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जरूरी जांच के बिना ज्यादातर लोग ले रहे शुगर की दवाएं-इंसुलिन, जानिए कौन सा टेस्ट कंफर्म करता है डायबिटीज - Research on Diabetes

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 20, 2024, 1:17 PM IST

शुगर की दवाएं
शुगर की दवाएं

Research on Diabetes: दुनिया भर में शुगर के पेसेंट्स की संख्या बढ़ती जा रही है, दिल्ली में डायबिटीज एक्स्पर्ट डॉक्टर्स का दावा है कि शुगर के 90 पर्सेंट मरीज बिना पूरी जांच के ही इंसुलिन ले रहे हैं अगर ये लोग ठीक से जांच कराएं खान पान में बदलाव करें तो इनकी डायबिटीज को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.

डॉक्टर एस के कुमार

नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति में शुगर पर हो रहा संग्राम चर्चा का विषय है. दिल्ली के मुख्यमंत्री को डायबिटीज है और जेल में उन्हें इंसुलिन दिये जाने पर विवाद छिड़ा हुआ है. आरोप ये भी हैं कि डायबिटीज का मजाक उड़ाया जा रहा है, लेकिन क्या इस बीमारी को इतने हलके में लिये जाने की जरूरत है. आइये आकंड़ों से समझने की कोशिश करते हैं और समझते हैं कि डॉक्टर्स इसे कितना बड़ा चैलेंज मानते हैं.

ICMR की स्टडी के मुताबिक हाल के कुछ सालों में मधुमेह यानि डायबिटीज तेजी से बढ़ी है. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के मुताबिक मधुमेह से प्रभावित मरीजों की संख्या 1995 में 19 मिलियन से 2015 में 66.8 मिलियन हो गई और साल 2040 तक ये आंकड़े बढ़कर 123.5 मिलियन यानि 12 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है

ये भयावह आंकड़ें ये समझाने के लिए काफी हैं कि डायबिटीज की बीमारी विश्व स्तर पर तेजी से फैल रही है. हालांकि डायबिटीज जैसे बीमारी पर चर्चा तो होती रही है लेकिन लोगों को जागरूक करने के स्तर पर कोशिशें कम ही देखी जाती हैं.

  • डायबिटीज तेजी से फैलने वाली बीमारी
  • भारत में युवा भी इसकी चपेट में
  • डायबिटीज बढ़ने के कारणों में विशेष गलत खानपान
  • आधुनिक समय में बदली जीवन शैली

प्रसिद्ध डायबिटीज विशेषज्ञ डॉक्टर एस कुमार का कहना है कि भारत में डायबिटीज के मरीजों का कुछ टेस्ट करा कर उसके बाद खान-पान में बदलाव कर 90% मरीजों का डायबिटीज खत्म किया जा सकता है.

देश के जाने-माने डायबिटीज विशेषज्ञ और वैज्ञानिक डॉ एस कुमार ने बताया कि भारत में लगातार बढ़ती डायबिटीज मरीजों की संख्या चिंताजनक हैं. आज भारत में आधुनिक जांच उपलब्ध है. लेकिन बावजूद इसके 90% से ज्यादा डायबिटीज के रोगी अधूरी जांच के चलते और पूरी जानकारी न होने के कारण डायबिटीज की दवा और इन्सुलिन ले रहे हैं.

डायबिटीज से जुड़ी आम मिथ्या

  • उम्र भर दवाओं के सहारे जिंदगी चलेगी
  • डायबिटीज उम्र के साथ चलने वाली बीमारी

डॉ एस कुमार ने बताया कि भारत में मिथ्या है कि डायबिटीज का इलाज संभव नहीं है जबकि सही जांच कर डायबिटीज को खत्म किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मैंने रिसर्च में ये देखा हैं कि मेडिकल साइंस में डायबिटीज में कुछ महत्वपूर्ण टेस्ट की जानकारी दी गई है. उन्होंने कहा कि सी- पेप्टाइड टेस्ट होमा (आईआर),फास्टिंग सिरम इन्सुलिन सेंसटिविटी और बीटा सेल फंक्शन का टेस्ट इस रोग में बहुत ही महत्वपूर्ण है.

कुमार ने कहा कि हम लोगों ने डायबिटीज मरीजों को फास्टिंग, पोस्टमील और HbA1c के अलावा सी-पेप्टाइड टेस्ट,होमा (आईआर) और बीटा सेल फंक्शन जैसे प्रमुख टेस्ट की सलाह दी.

जब पूरी जांच सामने आई तो टेस्ट चौंकाने वाली थी क्योंकि जिनका टेस्ट कराया गया उनमें से किसी को मधुमेह रोग था ही नहीं और ऐसे रोगी पिछले 20-20 साल से दवा और इंसुलिन ले रहे थे.

अब सवाल ये है कि कैसे मालूम चले कि डायबिटीज के लिए समुचित जांच कैसे कराई जाए. जिसके जवाब में डॉ कुमार ने कहा कि सबसे ज्यादा इसमें जो महत्वपूर्ण है वो ये है की जानकारी ही बचाव है. लोग जानकारी के अभाव में डायबिटीज न होते हुए भी दवा और इंसुलिन ले रहे हैं जो उनके लिए बहुत ही घातक है.

डॉ एस कुमार ने बताया कि ''डायबिटीज के रिसर्च के दौरान जब हम इसकी जड़ तक पहुंचे तो ये सामने आया है कि भारत में लोग अधूरी जांच करा रहे हैं और फिर डायबिटीज की दवा और इंसुलिन ले रहे हैं और अधूरी जांच पर ही मरीजों को डायबिटीज मरीज बताया जा रहा है. मेरा दावा है कि भारत में 90% डायबिटीज के मरीज अधूरी जांच पर ही अपना इलाज करा रहे हैं. अगर समुचित जांच हो तो भारत के 90% डायबिटीज मरीजों को ठीक किया जा सकता है.''

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