ETV Bharat / bharat

70 सीटें नहीं मिली तो अकेले लड़ेगी कांग्रेस? दिल्ली चुनाव के बाद RJD को संदेश- 'हल्के में मत लेना' - BIHAR ASSEMBLY ELECTION

दिल्ली चुनाव नतीजे इंडिया गठबंधन के लिए खतरे की घंटी है. बंटे तो हाल हरियाणा और दिल्ली जैसा होगा. ये एक तरह से वॉकओवर है.

दिल्ली नतीजों से कांग्रेस का सहयोगियों को चेतावनी
दिल्ली नतीजों से कांग्रेस का सहयोगियों को चेतावनी (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 10, 2025, 8:15 PM IST

पटना: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच राजनीतिक संघर्ष का फायदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिला. 27 वर्षों बाद दिल्ली में बीजेपी को सत्ता मिली. कांग्रेस की भूमिका इस हार में महत्वपूर्ण रही, क्योंकि आप को कई सीटों पर नुकसान हुआ. दिल्ली की 14 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के कारण आप को हार का सामना करना पड़ा.

दिल्ली नतीजों से सहयोगियों को चेतावनी : केजरीवाल की हार को कांग्रेस पार्टी अपने सहयोगी दलों के सामने 'आइने' की तरह पेश कर रही है. वो ये बता रही है कि किसी भी कीमत पर कांग्रेस को इग्नोर करने का नतीजा हरियाणा और दिल्ली जैसा होगा. संकेत अब बिहार में होने वाले चुनावों की ओर भी है. कांग्रेस के कटिहार सांसद तारीक अनवर ने शीर्ष नेतृत्व से ये पूछ लिया कि पार्टी गठबंधन की राजनीति करेगी या फिर अकेले चलेगी?

कांग्रेस की सहयोगियों को चेतावनी (ETV Bharat)

''कांग्रेस को अपनी राजनीतिक रणनीति को स्पष्ट करने की जरूरत है. उन्हें तय करना होगा कि वे गठबंधन की राजनीति करेंगे या अकेले चलेंगे.''- तारीक अनवर, सांसद, कटिहार, कांग्रेस

कांग्रेस और आप की लड़ाई से मिली हार : दरअसल, आज दिल्ली में आप की सरकार बन सकती थी. इसके लिए कांग्रेस और आप का गठबंधन जरूरी था लेकिन सीटों की खींचतान में सत्ता ही हाथ से चली गई. दिल्ली की जिन 14 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के कारण आम आदमी पार्टी को नुकसान हुआ, उनमें संगम विहार, त्रिलोकपुरी, जंगपुरा, तिमारपुर, राजेंद्र नगर, मालवीय नगर, ग्रेटर कैलाश, नई दिल्ली, छतरपुर, महरौली, मादीपुर, बदली, कस्तूरबा नगर और नांगलोई जाट विधानसभा सीट शामिल हैं.

संगम विहार में कांग्रेस को 15863 वोट मिले, जबकि आप सिर्फ 344 वोट से हार गई. त्रिलोकपुरी में कांग्रेस को 6147 वोट मिले और आप 393 वोट से हार गई. जंगपुरा में कांग्रेस को 7350 वोट मिले और आप 675 वोट से हार गई. तिमारपुर में कांग्रेस को 7827 वोट मिले और आप 969 वोट से हार गई.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

राजेंद्र नगर में कांग्रेस को 4015 वोट मिले और आप 1231 वोट से हार गई. मालवीय नगर में कांग्रेस को 6770 वोट मिले और आप 2131 वोट से हार गई. ग्रेटर कैलाश में कांग्रेस को 6711 वोट मिले और आप 3188 वोट से हार गई. नई दिल्ली में खुद अरविंद केजरीवाल हार गए, जहां कांग्रेस को 4568 वोट मिले और केजरीवाल 4089 वोट से हार गए.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

छतरपुर में कांग्रेस को 6601 वोट मिले और आप 6239 वोट से हार गई. महरौली में कांग्रेस को 9338 वोट मिले और आप 8218 वोट से हार गई. मादीपुर में कांग्रेस को 17958 वोट मिले और आप 10899 वोट से हार गई. बदली में कांग्रेस को 41071 वोट मिले और आप 15163 वोट से हार गई.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

कस्तूरबा नगर में कांग्रेस को 27019 वोट मिले और आप 19450 वोट से हार गई. नांगलोई जाट में कांग्रेस को 32028 वोट मिले और आप 26251 वोट से हार गई. अगर यही कांग्रेस और आप साथ मिलकर चुनाव लड़े होते तो नतीजों में अंतर देखने को मिलता.

