प्रख्यात शायर मुनव्वर राना की स्थिति गंभीर, चाहने वालों की चिंता बढ़ी

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Published : Jun 4, 2023, 1:02 PM IST

प्रख्यात शायर मुनव्वर राना

प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राना की स्थिति गंभीर बनी हुई है. वे वेंटीलेटर पर हैं. उनकी स्थिति को देखकर उनके चाहने वाले चिंतित हैं. उनकी तबीयत कई दिनों से खराब चल रही है.

लखनऊ: प्रख्यात शायर मुनव्वर राना की स्थिति फिलहाल गंभीर है. इस कारण उनके चाहने वालों और परिजनों को उनकी चिंता सता रही है. उनकी तबीयत बीते 13 दिनों से खराब चल रही है. रविवार को मुनव्वर राना की स्थिति को लेकर निजी अस्पताल ने हेल्थ अपडेट जारी किया. इसमें बताया गया कि मौजूदा समय में मुनव्वर राना वेंटीलेटर पर ही हैं. स्थिति जस की तस बनी हुई है. पेट में तेज दर्द की शिकायत के साथ मुनव्वर राना को 22 मई शाम करीब 6 बजे अपोलोमेडिक्स इमरजेंसी में लाया गया था. उन्हें पहले से ही डायबिटीज और हाई बीपी की समस्या है. इसके अलावा कुछ समय पहले वह क्रोनिक किडनी रोग के कारण डायलिसिस पर थे.

निजी अस्पताल की ओर से जारी हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक, मुनव्वर राणा को अस्पताल की इमरजेंसी में पेट में भयानक दर्द के कारण भर्ती किया गया था. जांच कराने पर पता चला कि उनके गॉल ब्लैडर में छेद हो गया है और आसपास पस जम गया है. संक्रमण खून सहित शरीर के सभी हिस्सों में फैल चुका था. मुनव्वर राना को तुरंत सर्जरी के लिए ले जाया गया. वर्तमान में वह लाइफ सपोर्ट पर आईसीयू में भर्ती हैं. उनकी देखरेख हेपेटो-बिलियरी सर्जन, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट, क्रिटिकल केयर और आंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञों की एक्सपर्ट टीम कर रही है. उनकी वर्तमान स्थिति नाजुक है.

मुनव्वर राना के बारे में

मुनव्वर राना का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था. मुनव्वर राना के पिता का नाम अनवर राना है. मुनव्वर राना की माता का नाम आयशा खातून है. भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के समय मुनव्वर राना के कई रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए थे. लेकिन, मुनव्वर राना के पिता ने भारत में ही रहना स्वीकार किया. उनका बचपन कोलकाता में बीता है. उनकी शिक्षा की बात करें तो मुनव्वर राना ने अपनी शिक्षा कोलकाता से ही हासिल की है. मुनव्वर राना ने बीकॉम की डिग्री हासिल की है.

मुनव्वर राना का परिवार

मुनव्वर राना के परिवार में उनकी पत्नी और बच्चे हैं. मुनव्वर राना के छह बच्चे हैं. एक बेटा और पांच बेटियां हैं. मुनव्वर राना के बेटे का नाम तबरेज राना है. मुनव्वर राना की दो बेटियां सुमैया राना और फौजिया राना भी अक्सर चर्चा में बनी रहती हैं. देशभर में चले नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर भी इनका परिवार धरने में शामिल रहा. इनकी दोनों बेटियों ने महीनों लखनऊ के घंटाघर पर चल रहे धरना प्रदर्शन में जोरशोर से समर्थन दिया था.

यूपी चुनाव 2022 में दिया था विवादित बयान

यूपी चुनाव 2022 में शायर मुनव्वर राना ने कहा था कि योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बने तो यूपी छोड़ दूंगा. दिल्ली-कोलकाता चला जाऊंगा. मेरे पिता ने पाकिस्तान जाना मंजूर नहीं किया. लेकिन, अब बड़े दुख के साथ मुझे यह शहर, यह प्रदेश, अपनी मिट्टी को छोड़ना पड़ेगा. हालांकि, ऐसा हुआ कुछ नहीं. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पूर्ण बहुमत से विजयी हुई थी और न ही चुनाव के बाद मुनव्वर राना ने लखनऊ छोड़ा. फिलहाल, उनका परिवार पुराने लखनऊ स्थित अपने घर में रह रहा है.

इन मुद्दों पर विवाद में फंसे थे मुनव्वर राना

साल 2015 में मुनव्वर राना ने साहित्य अकादमी पुरस्कार को वापस कर दिया था और भविष्य में कोई भी सरकारी पुरस्कार न लेने की बात कही थी. दादरी घटना के बाद मुनव्वर राना ने कहा था कि लगाया था जो कि पेड़ भक्तों ने कभी, वो पेड़ फल देने लग गए, मुबारक हो हिन्दूस्तान में अफवाहों से कत्ल होने लगा. मुनव्वर राना ने अपने बयान में भारत को सांप्रदायिक देश बताते हुए कहा था कि हिंदुओं को खुश करने के लिए मुसलमानों को मारा जा रहा है. मुनव्वर राना ने अपने ट्वीट में सद को गिराकर खेत बनाने की बात कही थी. हालांकि, बाद में विवाद बढ़ने पर ट्वीट को डिलीट कर दिया था.

2015 में सरकारी अवार्ड लेने से किया इनकार

वैसे तो प्रख्यात शायर मुनव्वर राना को अनेकों अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. 1993 से साल 2014 तक इन्हें कई बड़े अवॉर्ड्स से नवाजा गया. 2014 में उन्हें भारत सरकार द्वारा उर्दू साहित्य के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसी अवार्ड को उन्होंने एक लाइव टीवी शो पर 18 अक्तूबर 2015 को वापस लौटाया और भविष्य में किसी भी सरकारी पुरस्कार को स्वीकार न करने का वचन दिया.

मां के लिए कुछ खास शेर

बरबाद कर दिया हमें परदेस ने मगर, मां सबसे कह रही है कि बेटा मज़े में है. खाने की चीज़ें मां ने जो भेजी हैं गांव से, बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही. ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी मां सज़दे में रहती है. चलती फिरती आंखों से अज़ां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है.

इन अवार्ड्स से हो चुके सम्मानित

1993 में रईस अमरोहवी पुरस्कार, रायबरेली पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 1995 में दिलकुश पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 1997 में सलीम जाफ़री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2004 में सरस्वती समाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2005 में ग़ालिब, उदयपुर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2006 में कविता के कबीर सम्मान उपाधि, इंदौर से सम्मानित किया गया. 2011 में पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी द्वारा मौलाना अब्दुल रजाक मलिहावादी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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