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पशु-पक्षियों के मन की बात कैसे जान लेती हैं महाराष्ट्र की उमा, जानें सब कुछ - UMA READS ANIMAL BIRDS MINDS

महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली पशुमित्र 'उमा' का दावा है कि वे पशु-पक्षियों की हरकतों-आदतें ही नहीं उनके मन की हर बात जानती हैं.

A Pune woman Uma knows everything about the minds of animals and birds.
पशु-पक्षियों के मन की बात बताती हैं उमा कर्वे. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : June 24, 2025 at 11:02 AM IST

7 Min Read

पुणे: महाराष्ट्र के पुणे की एक महिला उमा सुर्खियों में हैं. पशु मित्र 'उमा' का दावा है कि वे पशु-पक्षियों की हरकतें और आदतें ही नहीं उनके मन में चल रही हर बात जान लेती हैं.

पशु-पक्षियों के मन की हर बात जानने के बजाय जानवरों की हरकतों और आदतों के आधार पर उनके बारे में जानना आसान है. ऐसा इसलिए, क्योंकि वे उनसे जुड़ी होती हैं. लेकिन पुणे की पशु मित्र 'उमा' का दावा है कि वे पशु-पक्षियों के मन की हर बात जानती हैं. और वो बहुत से लोगों को इसकी ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं.

इंसानी जीवन में हम हर दिन एक दूसरे से बात करते हैं. चर्चा करते हैं. आपस में अक्सर बातचीत करते हैं. लेकिन किसी के मन में क्या चल रहा है, यह ज्यादातर लोगों के लिए 'आउट ऑफ सिलेबस' होता है. यानी कि उनके मन में क्या चल रहा है, नहीं समझ पाते हैं. इस तरह से मन को समझना एक गहन विषय है. लेकिन पुणे की उमा कर्वे जानवरों और पक्षियों से बात करती हैं. वो हर चीज को समझने की बात कहती हैं.

पशु-पक्षियों से पहले प्रेम किया, अब उनके मन की बात बताती हैं उमा कर्वे. (ETV Bharat)

इतना ही नहीं, वे यह भी जानती हैं कि उन जानवरों और पक्षियों के मन में क्या चल रहा है. उनकी वजह से कई लोगों के पालतू जानवर एक बार फिर घर आ गए हैं. उमा कर्वे का दावा है कि उन्होंने सौ से ज़्यादा छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षित किया है. इन लोगों ने भी ऐसा करने की क्षमता हासिल कर ली है.

कैसे हुई शुरुआत?: महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली उमा कर्वे को बचपन से ही पशु-पक्षियों से गहरा लगाव रहा है. बचपन में जब वे पुणे के सदाशिव पेठ में एक हवेली में रहती थीं, तो हवेली में एक कुत्ता रहता था. इस कुत्ते से उमा कर्वे को उनके पिता ने मिलवाया था. उन्होंने इस कुत्ते का नाम 'राजा' रखा था. वे इस राजा कुत्ते से हर दिन बातचीत करती थीं. उमा को यह एहसास होने में समय लगा कि हम जानवरों से बात करते हैं और उनके मन की बात जानते हैं. इसके बाद उनका पशु-पक्षियों के प्रति प्यार भी बढ़ता गया. उमा ने बताया कि उसके बाद उन्होंने गाय, भैंस, बिल्ली, बंदर और दूसरे जानवरों से बातचीत करना शुरू कर दिया.

पशु-पक्षी हमें बताते हैं मन की बात: उमा कर्वे ने बताया, "जब मुझे एहसास हुआ कि मैं पक्षियों और जानवरों से बात कर सकती हूं और उनके मन की बात जान सकती हूं, तो मैंने मंजरी लाठे के साथ जानवरों पर एक वर्कशॉप की. तब मुझे एहसास हुआ कि हम यही करते हैं. हम जानवरों और पक्षियों से बात करते हैं और उनके मन की बात जानते हैं."

वहीं से यह यात्रा शुरू हुई. इसी तरह, पक्षी और जानवर हमेशा हमसे बात करते रहते हैं. वे हमें बताते हैं कि उनके मन में क्या है. लेकिन हम इसे समझ नहीं पाते. जब मैंने जानवरों और पक्षियों से बात करना शुरू किया, तो मुझे समझ में आने लगा कि यह दुनिया और प्रकृति कितनी खूबसूरत है और पक्षी और जानवर उनसे क्या उम्मीद करते हैं. ... और महसूस किया कि हम जानवरों और पक्षियों से बात कर रहे थे.