बिहार विधानसभा चुनाव और कांग्रेस की दावेदारी : इसी साल बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में होने हैं, और कांग्रेस ने अब से ही सीटों की मांग शुरू कर दी है. एक तरह से कांग्रेस ने प्रेशर पॉलिटिक्स आरजेडी के साथ शुरू कर दी है. 2020 के चुनाव में कांग्रेस ने महागठबंधन के तहत 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, और अब वह उसी फार्मूले के तहत चुनाव लड़ने का दम भर रही है.

राहुल गांधी, सांसद
राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष, कांग्रेस (ETV Bharat)

2020 का सीट फॉर्मूला : 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हुआ, जिसमें राजद को 144 सीट, कांग्रेस को 70, सीपीआई को 4 सीट, सीपीएम को 6 सीट और सीपीआई (एमएल) को 19 सीट मिली. कांग्रेस ने इन 70 सीटों में से विभिन्न वर्गों से उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें दलित, पिछड़ा, अति-पिछड़ा, अल्पसंख्यक और महिलाएं शामिल थीं. इस बार कांग्रेस को महज 19 सीटें ही मिली थीं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

इंडिया गठबंधन और बिहार में सीटों की मांग : दिल्ली चुनाव के बाद कांग्रेस ने बिहार में भी अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है. कांग्रेस का कहना है कि 2020 के फार्मूले के अनुसार सीटों का बंटवारा किया जाए. राजद और कांग्रेस दोनों ही गठबंधन में एक दूसरे के लिए अहम पार्टनर हैं, और यह गठबंधन आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए एकजुट होकर लड़ेगा.

''दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया, यह रिजल्ट तो आना ही था. जो भी राजनीतिक दल जो अपने आप को सेकुलर पार्टी कहती है और इंडिया गठबंधन का हिस्सा मानते हैं, उन दलों को इस बात का एहसास होना चाहिए की सहयोगी दलों के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए. यह कांग्रेस पर भी लागू होता है.''- प्रेमचंद मिश्रा, पूर्व विधान पार्षद, कांग्रेस

कांग्रेस और राजद के रिश्ते : दिल्ली चुनाव के बाद कांग्रेस और राजद के रिश्तों पर सवाल उठे थे, लेकिन अब बिहार में दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं. राहुल गांधी की जनवरी में लालू प्रसाद से हुई मुलाकात के बाद दोनों पार्टियों के बीच समन्वय बढ़ा है.

ETV Bharat
ETV Bharat (ETV Bharat)

''जिस राजनीतिक दल की जितनी जमीनी हकीकत होगी उतनी सीट उनको दी जाएगी. पार्टी में सीट बंटवारे पर पार्टी के आला कमान निर्णय लेंगे. लेकिन इन लोगों का मुख्य उद्देश्य है कि 2025 में तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना.''- भाई वीरेंद्र, विधायक, आरजेडी

महागठबंधन की भविष्यवाणी : विशेषज्ञों का मानना है कि अगर राजद और कांग्रेस बिहार में एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ेंगे, तो बीजेपी को हराना मुश्किल होगा. गठबंधन के भीतर सीटों की तालमेल की जरूरत है, और कांग्रेस की भूमिका इसमें अहम है.

''दिल्ली एवं हरियाणा में इंडिया गठबंधन की प्रमुख सहयोगियों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी रही है. दोनों राजनीतिक दल यदि आपस में संघर्ष करेगी तो बीजेपी को फायदा होगा ही. यही दिल्ली विधानसभा चुनाव में देखने को मिला.''- सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

महागठबंधन की एकता और सीटों का तालमेल : प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि महागठबंधन को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की जरूरत है. राजद और कांग्रेस को मिलकर सीटों का तालमेल करना होगा, ताकि चुनाव में एक मजबूत उम्मीदवार खड़ा किया जा सके.

राहुल गांधी, सांसद
राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष, कांग्रेस (ETV Bharat)

''जो भी लोग कांग्रेस को कमजोर समझ रहे हैं वह राजनीतिक रूप से परिपक्व नहीं है. गठबंधन में कोई शामिल होता है तो एक दूसरे को कमजोर समझने के लिए नहीं एक दूसरे को सहयोग करने के लिए मिलते हैं. बिना कांग्रेस पार्टी के सहयोग के देश में सेकुलर गठबंधन नहीं चल सकता.'' - प्रेमचंद मिश्रा, पूर्व विधान पार्षद, कांग्रेस

महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती : बिहार में एनडीए गठबंधन पूरी तरीके से एकजुट है. बीजेपी की छतरी के नीचे नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए पूरी मजबूती के साथ तैयारी में जुट गई है. जिस तरीके से एनडीए की तैयारी है उससे चुनाव में लड़ने के लिए तेजस्वी यादव हों या महागठबंधन के अन्य घटक दल इनको अभी से तैयारी करनी होगी.

