तंजावुर: तमिलनाडु के तंजावुर जिले के पट्टुकोट्टई शहर से एक बेहद भावुक करने वाली खबर सामने आई है. 96 वर्षीय डॉक्टर रथिनम, जिन्हें लोग 'दस रुपये वाले डॉक्टर' के नाम से जानते थे, का निधन हो गया. उनका जीवन पूरी तरह समाज सेवा और गरीबों की नि:स्वार्थ चिकित्सा सेवा को समर्पित रहा. उन्होंने 1959 में मात्र 2 रुपये से अपनी डॉक्टरी की शुरुआत की थी और जीवनभर मरीजों से 10 रुपये से ज़्यादा कभी नहीं लिए.
रथिनम पट्टुकोट्टई के श्रीनिवासपुरम इलाके में रहते थे. उनकी पत्नी राजलक्ष्मी, एक बेटा और तीन बेटियाँ हैं. बेटा स्वामीनाथन और बहू वर्षा भी डॉक्टर हैं. डॉ. रथिनम ने अपने जीवन में करीब 65,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी करवाई, वह भी बेहद कम शुल्क पर या बिल्कुल मुफ्त.
उनकी सादगी और सेवा भावना का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत-चीन युद्ध के समय जब केंद्र सरकार ने जनता से सहयोग मांगा, तो रथिनम ने बेटी की शादी के लिए बचा कर रखे गए 83 तोला सोने के गहने सरकार को दान में दे दिए थे. बाद में वह सोना उन्हें लौटा दिया गया.
कोरोना काल में जब व्यापारियों पर आर्थिक संकट आया, तब भी उन्होंने मानवीयता का परिचय देते हुए अपनी बिल्डिंग की दुकानों का तीन महीने का किराया माफ कर दिया. उनके क्लिनिक T.A.K. क्लिनिक में आने वाले मरीजों को वह दवा के साथ साथ अपनापन और भरोसा भी देते थे. जो लोग 10 रुपये भी नहीं दे सकते थे, उन्हें भी वे मुस्कुराकर मुफ्त इलाज देते थे.
स्थानीय लोग बताते हैं कि उनका इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं, बल्कि प्यार और अपनत्व से होता था. यही वजह है कि वह पट्टुकोट्टई के एक ‘संवेदनशील प्रतीक’ बन गए थे. उनका निधन वृद्धावस्था के कारण हुआ. आज (7 जून) उनका अंतिम संस्कार उनके निवास स्थान से जुलूस के रूप में किया जाएगा.
उनकी मृत्यु पर राजनीतिक दलों सहित समाज के हर वर्ग ने गहरा दुख व्यक्त किया है. तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जीवन और सेवा हमेशा याद रखी जाएगी.
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