उमा कर्वे ने याद किया कि "जब मैं छोटी थी, तो हमारे पास 'शोनी' नाम की एक कुतिया थी. मैंने सीखा कि वह क्या चाहती है और क्या करना चाहती है. उसी समय, मैं एक छोटी मुर्गी भी लाई. फिर शोनी सोचने लगी कि मैं उसे खा नहीं सकती, मैं उसे मार नहीं सकती. फिर मुझे एहसास हुआ कि उनके बीच बहुत झगड़े होते हैं. तब मुझे वाकई लगा कि हम जानवरों और पक्षियों से बात कर रहे हैं."

हम किन पक्षियों और जानवरों से बात कर सकते हैं?: उमा ने कहा कि "हम जिस भी पक्षी या जानवर से बात करना चाहते हैं, उससे बात कर सकते हैं. हम अफ्रीकी ग्रे तोता, बुग्गी, कॉकटेल जैसे विभिन्न पक्षियों और जानवरों से कभी भी और कहीं भी बात कर सकते हैं. जानवर हमसे संवाद करना चाहते हैं."

मनुष्य और पशु की बोली में क्या अंतर है?: कर्वे ने यह भी कहा कि "रोजमर्रा की जिंदगी में मनुष्य, आदमी से बात करते हैं. हम एक-दूसरे से विचारों का आदान-प्रदान करते हैं. हालांकि, जानवर भी हमसे बात करते हैं और वे इस बारे में बात करते हैं कि मनुष्य को कैसा व्यवहार करना चाहिए. जब ​​हमारे घर में खुशी होती है, तो पशु-पक्षी भी खुश होते हैं. इसी तरह, जब हमारे घर में दुख होता है, तो पशु-पक्षी भी दुखी होते हैं. लेकिन खास बात यह है कि जानवर हमें दुख का कारण बताते हैं और वे हमें इसे बदलने के लिए भी कहते हैं."

भागे हुए पक्षी पशु वापस लौटे: पुणे शहर में लोग बड़ी संख्या में पालतू जानवर और पक्षी रखते हैं. अक्सर ये पक्षी किसी न किसी कारण से भाग जाते हैं. तब कई लोगों ने उमा कर्वे से बातचीत की. तब उन्होंने पक्षियों के साथ-साथ जानवरों से भी बातचीत की और संबंधित लोगों को वे कहां हैं और क्या कर रहे हैं. इसकी जानकारी दी. जो पशु-पक्षी भाग गए थे, वे वापस आ गए हैं. उमा कर्वे अब तक बड़ी संख्या में पालतू पशु-पक्षियों को वापस ला चुकी हैं.

बढ़ते शहरीकरण को लेकर पशु-पक्षी क्या सोचते हैं?: आज शहरीकरण बड़े पैमाने पर बढ़ रहा है. कई जगहों पर पेड़ काटे जा रहे हैं और ऊंची इमारतें बनाई जा रही हैं. क्या आपने इसे लेकर पशु-पक्षियों से बातचीत की? इस बारे में पूछे जाने पर उमा कर्वे ने कहा, "हां, बढ़ते शहरीकरण को लेकर पशु-पक्षियों में नाराजगी जरूर देखी जा सकती है. एक बार जुन्नार में जब एक तेंदुआ पकड़ा गया, तो उसने मुझसे कहा कि इसे पकड़ने की कोई वजह नहीं है. मैं और मेरे पूर्वज पीढ़ियों से यहां रहते आए हैं. हमारी वजह से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है. जिस तेंदुए ने परेशानी खड़ी की है, उसे पकड़ा जाना चाहिए. मुझे बिना वजह पकड़ा गया है. कर्वे ने ये हमले क्यों बढ़ रहे हैं, इस बारे में एक किस्सा भी सुनाया, कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि आप हमारे यहां आए हैं."

इंसानों और जानवरों से बात करने में क्या अंतर है: उमा कर्वे ने भी यही कहा "अगर हमें इंसानों से बात करनी है, तो कौन आने वाला है, किस बारे में बात करने वाला है, घर का सामान ठीक है या नहीं? क्या आने वाले व्यक्ति को घर के पक्षी और जानवर पसंद हैं? हमें इस बारे में सोचना पड़ता है. लेकिन जानवरों और पक्षियों से बात करते समय इनमें से किसी भी बात पर विचार नहीं किया जाता है. साथ ही, जानवरों और पक्षियों से बात करते समय वे किसी को 'जज' नहीं करते हैं. वे कभी भेदभाव नहीं करते हैं. पशु-पक्षी अपने जीवन को खुशी से मनाते हैं. खास बात यह है कि जानवर कभी झूठ नहीं बोलते हैं."