''महागठबंधन को आगामी विधानसभा चुनाव में यदि मजबूती से लड़ना है तो कांग्रेस और राजद को मिल बैठकर सीटों के तालमेल कर लेना चाहिए की कौन कितनी सीट पर लड़ेंगे.''- सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

ये भी पढ़ें-

पटना: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच राजनीतिक संघर्ष का फायदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिला. 27 वर्षों बाद दिल्ली में बीजेपी को सत्ता मिली. कांग्रेस की भूमिका इस हार में महत्वपूर्ण रही, क्योंकि आप को कई सीटों पर नुकसान हुआ. दिल्ली की 14 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के कारण आप को हार का सामना करना पड़ा.

दिल्ली नतीजों से सहयोगियों को चेतावनी : केजरीवाल की हार को कांग्रेस पार्टी अपने सहयोगी दलों के सामने 'आइने' की तरह पेश कर रही है. वो ये बता रही है कि किसी भी कीमत पर कांग्रेस को इग्नोर करने का नतीजा हरियाणा और दिल्ली जैसा होगा. संकेत अब बिहार में होने वाले चुनावों की ओर भी है. कांग्रेस के कटिहार सांसद तारीक अनवर ने शीर्ष नेतृत्व से ये पूछ लिया कि पार्टी गठबंधन की राजनीति करेगी या फिर अकेले चलेगी?

कांग्रेस की सहयोगियों को चेतावनी (ETV Bharat)

''कांग्रेस को अपनी राजनीतिक रणनीति को स्पष्ट करने की जरूरत है. उन्हें तय करना होगा कि वे गठबंधन की राजनीति करेंगे या अकेले चलेंगे.''- तारीक अनवर, सांसद, कटिहार, कांग्रेस

कांग्रेस और आप की लड़ाई से मिली हार : दरअसल, आज दिल्ली में आप की सरकार बन सकती थी. इसके लिए कांग्रेस और आप का गठबंधन जरूरी था लेकिन सीटों की खींचतान में सत्ता ही हाथ से चली गई. दिल्ली की जिन 14 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के कारण आम आदमी पार्टी को नुकसान हुआ, उनमें संगम विहार, त्रिलोकपुरी, जंगपुरा, तिमारपुर, राजेंद्र नगर, मालवीय नगर, ग्रेटर कैलाश, नई दिल्ली, छतरपुर, महरौली, मादीपुर, बदली, कस्तूरबा नगर और नांगलोई जाट विधानसभा सीट शामिल हैं.

संगम विहार में कांग्रेस को 15863 वोट मिले, जबकि आप सिर्फ 344 वोट से हार गई. त्रिलोकपुरी में कांग्रेस को 6147 वोट मिले और आप 393 वोट से हार गई. जंगपुरा में कांग्रेस को 7350 वोट मिले और आप 675 वोट से हार गई. तिमारपुर में कांग्रेस को 7827 वोट मिले और आप 969 वोट से हार गई.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

राजेंद्र नगर में कांग्रेस को 4015 वोट मिले और आप 1231 वोट से हार गई. मालवीय नगर में कांग्रेस को 6770 वोट मिले और आप 2131 वोट से हार गई. ग्रेटर कैलाश में कांग्रेस को 6711 वोट मिले और आप 3188 वोट से हार गई. नई दिल्ली में खुद अरविंद केजरीवाल हार गए, जहां कांग्रेस को 4568 वोट मिले और केजरीवाल 4089 वोट से हार गए.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

छतरपुर में कांग्रेस को 6601 वोट मिले और आप 6239 वोट से हार गई. महरौली में कांग्रेस को 9338 वोट मिले और आप 8218 वोट से हार गई. मादीपुर में कांग्रेस को 17958 वोट मिले और आप 10899 वोट से हार गई. बदली में कांग्रेस को 41071 वोट मिले और आप 15163 वोट से हार गई.

ETV Bharat GFX
ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

कस्तूरबा नगर में कांग्रेस को 27019 वोट मिले और आप 19450 वोट से हार गई. नांगलोई जाट में कांग्रेस को 32028 वोट मिले और आप 26251 वोट से हार गई. अगर यही कांग्रेस और आप साथ मिलकर चुनाव लड़े होते तो नतीजों में अंतर देखने को मिलता.

बिहार विधानसभा चुनाव और कांग्रेस की दावेदारी : इसी साल बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में होने हैं, और कांग्रेस ने अब से ही सीटों की मांग शुरू कर दी है. एक तरह से कांग्रेस ने प्रेशर पॉलिटिक्स आरजेडी के साथ शुरू कर दी है. 2020 के चुनाव में कांग्रेस ने महागठबंधन के तहत 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, और अब वह उसी फार्मूले के तहत चुनाव लड़ने का दम भर रही है.

