नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) और तुर्की की इनोनू विश्वविद्यालय के बीच समझौता स्थगित कर दिया गया है. जेएनयू ने सुरक्षा कारणों का हवाला दिया है. यह जानकारी विश्वविद्यालय के 'एक्स' हैंडल के माध्यम से दी गई है. जेएनयू अपने मजबूत शैक्षणिक कार्यक्रमों और विविधतापूर्ण छात्र निकाय के लिए लंबे समय से दुनियाभर के विश्वविद्यालयों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में जुड़ा हुआ संस्थान रहा है. ये सहयोग अक्सर शोध, संकाय विनिमय कार्यक्रमों और छात्र गतिशीलता पर केंद्रित होते हैं. विश्वविद्यालय ने विभिन्न देशों के विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी बनाए रखी है.
जेएनयू के 'एक्स' हैंडल पर पोस्ट किया गया, 'राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से जेएनयू और इनोनू विश्वविद्यालय, तुर्की के बीच समझौता ज्ञापन को अगली सूचना तक निलंबित कर दिया गया है. जेएनयू राष्ट्र के साथ खड़ा है.' जेएनयू की साझेदारी कभी-कभी राष्ट्रीय सुरक्षा या कूटनीतिक मुद्दों से जुड़ी जांच के अधीन रही है. जेएनयू के प्रोफेसर 'ऑपरेशन सिंदूर' आतंकवाद के खिलाफ एक सही और तर्कसंगत कार्रवाई मान रहे हैं.
Due to National Security considerations, the MoU between JNU and Inonu University, Türkiye stands suspended until further notice.
— Jawaharlal Nehru University (JNU) (@JNU_official_50) May 14, 2025
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देश के पास जवाब देने के कई तरीके: विश्वविद्यालय के प्रो. हैप्पीमॉन जैकब जो भारत की विदेश नीति के बारे में पढ़ाते हैं, उन्होंने लिखा कि ऑपरेशन सिंदूर एक मैसेज है भारत सरकार किसी भी कीमत पर आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगी. आतंकियों के खिलाफ हर हाल में कार्रवाई की जाएगी, चाहे इसका परिणाम कुछ भी हो. भारत अब छोटे स्तर के मिलिट्री एक्शन के लिए लंबा वक्त नहीं लेगा और कार्रवाई भी छोटे स्तर तक सीमित नहीं रहेगी. भारत अलग-अलग लेवल की सैन्य ताकत का इस्तेमाल कर सकता है. देश के पास जवाब देने के कई तरीके हैं.
16 मई को लिया जाएगा निर्णय: गौरतलब है कि तुर्की के सामानों का बहिष्कार करने की बात कई व्यापारिक संगठनों ने कही है. इसमें कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) भी शामिल है. तुर्की और अजरबैजान के साथ व्यापार बंद करने के मुद्दे पर अंतिम निर्णय आगामी 16 मई को कैट की तरफ से नई दिल्ली देश के प्रमुख व्यापारी नेताओं के एक राष्ट्रीय सम्मेलन में लिया जाएगा.
"यह समझौता ज्ञापन जेएनयू द्वारा हस्ताक्षरित अन्य शैक्षणिक समझौता ज्ञापनों की तरह ही है. परिसर स्थित स्कूल ऑफ लैंग्वेज एंड लिटरेचर और स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस दो स्कूल (एसएलएल एंड सीएस) में शामिल हैं, जहां एक संकाय है जो भाषा, साहित्य और संस्कृति पढ़ाता है. यह वैश्विक मामलों में तुर्की के साथ काम करता है. जेएनयू ने राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण समझौता ज्ञापन को निलंबित कर दिया है क्योंकि यह राष्ट्र और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा है, जिनमें से कई जेएनयू के पूर्व छात्र हैं. इनोनू विश्वविद्यालय के साथ तीन वर्ष की अवधि के लिए समझौता ज्ञापन पर फरवरी में हस्ताक्षर किए गए थे." - शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, जेएनयू की कुलपति
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