइनल के काम खत्म करने के बाद एक-दो दिनों में इन्हें सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिकल केमिस्ट देहरादून (शोध शाखा) को भेज दिया जाएगा. इसके बाद तकरीबन एक महीने के जांच के बाद इसके बारे में जो कुछ जानकारी होगी, उसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा. - मनोज सक्सेना, डायरेक्टर, एएसआई

एएसआई डायरेक्टर मनोज सक्सेना की मानें तो एएसआई संरचनात्मक जांच में तकरीबन एक माह का समय लग सकता है.

एएसआई संरचनात्मक जांच में तकरीबन एक माह का समय लगता है. किसी भी संरचना की पड़ताल करने के लिए कई बार उपकरण दिल्ली से मंगवाने पड़ते हैं. हालांकि, सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिकल केमिस्ट देहरादून के ही गढ़ी कैंट में मौजूद है. जल्द ही टिहरी में मिले इन प्राचीन हथियारों पर डिटेल जानकारी सबके सामने होगी. - मनोज सक्सेना, डायरेक्टर, एएसआई

7 साल पहले अचानक तलवार, भाला, खंजर मिलने से मचा था हड़कंप: बता दें कि जून 2017 में टिहरी जिले के एक सुदूरवर्ती गांव पेपोला ढुंग, पट्टी ढुंग मनार के पास सड़क निर्माण का काम चल रहा था. जहां खुदाई कर रहे मजदूरों को राजा महाराजाओं के जमाने के 84 प्राचीन तलवार, भाला, खंजर आदि मिले थे, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई.

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सड़क निर्माण के दौरान मिले हथियार (फोटो सोर्स- Historian Raju Gusain)

टिहरी का क्षेत्र एक पूरी राजशाही के इतिहास से भरा हुआ है. ऐसे में लोगों में चर्चाएं तेज हुई कि यह टिहरी के राजा के जमाने के हैं, जो किसी लड़ाई के निशान हैं. हालांकि, अधिकृत रूप में कोई भी जानकारी सामने नहीं आई और इन हथियारों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपने कब्जे में ले लिया था.

तब से लेकर अब तक 7 साल बीत चुके हैं, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मामले में स्पष्ट रूप से कोई जानकारी साझा नहीं की. जिस पर इतिहासकार राजू गुसाईं ने सूचना के अधिकार के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से इस संबंध में सूचना मांगी. सूचना में बताया गया कि इस पर कोई भी कार्रवाई अब तक नहीं की गई है. हालांकि, अब एएसआई कार्रवाई की बात कर रहा है.

Historian Raju Gusain
इतिहासकार राजू गुसाईं (फोटो सोर्स- Historian Raju Gusain)

इतिहासकार राजू गुसाईं ने आरटीआई में मांगा जवाब: तकरीबन 7 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी इन पर कोई अध्ययन शुरू न होने पर इतिहासकार राजू गुसाईं ने बताया कि 'प्राचीन तलवार, भाला, खंजर आदि एएसआई देहरादून कार्यालय में रखे हुए हैं. लोहे के हथियारों और अन्य वस्तुओं पर कार्बन डेटिंग नहीं की गई है. मुख्यालय से कोई आधिकारिक पत्राचार नहीं किया गया है. खोजे गए प्राचीन हथियारों पर कोई अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई है.'

उन्होंने बताया कि पेपोला ढुंग गांव लंबे समय से सड़क संपर्क का इंतजार कर रहा है. जून 2017 में 1.2 किलोमीटर चंपटोक-पेपोला सड़क परियोजना पर काम चल रहा था. खोज के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने खोजे गए हथियारों पर नियंत्रण कर लिया. राजू गुसाईं ने कहा कि अगर एएसआई ने खोजे गए हथियारों पर कोई अध्ययन नहीं किया है तो वो उन्हें ग्रामीणों को क्यों नहीं लौटा देते?

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धीरज सजवान, देहरादून: टिहरी में 7 साल पहले मिले रहस्यमयी प्राचीन हथियारों को वैज्ञानिक अध्ययन के लिए भेजने की तैयारी है. जिसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने पूरी कार्रवाई कर ली है. जिसकी रिपोर्ट एक महीने के भीतर आ जाएगी. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही इन रहस्यमयी प्राचीन हथियारों का राज खुल जाएंगे.

एएसआई ने 7 साल बाद शुरू की कार्रवाई: करीब 7 साल पहले जून 2017 में टिहरी जिले के पेपोला ढुंग गांव में सड़क निर्माण के दौरान खुदाई में प्राचीन रहस्यमयी हथियार मिले थे. जिस पर अब एसआई (ASI) यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून ने अध्ययन का काम करना शुरू कर दिया है.

