Greenland glaciers Melting : 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेजी से पिघल रहे हैं ग्रीनलैंड ग्लेशियर

author img

By

Published : May 31, 2023, 7:05 AM IST

Greenland Glaciers Melting Fast

Glaciers Melting Faster : दुनिया भर में बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियर और बर्फ कई गुना तेजी से पिघल रहे हैं. मनुष्यों पर इसका अत्यधिक प्रभाव पड़ता है. इन ग्लेशियर परिवर्तनों से मछली पकड़ने, खनन और जल विद्युत की आर्थिक गतिविधियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है. ये भी पढ़ें..

लंदन : ग्रीनलैंड में ग्लेशियर और बर्फ की चोटियों का बड़े पैमाने पर पिघलना जारी है, जो कि 20वीं शताब्दी की तुलना में तीन गुना तेज हो गया है. एक नए अध्ययन से ये जानकारी सामने आई है यह रिसर्च जलवायु परिवर्तन के चलते ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों और आइस कैप में दीर्घकालिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है. इसने पिछले दशक में समुद्र-स्तर में वृद्धि में काफी योगदान दिया है.

ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने 5,327 ग्लेशियरों और आइस कैप्स की मैपिंग की, जो 1900 में लिटिल आइस एज के अंत में मौजूद थे. यह वह समय था जब व्यापक कूलिंग हुई और औसत वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर गया. इसके बाद खुलासा हुआ कि 2001 तक ये ग्लेशियर और आइस कैप्स 5,467 टुकड़ों में बंट गए. जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि ग्रीनलैंड के ग्लेशियरों ने पिछली शताब्दी में कम से कम 587 क्यूबिक किलोमीटर बर्फ खो दी है, जो समुद्र के स्तर में 1.38 मिलीमीटर वृद्धि के लिए जिम्मेदार है.

यह प्रति वर्ष 4.34 जीटी की खतरनाक दर पर 499 गीगाटन (जीटी) के बराबर है जो 43,400 अमेरिकी विमान वाहकों को भरने के लिए पर्याप्त है. शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अनुमान है कि जिस गति से बर्फ 2000 और 2019 के बीच पिघल गई, वह लंबी अवधि (1900 से) के औसत से तीन गुना अधिक है.

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में पर्यावरण, भूगोल और भूविज्ञान स्कूल के डॉ क्लेयर बोस्टन ने कहा, यह भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हमने केवल उन ग्लेशियरों और बर्फ की चोटियों को देखा जो कि क्षेत्रफल में कम से कम 1 किमी थे, इसलिए पिघली हुई बर्फ की कुल मात्रा हमारी भविष्यवाणी से भी अधिक होगी, यदि आप छोटी चोटियों को ध्यान में रखते हैं.

यह अध्ययन वैश्विक समुद्र-स्तर में वृद्धि के संदर्भ में इन परिवर्तनों को समझने के महत्व पर बल देता है. ग्रीनलैंड के ग्लेशियर और बर्फ की चोटियां पिघले हुए पानी के बहाव में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं और वर्तमान में अलास्का के बाद पिघले पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है. लीड्स विश्वविद्यालय में भूगोल स्कूल के प्रमुख ऑथर डॉ जोनाथन एल. कैरिविक ने कहा, ग्रीनलैंड से उत्तरी अटलांटिक में पिघले पानी का प्रभाव वैश्विक समुद्र-स्तर की वृद्धि से और ऊपर जाता है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर परिसंचरण, यूरोपीय जलवायु पैटर्न और ग्रीनलैंड के पानी की गुणवत्ता और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है.
(आईएएनएस)

ये भी पढ़ें

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.