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बढ़ती गर्मी की जद में भारत की तीन-चौथाई आबादी, इन 10 राज्यों में सबसे ज्यादा खतरा, अध्ययन में खुलासा - CEEW STUDY

पिछले दशक में बहुत गर्म दिनों की तुलना में बहुत गर्म रातों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.

heat risk
बढ़ती गर्मी की जद में भारत की तीन-चौथाई आबादी (सांकेतिक तस्वीर ANI)
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By PTI

Published : May 20, 2025 at 1:28 PM IST

4 Min Read

नई दिल्ली: भारतभर में पड़ रही भीषण गर्मी को लेकर एक नई स्टडी सामने आई है. नए अध्ययन के अनुसार भारत के लगभग 57 प्रतिशत जिले वर्तमान में 'उच्च' से 'बहुत उच्च' हीट रिस्क की स्थिति में हैं. इन जिलों में भारत की कुल आबादी का 76 प्रतिशत हिस्सा रहता है.

दिल्ली स्थित क्लाइमेट एंड एर्जी थिंक-टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) द्वारा मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन के अनुसार सबसे हीट रिस्क वाले 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल हैं.

स्टडी में यह भी पाया गया कि पिछले दशक में बहुत गर्म दिनों की तुलना में बहुत गर्म रातों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. अध्ययन में CEEW रिसर्चर्स ने 734 जिलों के लिए एक हीट रिस्क इंडेक्स (HRI) विकसित किया, जिसमें हीट ट्रेंड, भूमि उपयोग, वॉटर बॉडीज और ग्रीन कवर का अध्ययन करने के लिए 40 साल के क्लाइमेट डेटा (1982-2022) और सैटेलाइट इमेज का उपयोग किया गया था.

उच्च और बहुत उच्च रिस्क कैटैगरी में 417 जिले
उन्होंने गर्मी के रिस्क की व्यापक तस्वीर के लिए जनसंख्या, इमारतों, स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक फैक्टर्स के साथ-साथ रात के तापमान और ह्यूमोडिटी के आंकड़ों को भी शामिल किया. CEEW के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रमुख विश्वास चितले कहा ,"हमारे अध्ययन में पाया गया कि 734 भारतीय जिलों में से 417 उच्च और बहुत उच्च रिस्क कैटैगरी में आते हैं. इनमें 151 उच्च जोखिम के अंतर्गत और 266 बहुत उच्च जोखिम के अंतर्गत आते हैं. CEEW ने बाताया कि कुल 201 जिले मॉडरेट कैटेगरी में आते हैं और 116 निम्न या बहुत निम्न कैटेगरी में आते हैं.

चितले ने कहा,"इसका मतलब यह नहीं है कि ये जिले गर्मी के खतरे से मुक्त हैं, लेकिन यह अन्य जिलों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है." अध्ययन के अनुसार भारत में 'बहुत गर्म' दिनों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन चिंताजनक बात यह है कि बहुत गर्म रातों की संख्या और भी अधिक बढ़ रही है, जिससे हेल्थ रिस्क पैदा हो रहा है.

रात में तापमान बढ़ना खतरनाक
रात के समय तापमान का बढ़ना खतरनाक माना जाता है, क्योंकि शरीर को ठंडा होने का मौका नहीं मिलता. शहरी गर्मी के कारण रात के समय तापमान में वृद्धि अधिक आम है, जिसमें मेट्रो क्षेत्र अपने आसपास के इलाकों की तुलना में काफी गर्म होते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, "बहुत गर्म रातों में वृद्धि सबसे अधिक उन जिलों में देखी गई है, जिनकी आबादी बड़ी है. पिछले दशक में, मुंबई में हर गर्मियों में 15 अतिरिक्त बहुत गर्म रातें देखी गईं, बेंगलुरु (11), भोपाल और जयपुर (7-7), दिल्ली (6) और चेन्नई (4).

हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ी गर्मी
अध्ययन से पता चला है कि पारंपरिक रूप से ठंडे हिमालयी क्षेत्रों में भी, जहां मैदानी इलाकों और तटों की तुलना में गर्मी की सीमा कम है, बहुत गर्म दिन और बहुत गर्म रातें दोनों में वृद्धि हुई है. यह नाजुक पर्वतीय इको सिस्टम को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. उदाहरण के लिए जम्मू कश्मीर और लद्दाख जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में बहुत गर्म दिनों और बहुत गर्म रातों की संख्या बढ़ गई है.

उत्तर भारत में आर्द्रता में इजाफा
अध्ययन से यह भी पता चला है कि पिछले दशक में उत्तर भारत की गर्मियों की आर्द्रता 30-40 प्रतिशत से बढ़कर 40-50 प्रतिशत हो गई है, जिससे गर्मी का तनाव और भी बढ़ गया है, खासकर सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में जहां खेत मजदूर बाहर काम करते हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि आउटडोर काम करने वाले, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों को हीट एग्जॉस्ट और हीटस्ट्रोक का ज़्यादा जोखिम होता है.विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 1998 से 2017 के बीच हीटवेव के कारण 1,66,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई.