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प्राचीन हथियार (फोटो सोर्स- Historian Raju Gusain)

लंबे समय से इन प्राचीन हथियारों को लेकर सवाल किया जा रहा था कि आखिर इन हथियारों को लेकर क्या कुछ जानकारी निकल कर सामने आई है? ये हथियार कितने पुराने हैं या किस काल के हैं? लिहाजा, अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस पर काम शुरू कर दिया है.

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प्राचीन हथियारों के अध्ययन में आगे बढ़ा एएसआई (फोटो सोर्स- Historian Raju Gusain)

एएसआई डायरेक्टर मनोज सक्सेना ने ईटीवी भारत को बताया कि-

यह मामला उनकी नियुक्ति से पहले का है, लेकिन जैसे ही हाल में उनके संज्ञान में इसकी जानकारी आई, वैसे ही उन्होंने इस पर काम करना शुरू कर दिया है. सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद अब इन्हें एएसआई की साइंस ब्रांच भेजा जा रहा है. - मनोज सक्सेना, डायरेक्टर, एएसआई

एएसआई डायरेक्टर मनोज सक्सेना ने बताया कि जांच के बाद जो भी जानकारी मिलेगी, उसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा.

मार्च फाइनल के काम खत्म करने के बाद एक-दो दिनों में इन्हें सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिकल केमिस्ट देहरादून (शोध शाखा) को भेज दिया जाएगा. इसके बाद तकरीबन एक महीने के जांच के बाद इसके बारे में जो कुछ जानकारी होगी, उसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा. - मनोज सक्सेना, डायरेक्टर, एएसआई

एएसआई डायरेक्टर मनोज सक्सेना की मानें तो एएसआई संरचनात्मक जांच में तकरीबन एक माह का समय लग सकता है.

एएसआई संरचनात्मक जांच में तकरीबन एक माह का समय लगता है. किसी भी संरचना की पड़ताल करने के लिए कई बार उपकरण दिल्ली से मंगवाने पड़ते हैं. हालांकि, सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिकल केमिस्ट देहरादून के ही गढ़ी कैंट में मौजूद है. जल्द ही टिहरी में मिले इन प्राचीन हथियारों पर डिटेल जानकारी सबके सामने होगी. - मनोज सक्सेना, डायरेक्टर, एएसआई

7 साल पहले अचानक तलवार, भाला, खंजर मिलने से मचा था हड़कंप: बता दें कि जून 2017 में टिहरी जिले के एक सुदूरवर्ती गांव पेपोला ढुंग, पट्टी ढुंग मनार के पास सड़क निर्माण का काम चल रहा था. जहां खुदाई कर रहे मजदूरों को राजा महाराजाओं के जमाने के 84 प्राचीन तलवार, भाला, खंजर आदि मिले थे, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई.

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सड़क निर्माण के दौरान मिले हथियार (फोटो सोर्स- Historian Raju Gusain)

टिहरी का क्षेत्र एक पूरी राजशाही के इतिहास से भरा हुआ है. ऐसे में लोगों में चर्चाएं तेज हुई कि यह टिहरी के राजा के जमाने के हैं, जो किसी लड़ाई के निशान हैं. हालांकि, अधिकृत रूप में कोई भी जानकारी सामने नहीं आई और इन हथियारों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपने कब्जे में ले लिया था.

तब से लेकर अब तक 7 साल बीत चुके हैं, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मामले में स्पष्ट रूप से कोई जानकारी साझा नहीं की. जिस पर इतिहासकार राजू गुसाईं ने सूचना के अधिकार के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से इस संबंध में सूचना मांगी. सूचना में बताया गया कि इस पर कोई भी कार्रवाई अब तक नहीं की गई है. हालांकि, अब एएसआई कार्रवाई की बात कर रहा है.

Historian Raju Gusain
इतिहासकार राजू गुसाईं (फोटो सोर्स- Historian Raju Gusain)

इतिहासकार राजू गुसाईं ने आरटीआई में मांगा जवाब: तकरीबन 7 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी इन पर कोई अध्ययन शुरू न होने पर इतिहासकार राजू गुसाईं ने बताया कि 'प्राचीन तलवार, भाला, खंजर आदि एएसआई देहरादून कार्यालय में रखे हुए हैं. लोहे के हथियारों और अन्य वस्तुओं पर कार्बन डेटिंग नहीं की गई है. मुख्यालय से कोई आधिकारिक पत्राचार नहीं किया गया है. खोजे गए प्राचीन हथियारों पर कोई अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई है.'

उन्होंने बताया कि पेपोला ढुंग गांव लंबे समय से सड़क संपर्क का इंतजार कर रहा है. जून 2017 में 1.2 किलोमीटर चंपटोक-पेपोला सड़क परियोजना पर काम चल रहा था. खोज के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने खोजे गए हथियारों पर नियंत्रण कर लिया. राजू गुसाईं ने कहा कि अगर एएसआई ने खोजे गए हथियारों पर कोई अध्ययन नहीं किया है तो वो उन्हें ग्रामीणों को क्यों नहीं लौटा देते?

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