Odisha Train Accident : ओडिशा ट्रेन दुर्घटना के बाद चर्चा में आई रेल सुरक्षा प्रणाली 'कवच'

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Published : Jun 3, 2023, 7:19 PM IST

Odisha Train Accident

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बाद एक बार फिर स्वदेश में विकसित रेलवे की स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच चर्चा में आ गई है. हालांकि रेलवे ने कहा है कि शुक्रवार शाम जिस मार्ग पर दुर्घटना हुई वहां 'कवच' प्रणाली उपलब्ध नहीं थी. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

नई दिल्ली : ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बाद एक बार फिर स्वदेश में विकसित रेलवे की स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच चर्चा में आ गई है. वहीं रेल मंत्रालय ने शनिवार को दोहराया कि 35736 आरकेएम यानी रूट किलोमीटर के लिए सुरक्षा कवच प्रणाली को भारतीय रेलवे के नेटवर्क (HDN) और हाई यूटिलाइज्ड नेटवर्क (HUN) के मंजूरी दी गई है. भारतीय रेलवे ने चलती ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए 'कवच' नामक अपनी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसित की है. कवच को तीन भारतीय विक्रेताओं के सहयोग से अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) ने स्वदेशी रूप से विकसित किया है. रेलवे ने कहा है कि शुक्रवार शाम जिस मार्ग पर दुर्घटना हुई वहां 'कवच' प्रणाली उपलब्ध नहीं थी.

कवच न केवल लोको पायलट को खतरे और तेज रफ्तार होने पर सिगनल से गुजरने से बचने में मदद करता है बल्कि घने कोहरे जैसे खराब मौसम के दौरान ट्रेन चलाने में भी मदद करता है. इस प्रकार, कवच ट्रेन संचालन की सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाता है. अगर लोको पायलट ब्रेक लगाने में विफल रहता है तो कवच प्रणाली के तहत स्वचालित रूप से ब्रेक लग जाते हैं, जिससे गति नियंत्रित हो जाती है. कवच को दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) के इस क्षेत्र में लागू नहीं किया गया है जहां घातक घटना हुई थी जिसमें 288 लोगों की मौत हुई है और 900 से अधिक लोग घायल हुए हैं. इस संबंध में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि लखनऊ-कानपुर सहित नई दिल्ली-हावड़ा में 1,524 रूट किलोमीटर और वडोदरा-अहमदाबाद सहित नई दिल्ली-मुंबई में 1,425 रूट किलोमीटर के लिए ठेके दिए गए हैं.

इस संबंध में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि लखनऊ-कानपुर सहित नई दिल्ली-हावड़ा में 1,524 रूट किलोमीटर और वडोदरा-अहमदाबाद सहित नई दिल्ली-मुंबई में 1,425 रूट किलोमीटर के लिए ठेके दिए गए हैं. उन्होंने बताया कवच के अगले चरण के लिए शेष स्वर्णिम चतुर्भुज/स्वर्ण विकर्ण (जीक्यू-जीडी) के 6000 रूट किलोमीटर पर प्रारंभिक सर्वेक्षण प्रगति पर है. स्वर्णिम चतुर्भुज दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई के चार महानगरों को जोड़ता है. अधिकारी ने कहा कि कवच को अभी तक हासिल किए गए उपयोगकर्ता के इनपुट और अनुभव के आधार पर अपग्रेड किया गया है. हालांकि अस्थायी गति पर रोक का भी कवच में समावेश करते हुए नया संस्करण जारी किया गया है. वहीं 4जी/5जी पर कवच का विकास प्रगति पर है. कवच प्रणाली प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मूल्यांकनकर्ताओं (ISA) द्वारा सुरक्षा अखंडता स्तर-4 के लिए प्रमाणित है, जो अन्य देशों में समान सुरक्षा प्रणालियों के समान है. साथ ही अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी (UHF) संचार से एलटीई-4जी संचार में परिवर्तन सहित कवच के आगे परिचालन में सुधार शुरू किया गया है. अधिकारी ने कहा, लोको चालक के खतरे में सिग्नल गुजरने और कवच तैनात खंड में चलने वाली कवच ​​फिट ट्रेनों के साथ टकराव की वजह से किसी दुर्घटना की सूचना नहीं है.

वहीं रेल मंत्रालय ने कहा है कि प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर (एएमटीके) दुर्घटनाओं की संख्या रेलवे प्रणाली के सुरक्षा प्रदर्शन का एक सूचकांक 2010-11 में 0.14 से घटकर 2010-11 में 0.10 हो गई है. जबकि यह 2013-14 से 2022-23 में 0.03 हो गई. मंत्रालय ने कहा कि 2022-23 के दौरान ट्रैक नवीनीकरण और रखरखाव प्रणाली के तहत 5,227 किलोमीटर पूर्ण ट्रैक नवीनीकरण (सीटीआर) इकाइयां की गईं. वहीं पिछले 10 वर्षों में 37,159 किलोमीटर के लिए सीटीआर पूरा किया गया. इसी क्रम में 31 मार्च 2023 तक 60 किग्रा, 90 अल्टीमेट टेंसाइल स्ट्रेंथ (यूटीएस) रेल, प्रीस्ट्रेस्ड कंक्रीट स्लीपर (पीएससी) से युक्त आधुनिक ट्रैक संरचना और 65 प्रतिशत ब्रॉड गेज ट्रैक पूरा हो गया है. इसी तरह 31 मार्च 2023 तक बीजी मार्गों पर 6,506 स्टेशनों में से 6,396 स्टेशनों पर पैनल इंटरलॉकिंग/रूट रिले इंटरलॉकिंग/इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (पीआई/आरआरआई/ईआई) के साथ-साथ मल्टीपल एस्पेक्ट कलर लाइट सिग्नल भी प्रदान किए गए हैं. रिकॉर्ड के अनुसार, इस साल 31 मार्च तक बीजी रूट पर 6,607 ब्लॉक सेक्शन में से 6,364 ब्लॉक सेक्शन में अगली ट्रेन को लाइन क्लीयरेंस देने से पहले बिना किसी मैनुअल हस्तक्षेप के ट्रेन का पूरा आगमन सुनिश्चित करने के लिए ब्लॉक प्रूविंग एक्सल काउंटर (BPAC) लगाया गया है.

क्या है कवच की विशेषता-

  • इस प्रणाली के तहत पटरी के पास लगे सिग्नल की रोशनी कैबिन में पहुंचती है और यह रोशनी धुंध के मौसम में बहुत उपयोगी होती है.
  • इस प्रणाली से ट्रेन की आवाजाही की निगराने वाले को ट्रेन के बारे में लगातार जानकारी मिलती रहती है.
  • सिगनल पर अपने आप सीटी बजती है. लोको से लोको के बीच सीधे संचार के जरिए ट्रेनों के टक्कर की आशंका कम हो जाती है.
  • यदि कोई दुर्घटना हो जाती है, तो एसओएस के माध्यम से आसपास चल रही ट्रेनों को कंट्रोल किया जाता है.
  • कवच का परीक्षण दक्षिण मध्य रेलवे के लिंगमपल्ली-विकाराबाद-वाडी और विकाराबाद-बीदर सेक्शन पर किया गया था, जिसमें 250 किलोमीटर की दूरी तय की गई थी.
  • कवच प्रणाली तैयार करने में कुल 16.88 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं.

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