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पशु-पक्षियों के मन की हर बात जानने के बजाय जानवरों की हरकतों और आदतों के आधार पर उनके बारे में जानना आसान है. ऐसा इसलिए, क्योंकि वे उनसे जुड़ी होती हैं. लेकिन पुणे की पशु मित्र 'उमा' का दावा है कि वे पशु-पक्षियों के मन की हर बात जानती हैं. और वो बहुत से लोगों को इसकी ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं.

इंसानी जीवन में हम हर दिन एक दूसरे से बात करते हैं. चर्चा करते हैं. आपस में अक्सर बातचीत करते हैं. लेकिन किसी के मन में क्या चल रहा है, यह ज्यादातर लोगों के लिए 'आउट ऑफ सिलेबस' होता है. यानी कि उनके मन में क्या चल रहा है, नहीं समझ पाते हैं. इस तरह से मन को समझना एक गहन विषय है. लेकिन पुणे की उमा कर्वे जानवरों और पक्षियों से बात करती हैं. वो हर चीज को समझने की बात कहती हैं.

पशु-पक्षियों से पहले प्रेम किया, अब उनके मन की बात बताती हैं उमा कर्वे. (ETV Bharat)

इतना ही नहीं, वे यह भी जानती हैं कि उन जानवरों और पक्षियों के मन में क्या चल रहा है. उनकी वजह से कई लोगों के पालतू जानवर एक बार फिर घर आ गए हैं. उमा कर्वे का दावा है कि उन्होंने सौ से ज़्यादा छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षित किया है. इन लोगों ने भी ऐसा करने की क्षमता हासिल कर ली है.

कैसे हुई शुरुआत?: महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली उमा कर्वे को बचपन से ही पशु-पक्षियों से गहरा लगाव रहा है. बचपन में जब वे पुणे के सदाशिव पेठ में एक हवेली में रहती थीं, तो हवेली में एक कुत्ता रहता था. इस कुत्ते से उमा कर्वे को उनके पिता ने मिलवाया था. उन्होंने इस कुत्ते का नाम 'राजा' रखा था. वे इस राजा कुत्ते से हर दिन बातचीत करती थीं. उमा को यह एहसास होने में समय लगा कि हम जानवरों से बात करते हैं और उनके मन की बात जानते हैं. इसके बाद उनका पशु-पक्षियों के प्रति प्यार भी बढ़ता गया. उमा ने बताया कि उसके बाद उन्होंने गाय, भैंस, बिल्ली, बंदर और दूसरे जानवरों से बातचीत करना शुरू कर दिया.

पशु-पक्षी हमें बताते हैं मन की बात: उमा कर्वे ने बताया, "जब मुझे एहसास हुआ कि मैं पक्षियों और जानवरों से बात कर सकती हूं और उनके मन की बात जान सकती हूं, तो मैंने मंजरी लाठे के साथ जानवरों पर एक वर्कशॉप की. तब मुझे एहसास हुआ कि हम यही करते हैं. हम जानवरों और पक्षियों से बात करते हैं और उनके मन की बात जानते हैं."

वहीं से यह यात्रा शुरू हुई. इसी तरह, पक्षी और जानवर हमेशा हमसे बात करते रहते हैं. वे हमें बताते हैं कि उनके मन में क्या है. लेकिन हम इसे समझ नहीं पाते. जब मैंने जानवरों और पक्षियों से बात करना शुरू किया, तो मुझे समझ में आने लगा कि यह दुनिया और प्रकृति कितनी खूबसूरत है और पक्षी और जानवर उनसे क्या उम्मीद करते हैं. ... और महसूस किया कि हम जानवरों और पक्षियों से बात कर रहे थे.

