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'मावा मटकी' 20 सालों से मुंह में घोल रही मिठास, गौर सालीवाडा के मीठे को दूर-दूर से चखने आते हैं लोग - Famous sweet of Jabalpur Mawamatki

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 15, 2024, 1:29 PM IST

Updated : May 15, 2024, 1:49 PM IST

मिठाई बनाने वाले अक्सर अलग-अलग किस्म की मिठाइयों को लेकर प्रयोग करते रहते हैं, जबलपुर के राकेश अग्रवाल ने आज से 20 साल पहले एक ऐसा ही प्रयोग किया था, जिससे जन्म हुआ 'माव मटकी' का. आज माव मटकी या मवावटी इस क्षेत्र की पहचान बनती जा रही है.

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जबलपुर की मावा मटकी (ETV BHARAT)

जबलपुर. 20 सालों से लोगों के मुंह में मिठास घोल रही यह मिठाई जबलपुर के गौर सालीवाड़ा क्षेत्र में मिलती है. जबलपुर से बरगी बांध या मंडला की ओर जाते हुए ये दुकान आती है. इसी क्षेत्र में राकेश अग्रवाल नाम के व्यापारी एक मिठाई की दुकान चलाते हैं, जिन्होंने मावा मटकी को इजाद किया था. मावा मटकी या माव बाटी के अस्तित्व में आने की कहानी 20 साल पुरानी है, जब राकेश ने एक प्रयोग के तौर पर इस मिठाई को बनाया था.

Famous sweet of Jabalpur Mawamatki
जबलपुर की मावा मटकी (ETV BHARAT)

इस तरह ईजाद हुई मावा-मटकी

ईटीवी भारत से बात करते हुए राकेश ने बताया कि यहां भारत सरकार का उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान केंद्र खोला गया था. जब यह केंद्र खोला गया तो इसमें देश भर से वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती थी. इसी दौरान जब वे लोग आसपास के बाजार में जाते तो उन्हें कुछ भी ठीक-ठाक मीठा खाने को नहीं मिलता था. तब राकेश अग्रवाल ने अधिकारियों व छात्रों की मांग पर एक नई किस्म के मीठे को बनाने की योजना बनाई.

आज क्षेत्र की पहचान बनी मावा मटकी

राकेश ने प्रयोग के तौर पर मावा यानी खोवे की एक पोटली बनाई और उसे सेंकने के बाद चाश्नी में डुबो दिया. उनके इस एक्सपेरीमेंट को इतना पसंद किया गया कि ये मिठाई आज इस क्षेत्र की पहचान बन गई. लोग इस मिठाई को अलग-अलग नाम से भी जानते हैं. जैसे मावा वटी और मावा बाटी.

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राकेश अग्रवाल का कहना है कि वह रोज सैकड़ों मावा वाटी बनाकर बेच देते हैं. जबलपुर ही ने दूर-दराज से आने वाले कई लोग यहां आकर इस मिठाई का स्वाद चखते हैं और अपने साथ ले जाते हैं. ये मिठाई अत्यधिक मीठी होती है इसलिए डायबीटिक पेशेंट इसे नहीं ले सकते. हालांकि, मीठे के शौकीन इसका जमकर लुत्फ उठाते हैं.

Last Updated :May 15, 2024, 1:49 PM IST
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