भारत में 2010 के बाद से सबसे ज्यादा हीटवेव के दौर में पिछले साल हीटस्ट्रोक के 48,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए और हीट से जुड़ी 159 मौतें हुईं. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में हीट से जुड़ी मौतों की गिनती कम हो रही है.

यह भी पढ़ें- देश के इन राज्यों में आज झमाझम बारिश का अलर्ट, जानें आज के मौसम का हाल

नई दिल्ली: भारतभर में पड़ रही भीषण गर्मी को लेकर एक नई स्टडी सामने आई है. नए अध्ययन के अनुसार भारत के लगभग 57 प्रतिशत जिले वर्तमान में 'उच्च' से 'बहुत उच्च' हीट रिस्क की स्थिति में हैं. इन जिलों में भारत की कुल आबादी का 76 प्रतिशत हिस्सा रहता है.

दिल्ली स्थित क्लाइमेट एंड एर्जी थिंक-टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) द्वारा मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन के अनुसार सबसे हीट रिस्क वाले 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल हैं.

स्टडी में यह भी पाया गया कि पिछले दशक में बहुत गर्म दिनों की तुलना में बहुत गर्म रातों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. अध्ययन में CEEW रिसर्चर्स ने 734 जिलों के लिए एक हीट रिस्क इंडेक्स (HRI) विकसित किया, जिसमें हीट ट्रेंड, भूमि उपयोग, वॉटर बॉडीज और ग्रीन कवर का अध्ययन करने के लिए 40 साल के क्लाइमेट डेटा (1982-2022) और सैटेलाइट इमेज का उपयोग किया गया था.

उच्च और बहुत उच्च रिस्क कैटैगरी में 417 जिले
उन्होंने गर्मी के रिस्क की व्यापक तस्वीर के लिए जनसंख्या, इमारतों, स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक फैक्टर्स के साथ-साथ रात के तापमान और ह्यूमोडिटी के आंकड़ों को भी शामिल किया. CEEW के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रमुख विश्वास चितले कहा ,"हमारे अध्ययन में पाया गया कि 734 भारतीय जिलों में से 417 उच्च और बहुत उच्च रिस्क कैटैगरी में आते हैं. इनमें 151 उच्च जोखिम के अंतर्गत और 266 बहुत उच्च जोखिम के अंतर्गत आते हैं. CEEW ने बाताया कि कुल 201 जिले मॉडरेट कैटेगरी में आते हैं और 116 निम्न या बहुत निम्न कैटेगरी में आते हैं.

चितले ने कहा,"इसका मतलब यह नहीं है कि ये जिले गर्मी के खतरे से मुक्त हैं, लेकिन यह अन्य जिलों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है." अध्ययन के अनुसार भारत में 'बहुत गर्म' दिनों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन चिंताजनक बात यह है कि बहुत गर्म रातों की संख्या और भी अधिक बढ़ रही है, जिससे हेल्थ रिस्क पैदा हो रहा है.

रात में तापमान बढ़ना खतरनाक
रात के समय तापमान का बढ़ना खतरनाक माना जाता है, क्योंकि शरीर को ठंडा होने का मौका नहीं मिलता. शहरी गर्मी के कारण रात के समय तापमान में वृद्धि अधिक आम है, जिसमें मेट्रो क्षेत्र अपने आसपास के इलाकों की तुलना में काफी गर्म होते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, "बहुत गर्म रातों में वृद्धि सबसे अधिक उन जिलों में देखी गई है, जिनकी आबादी बड़ी है. पिछले दशक में, मुंबई में हर गर्मियों में 15 अतिरिक्त बहुत गर्म रातें देखी गईं, बेंगलुरु (11), भोपाल और जयपुर (7-7), दिल्ली (6) और चेन्नई (4).

हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ी गर्मी
अध्ययन से पता चला है कि पारंपरिक रूप से ठंडे हिमालयी क्षेत्रों में भी, जहां मैदानी इलाकों और तटों की तुलना में गर्मी की सीमा कम है, बहुत गर्म दिन और बहुत गर्म रातें दोनों में वृद्धि हुई है. यह नाजुक पर्वतीय इको सिस्टम को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. उदाहरण के लिए जम्मू कश्मीर और लद्दाख जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में बहुत गर्म दिनों और बहुत गर्म रातों की संख्या बढ़ गई है.

उत्तर भारत में आर्द्रता में इजाफा
अध्ययन से यह भी पता चला है कि पिछले दशक में उत्तर भारत की गर्मियों की आर्द्रता 30-40 प्रतिशत से बढ़कर 40-50 प्रतिशत हो गई है, जिससे गर्मी का तनाव और भी बढ़ गया है, खासकर सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में जहां खेत मजदूर बाहर काम करते हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि आउटडोर काम करने वाले, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों को हीट एग्जॉस्ट और हीटस्ट्रोक का ज़्यादा जोखिम होता है.विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 1998 से 2017 के बीच हीटवेव के कारण 1,66,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई.

भारत में 2010 के बाद से सबसे ज्यादा हीटवेव के दौर में पिछले साल हीटस्ट्रोक के 48,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए और हीट से जुड़ी 159 मौतें हुईं. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में हीट से जुड़ी मौतों की गिनती कम हो रही है.

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