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अजमेर दरगाह : सरवर चिश्ती बोले- वक्फ बिल एक सांप्रदायिक एजेंडा, सड़कों पर आना होगा - WAQF BILL CONTROVERSY

अजमेर दरगाह में अंजुमन कमेटी के सचिव का बड़ा बयान. वक्फ संशोधन बिल को बताया सांप्रदायिक एजेंडा. समर्थन करने वाले मुसलमान पे-रोल पर हैं.

Sarwar Chishti
सैयद सरवर चिश्ती (ETV Bharat Ajmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 9, 2025 at 6:52 PM IST

3 Min Read

अजमेर: ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि 99.9 फीसदी मुसलमान वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ हैं, जबकि 0.1 फीसदी मुसलमान जो बिल के पक्ष में हैं, वह सभी पे-रोल पर हैं. यह केवल सांप्रदायिक एजेंडा है. बुधवार को अंजुमन कमेटी के पदाधिकारियों ने प्रेसवार्ता कर वक्फ संशोधन बिल समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर कमेटी के कार्यालय में अपना पक्ष रखा.

अंजुमन कमेटी के सदर सैयद गुलाम किबरिया ने वक्फ संशोधन बिल की मुखालफत करने वाले सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया. वहीं, बिल का पक्ष लेने वालों की निंदा की. उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल मुसलमानों के हितों के खिलाफ है. अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि विगत 11 वर्षों में देश में मुसलमानों को चैन की सांस तक नहीं लेने दी जा रही है. चिश्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370, लव जिहाद, ट्रिपल तलाक, मस्जिद और दरगाह के नीचे मंदिर खोजे जा रहे हैं. अजमेर की दरगाह में भी मंदिर की तलाश की जा रही है. बावजूद इसके, सरकार चुप है. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पास हुआ. इस दौरान धार्मिक नारे लगाए गए, जबकि वहां नारों की जरूरत नहीं थी. चिश्ती ने कहा कि यह एक सांप्रदायिक एजेंडा है और स्पष्ट नजर आ रहा है.

अंजुमन कमेटी के सचिव ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Ajmer)

पढ़ें : अजमेर दरगाह की अंजुमन कमेटी ने वक्फ संशोधन बिल का किया विरोध, सचिव ने जारी किया बयान - WAQF AMENDMENT BILL

0.1 फीसदी मुसलमान ऑन पे-रोल : चिश्ती ने कहा कि मुसलमान इलाकों में मुखबिर और दलालों की कमी नहीं है. 0.1 फीसदी मुसलमान ही बिल के पक्ष में हैं, वह ऑन पे-रोल हैं, जबकि 99.09 फीसदी मुसलमानों ने बिल की खिलाफत की है. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय को बिल पर अस्थाई स्टे लेना चाहिए, वरना कोर्ट में वक्फ संपत्तियों को लेकर वाद चलते रहेंगे. वहीं, मुसलमानों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलते रहेंगे, लिहाजा मुस्लिम संगठनों और दरगाहों के खानखाहों को अब सड़कों पर आना होगा. अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवत चिश्ती ने कहा कि वक्फ के मामले में सभी मुसलमानों को एक जाजम पर आना चाहिए. वर्ष 1935 में भी काजरी बिल के नाम से आया था, उस वक्त भी अंजुमन कमेटी ने बिल का विरोध किया था. वर्ष 2002 में भी बिल में संशोधन को लेकर विरोध किया गया और अब वर्ष 2025 में वक्फ संशोधन बिल का भी अंजुमन कमेटी विरोध कर रही है. चिश्ती ने कहा कि अब समय आ गया है कि सड़कों पर उतरा जाए. चिश्ती ने कहा कि अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में हर धर्म-जाति और समाज के लोगों का आदर होता है. अजमेर दरगाह देश और दुनिया में सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है, लेकिन यहां से कलमा भी पढ़ाया गया है. चिश्ती ने कहा कि अन्य किसी धर्म के मामलों में अन्य धर्म का व्यक्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान के मामलों में गैर मुस्लिम क्यों.

अजमेर: ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि 99.9 फीसदी मुसलमान वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ हैं, जबकि 0.1 फीसदी मुसलमान जो बिल के पक्ष में हैं, वह सभी पे-रोल पर हैं. यह केवल सांप्रदायिक एजेंडा है. बुधवार को अंजुमन कमेटी के पदाधिकारियों ने प्रेसवार्ता कर वक्फ संशोधन बिल समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर कमेटी के कार्यालय में अपना पक्ष रखा.

अंजुमन कमेटी के सदर सैयद गुलाम किबरिया ने वक्फ संशोधन बिल की मुखालफत करने वाले सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया. वहीं, बिल का पक्ष लेने वालों की निंदा की. उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल मुसलमानों के हितों के खिलाफ है. अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि विगत 11 वर्षों में देश में मुसलमानों को चैन की सांस तक नहीं लेने दी जा रही है. चिश्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370, लव जिहाद, ट्रिपल तलाक, मस्जिद और दरगाह के नीचे मंदिर खोजे जा रहे हैं. अजमेर की दरगाह में भी मंदिर की तलाश की जा रही है. बावजूद इसके, सरकार चुप है. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पास हुआ. इस दौरान धार्मिक नारे लगाए गए, जबकि वहां नारों की जरूरत नहीं थी. चिश्ती ने कहा कि यह एक सांप्रदायिक एजेंडा है और स्पष्ट नजर आ रहा है.

अंजुमन कमेटी के सचिव ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Ajmer)

पढ़ें : अजमेर दरगाह की अंजुमन कमेटी ने वक्फ संशोधन बिल का किया विरोध, सचिव ने जारी किया बयान - WAQF AMENDMENT BILL

0.1 फीसदी मुसलमान ऑन पे-रोल : चिश्ती ने कहा कि मुसलमान इलाकों में मुखबिर और दलालों की कमी नहीं है. 0.1 फीसदी मुसलमान ही बिल के पक्ष में हैं, वह ऑन पे-रोल हैं, जबकि 99.09 फीसदी मुसलमानों ने बिल की खिलाफत की है. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय को बिल पर अस्थाई स्टे लेना चाहिए, वरना कोर्ट में वक्फ संपत्तियों को लेकर वाद चलते रहेंगे. वहीं, मुसलमानों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलते रहेंगे, लिहाजा मुस्लिम संगठनों और दरगाहों के खानखाहों को अब सड़कों पर आना होगा. अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवत चिश्ती ने कहा कि वक्फ के मामले में सभी मुसलमानों को एक जाजम पर आना चाहिए. वर्ष 1935 में भी काजरी बिल के नाम से आया था, उस वक्त भी अंजुमन कमेटी ने बिल का विरोध किया था. वर्ष 2002 में भी बिल में संशोधन को लेकर विरोध किया गया और अब वर्ष 2025 में वक्फ संशोधन बिल का भी अंजुमन कमेटी विरोध कर रही है. चिश्ती ने कहा कि अब समय आ गया है कि सड़कों पर उतरा जाए. चिश्ती ने कहा कि अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में हर धर्म-जाति और समाज के लोगों का आदर होता है. अजमेर दरगाह देश और दुनिया में सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है, लेकिन यहां से कलमा भी पढ़ाया गया है. चिश्ती ने कहा कि अन्य किसी धर्म के मामलों में अन्य धर्म का व्यक्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान के मामलों में गैर मुस्लिम क्यों.

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