उमा कर्वे ने याद किया कि "जब मैं छोटी थी, तो हमारे पास 'शोनी' नाम की एक कुतिया थी. मैंने सीखा कि वह क्या चाहती है और क्या करना चाहती है. उसी समय, मैं एक छोटी मुर्गी भी लाई. फिर शोनी सोचने लगी कि मैं उसे खा नहीं सकती, मैं उसे मार नहीं सकती. फिर मुझे एहसास हुआ कि उनके बीच बहुत झगड़े होते हैं. तब मुझे वाकई लगा कि हम जानवरों और पक्षियों से बात कर रहे हैं."

हम किन पक्षियों और जानवरों से बात कर सकते हैं?: उमा ने कहा कि "हम जिस भी पक्षी या जानवर से बात करना चाहते हैं, उससे बात कर सकते हैं. हम अफ्रीकी ग्रे तोता, बुग्गी, कॉकटेल जैसे विभिन्न पक्षियों और जानवरों से कभी भी और कहीं भी बात कर सकते हैं. जानवर हमसे संवाद करना चाहते हैं."

मनुष्य और पशु की बोली में क्या अंतर है?: कर्वे ने यह भी कहा कि "रोजमर्रा की जिंदगी में मनुष्य, आदमी से बात करते हैं. हम एक-दूसरे से विचारों का आदान-प्रदान करते हैं. हालांकि, जानवर भी हमसे बात करते हैं और वे इस बारे में बात करते हैं कि मनुष्य को कैसा व्यवहार करना चाहिए. जब ​​हमारे घर में खुशी होती है, तो पशु-पक्षी भी खुश होते हैं. इसी तरह, जब हमारे घर में दुख होता है, तो पशु-पक्षी भी दुखी होते हैं. लेकिन खास बात यह है कि जानवर हमें दुख का कारण बताते हैं और वे हमें इसे बदलने के लिए भी कहते हैं."

भागे हुए पक्षी पशु वापस लौटे: पुणे शहर में लोग बड़ी संख्या में पालतू जानवर और पक्षी रखते हैं. अक्सर ये पक्षी किसी न किसी कारण से भाग जाते हैं. तब कई लोगों ने उमा कर्वे से बातचीत की. तब उन्होंने पक्षियों के साथ-साथ जानवरों से भी बातचीत की और संबंधित लोगों को वे कहां हैं और क्या कर रहे हैं. इसकी जानकारी दी. जो पशु-पक्षी भाग गए थे, वे वापस आ गए हैं. उमा कर्वे अब तक बड़ी संख्या में पालतू पशु-पक्षियों को वापस ला चुकी हैं.

बढ़ते शहरीकरण को लेकर पशु-पक्षी क्या सोचते हैं?: आज शहरीकरण बड़े पैमाने पर बढ़ रहा है. कई जगहों पर पेड़ काटे जा रहे हैं और ऊंची इमारतें बनाई जा रही हैं. क्या आपने इसे लेकर पशु-पक्षियों से बातचीत की? इस बारे में पूछे जाने पर उमा कर्वे ने कहा, "हां, बढ़ते शहरीकरण को लेकर पशु-पक्षियों में नाराजगी जरूर देखी जा सकती है. एक बार जुन्नार में जब एक तेंदुआ पकड़ा गया, तो उसने मुझसे कहा कि इसे पकड़ने की कोई वजह नहीं है. मैं और मेरे पूर्वज पीढ़ियों से यहां रहते आए हैं. हमारी वजह से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है. जिस तेंदुए ने परेशानी खड़ी की है, उसे पकड़ा जाना चाहिए. मुझे बिना वजह पकड़ा गया है. कर्वे ने ये हमले क्यों बढ़ रहे हैं, इस बारे में एक किस्सा भी सुनाया, कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि आप हमारे यहां आए हैं."

इंसानों और जानवरों से बात करने में क्या अंतर है: उमा कर्वे ने भी यही कहा "अगर हमें इंसानों से बात करनी है, तो कौन आने वाला है, किस बारे में बात करने वाला है, घर का सामान ठीक है या नहीं? क्या आने वाले व्यक्ति को घर के पक्षी और जानवर पसंद हैं? हमें इस बारे में सोचना पड़ता है. लेकिन जानवरों और पक्षियों से बात करते समय इनमें से किसी भी बात पर विचार नहीं किया जाता है. साथ ही, जानवरों और पक्षियों से बात करते समय वे किसी को 'जज' नहीं करते हैं. वे कभी भेदभाव नहीं करते हैं. पशु-पक्षी अपने जीवन को खुशी से मनाते हैं. खास बात यह है कि जानवर कभी झूठ नहीं बोलते हैं."

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