राहुल गांधी, सांसद
राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष, कांग्रेस (ETV Bharat)

2020 का सीट फॉर्मूला : 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हुआ, जिसमें राजद को 144 सीट, कांग्रेस को 70, सीपीआई को 4 सीट, सीपीएम को 6 सीट और सीपीआई (एमएल) को 19 सीट मिली. कांग्रेस ने इन 70 सीटों में से विभिन्न वर्गों से उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें दलित, पिछड़ा, अति-पिछड़ा, अल्पसंख्यक और महिलाएं शामिल थीं. इस बार कांग्रेस को महज 19 सीटें ही मिली थीं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

इंडिया गठबंधन और बिहार में सीटों की मांग : दिल्ली चुनाव के बाद कांग्रेस ने बिहार में भी अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है. कांग्रेस का कहना है कि 2020 के फार्मूले के अनुसार सीटों का बंटवारा किया जाए. राजद और कांग्रेस दोनों ही गठबंधन में एक दूसरे के लिए अहम पार्टनर हैं, और यह गठबंधन आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए एकजुट होकर लड़ेगा.

''दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया, यह रिजल्ट तो आना ही था. जो भी राजनीतिक दल जो अपने आप को सेकुलर पार्टी कहती है और इंडिया गठबंधन का हिस्सा मानते हैं, उन दलों को इस बात का एहसास होना चाहिए की सहयोगी दलों के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए. यह कांग्रेस पर भी लागू होता है.''- प्रेमचंद मिश्रा, पूर्व विधान पार्षद, कांग्रेस

कांग्रेस और राजद के रिश्ते : दिल्ली चुनाव के बाद कांग्रेस और राजद के रिश्तों पर सवाल उठे थे, लेकिन अब बिहार में दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं. राहुल गांधी की जनवरी में लालू प्रसाद से हुई मुलाकात के बाद दोनों पार्टियों के बीच समन्वय बढ़ा है.

ETV Bharat
ETV Bharat (ETV Bharat)

''जिस राजनीतिक दल की जितनी जमीनी हकीकत होगी उतनी सीट उनको दी जाएगी. पार्टी में सीट बंटवारे पर पार्टी के आला कमान निर्णय लेंगे. लेकिन इन लोगों का मुख्य उद्देश्य है कि 2025 में तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना.''- भाई वीरेंद्र, विधायक, आरजेडी

महागठबंधन की भविष्यवाणी : विशेषज्ञों का मानना है कि अगर राजद और कांग्रेस बिहार में एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ेंगे, तो बीजेपी को हराना मुश्किल होगा. गठबंधन के भीतर सीटों की तालमेल की जरूरत है, और कांग्रेस की भूमिका इसमें अहम है.

''दिल्ली एवं हरियाणा में इंडिया गठबंधन की प्रमुख सहयोगियों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी रही है. दोनों राजनीतिक दल यदि आपस में संघर्ष करेगी तो बीजेपी को फायदा होगा ही. यही दिल्ली विधानसभा चुनाव में देखने को मिला.''- सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

महागठबंधन की एकता और सीटों का तालमेल : प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि महागठबंधन को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की जरूरत है. राजद और कांग्रेस को मिलकर सीटों का तालमेल करना होगा, ताकि चुनाव में एक मजबूत उम्मीदवार खड़ा किया जा सके.

राहुल गांधी, सांसद
राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष, कांग्रेस (ETV Bharat)

''जो भी लोग कांग्रेस को कमजोर समझ रहे हैं वह राजनीतिक रूप से परिपक्व नहीं है. गठबंधन में कोई शामिल होता है तो एक दूसरे को कमजोर समझने के लिए नहीं एक दूसरे को सहयोग करने के लिए मिलते हैं. बिना कांग्रेस पार्टी के सहयोग के देश में सेकुलर गठबंधन नहीं चल सकता.'' - प्रेमचंद मिश्रा, पूर्व विधान पार्षद, कांग्रेस

महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती : बिहार में एनडीए गठबंधन पूरी तरीके से एकजुट है. बीजेपी की छतरी के नीचे नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए पूरी मजबूती के साथ तैयारी में जुट गई है. जिस तरीके से एनडीए की तैयारी है उससे चुनाव में लड़ने के लिए तेजस्वी यादव हों या महागठबंधन के अन्य घटक दल इनको अभी से तैयारी करनी होगी.

''महागठबंधन को आगामी विधानसभा चुनाव में यदि मजबूती से लड़ना है तो कांग्रेस और राजद को मिल बैठकर सीटों के तालमेल कर लेना चाहिए की कौन कितनी सीट पर लड़ेंगे.''- सुनील पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार

ये भी पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.