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लोन रिकवरी के नाम पर गुंडागर्दी की तो होगी 3 साल की जेल, नया विधेयक पारित - NEW BILL PASSED IN THE TN ASSEMBLY

तमिलनाडु विधानसभा ने दो विधेयक पारित किए हैं पहला, ऋण वसूली में जबरदस्ती रोकने के लिए,दूसरा, बायोमेडिकल कचरे के अवैध डंपिंग को रोकने के लिए.

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तमिलनाडु विधानसभा (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 30, 2025 at 12:06 AM IST

3 Min Read

चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा में जनता की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करने के लिए दो महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गए. ये विधेयक राज्य में व्याप्त कुछ गंभीर सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं को दूर करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं. 26 फरवरी को उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने इन विधेयकों को पेश किया, पहला विधेयक धन उधार देने वाली फर्मों द्वारा की जाने वाली जबरन वसूली रोकने के लिए है, जबकि दूसरा बायोमेडिकल अपशिष्ट के अवैध डंपिंग पर नियंत्रण लगाने के लिए.

तमिलनाडु में धन उधार देने वाली फर्मों की अवैध वसूली ने लंबे समय से आम लोगों, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को परेशान किया है. इन फर्मों द्वारा जबरन वसूली के तरीकों—जैसे उधारकर्ताओं को धमकाना, उनका पीछा करना, संपत्ति जब्त करना या शारीरिक दबाव डालना—से कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं. इस संशोधन विधेयक का मुख्य उद्देश्य इसे जड़ से समाप्त करना है. उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने विधानसभा में कहा, "व्यक्तियों और स्वयं सहायता समूहों को ऋण देने वाली फर्मों की जबरन वसूली से जनता को भारी नुकसान हो रहा है. यह विधेयक आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को बचाएगा.

विधेयक के प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:

जबरदस्ती की रोकथाम: ऋण देने वाली फर्में उधारकर्ता या उसके परिवार पर कोई भी जबरदस्ती कार्रवाई नहीं कर सकेंगी. इसमें धमकी देना, पीछा करना या संपत्ति जब्त करना शामिल है. यह सुनिश्चित करेगा कि वित्तीय लेन-देन मानवीय और कानूनी तरीके से हो.

सजा का प्रावधान: यदि कोई फर्म इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो दोषी को तीन साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.

आत्महत्या के मामलों में जवाबदेही: विधेयक में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि कोई उधारकर्ता जबरन वसूली के दबाव में आत्महत्या कर लेता है, तो ऋण देने वाली संस्था को 'आत्महत्या के लिए उकसाने वाला' माना जाएगा. ऐसी स्थिति में, दोषियों को बिना जमानत के जेल भेजा जा सकता है.

शिकायत निवारण तंत्र: सरकार विवादों को सुलझाने के लिए शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त कर सकती है. इससे उधारकर्ता और ऋणदाता के बीच कोई भी विवाद तेजी से और निष्पक्ष तरीके से हल हो सकेगा.

बायोमेडिकल अपशिष्ट डंपिंग पर नकेल
दूसरा विधेयक पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा है और तमिलनाडु में अवैध रूप से बायोमेडिकल अपशिष्ट (जैसे अस्पतालों से निकलने वाला कचरा) डंप करने वालों के खिलाफ है. पड़ोसी राज्यों से आकर यह कचरा तमिलनाडु में फेंका जा रहा है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है. यह अपशिष्ट संक्रामक बीमारियों को फैलाने वाला हो सकता है और जल, मिट्टी को प्रदूषित करता है. उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि यह विधेयक बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए निवारक हिरासत का प्रावधान करता है, ताकि ऐसी गतिविधियों को रोका जा सके.

यह भी पढ़ें- नियुक्ति के बावजूद नहीं दिया वेतन... कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार पर लगाया 50 लाख रुपये का जुर्माना

चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा में जनता की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को मजबूत करने के लिए दो महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गए. ये विधेयक राज्य में व्याप्त कुछ गंभीर सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं को दूर करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं. 26 फरवरी को उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने इन विधेयकों को पेश किया, पहला विधेयक धन उधार देने वाली फर्मों द्वारा की जाने वाली जबरन वसूली रोकने के लिए है, जबकि दूसरा बायोमेडिकल अपशिष्ट के अवैध डंपिंग पर नियंत्रण लगाने के लिए.

तमिलनाडु में धन उधार देने वाली फर्मों की अवैध वसूली ने लंबे समय से आम लोगों, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को परेशान किया है. इन फर्मों द्वारा जबरन वसूली के तरीकों—जैसे उधारकर्ताओं को धमकाना, उनका पीछा करना, संपत्ति जब्त करना या शारीरिक दबाव डालना—से कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं. इस संशोधन विधेयक का मुख्य उद्देश्य इसे जड़ से समाप्त करना है. उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने विधानसभा में कहा, "व्यक्तियों और स्वयं सहायता समूहों को ऋण देने वाली फर्मों की जबरन वसूली से जनता को भारी नुकसान हो रहा है. यह विधेयक आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को बचाएगा.

विधेयक के प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:

जबरदस्ती की रोकथाम: ऋण देने वाली फर्में उधारकर्ता या उसके परिवार पर कोई भी जबरदस्ती कार्रवाई नहीं कर सकेंगी. इसमें धमकी देना, पीछा करना या संपत्ति जब्त करना शामिल है. यह सुनिश्चित करेगा कि वित्तीय लेन-देन मानवीय और कानूनी तरीके से हो.

सजा का प्रावधान: यदि कोई फर्म इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो दोषी को तीन साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.

आत्महत्या के मामलों में जवाबदेही: विधेयक में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि कोई उधारकर्ता जबरन वसूली के दबाव में आत्महत्या कर लेता है, तो ऋण देने वाली संस्था को 'आत्महत्या के लिए उकसाने वाला' माना जाएगा. ऐसी स्थिति में, दोषियों को बिना जमानत के जेल भेजा जा सकता है.

शिकायत निवारण तंत्र: सरकार विवादों को सुलझाने के लिए शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त कर सकती है. इससे उधारकर्ता और ऋणदाता के बीच कोई भी विवाद तेजी से और निष्पक्ष तरीके से हल हो सकेगा.

बायोमेडिकल अपशिष्ट डंपिंग पर नकेल
दूसरा विधेयक पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा है और तमिलनाडु में अवैध रूप से बायोमेडिकल अपशिष्ट (जैसे अस्पतालों से निकलने वाला कचरा) डंप करने वालों के खिलाफ है. पड़ोसी राज्यों से आकर यह कचरा तमिलनाडु में फेंका जा रहा है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है. यह अपशिष्ट संक्रामक बीमारियों को फैलाने वाला हो सकता है और जल, मिट्टी को प्रदूषित करता है. उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि यह विधेयक बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए निवारक हिरासत का प्रावधान करता है, ताकि ऐसी गतिविधियों को रोका जा सके.

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