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क्या NOTA कारगर साबित नहीं हुआ, क्यों उठ रहे सवाल, नोटा को ज्यादा वोट मिलने पर क्या होता है, जानें सबकुछ - LOK SABHA ELECTION 2024

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 15, 2024, 4:51 PM IST

NOTA option in Elections 2024: निर्वाचन आयोग ने 2013 में बैलट पेपर और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर नोटा (इनमें से कोई नहीं) का विकल्प पेश किया था. यह मतदाताओं को उम्मीदवारों के खिलाफ अपनी असहमति व्यक्त करने का अधिकार देता है. आइए जानते हैं NOTA क्या है और चुनावी प्रक्रिया में इसे लागू करने की जरूरत क्यों पड़ी.

NOTA option in Elections 2024
नोटा विकल्प (फोटो- ANI)

हैदराबाद: निर्वाचन आयोग देश में चुनावों की वोटिंग ईवीएम और बैलट पेपर के जरिये कराता है. ईवीएम और बैलट पेपर पर संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिन्ह के साथ सबसे नीचे नोटा (NOTA) का विकल्प भी होता है. ईवीएम पर नोटा का चिन्ह भी होता है. अगर कोई मतदाता क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को पसंद नहीं करता है तो वह नोटा का बटन दबा सकता है. इसका मतलब यह हुआ कि वह 'उपरोक्त में से कोई नहीं' यानी 'सभी के विरुद्ध' अपना वोट कर रहा है.

NOTA (None of the Above) का अर्थ 'इनमें से कोई नहीं' है. चुनाव के दौरान वोटर के लिए यह एक ऐसा विकल्प है, जिसके जरिये वे खामूशी से अपनी असहमति व्यक्त कर सकते हैं, अगर वे उम्मीदवारों को पसंद नहीं करते हैं. बहुत से लोग नोटा का समर्थन करते हैं, जबकि बहुत से लोग इसे वोट की 'बर्बादी' बताते हैं. मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से अपने उम्मीदवार अक्षय कांति बम के अंतिम समय में नामांकन वापस लेने के बाद कांग्रेस ने सभी समर्थकों से विरोध स्वरूप नोटा विकल्प चुनने की अपील की है. आइए जानते हैं कि NOTA क्या है और इसे क्यों अपनाया गया.

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- ANI)

नोटा क्या है, किसने डिजाइन किया नोटा चिन्ह
भारत निर्वाचन आयोग ने 2013 में मतपत्र और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का विकल्प पेश किया था. तब से मतदाताओं को चुनाव में उम्मीदवारों के खिलाफ अपना विचार व्यक्त करने का विकल्प मिल गया है. नोटा का चिन्ह सभी ईवीएम और बैलट पेपर में सबसे नीचे रहता है. नोटा को सितंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद पेश किया गया था, जिसमें चुनाव आयोग को मतपत्रों और ईवीएम में नोटा का विकल्प देने का निर्देश दिया गया था. नोटा का चिन्ह अहमदाबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी) द्वारा डिजाइन किया गया था.

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- ANI)

नोटा का उद्देश्य
चुनाव आयोग के मुताबिक, नोटा विकल्प का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं को गोपनीयता के साथ किसी भी उम्मीदवार को वोट न देने के अपने अधिकार का प्रयोग करने में सक्षम बनाना है, जो किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के अपने फैसले में कहा था कि वोट देने के अधिकार में वोट न देने का अधिकार भी शामिल है, यानी उम्मीदवारों को अस्वीकार करने का अधिकार.

नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलने पर क्या होगा
मौजूदा कानून के अनुसार, अगर नोटा को किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों से अधिक वोट मिलते हैं तो उस क्षेत्र में चुनाव रद्द नहीं होगा. ऐसी स्थिति में नोटा के बाद दूसरे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाएगा.

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- ANI)

क्यों जरूरी है नोटा विकल्प
नोटा का विचार मुख्य रूप से लोकतंत्र में मतदाता की भागीदारी के महत्व को रेखांकित करता है. यह वोटर को किसी भी उम्मीदवार को वोट न देने और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ असहमति या अस्वीकृति व्यक्त करने का विकल्प देता है. एक वर्ग का तर्क है कि यह विकल्प फर्जी वोटिंग को कम करने में भी मदद कर सकता है. नोटा का उद्देश्य राजनीतिक दलों को दागी नेताओं को चुनाव में उतारने से रोकना है. नोटा विकल्प चुनने से राजनीतिक दलों को ईमानदार उम्मीदवार को नामांकित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) का कहना है कि नोटा विकल्प शुरू करने से चुनावी प्रक्रिया में जनता की भागीदारी बढ़ सकती है. नोटा विकल्प मतदाता को राजनीतिक दलों द्वारा खड़े किए जा रहे उम्मीदवारों के प्रति अपनी अस्वीकृति व्यक्त करने का अधिकार प्रदान करता है.

क्यों उठ रहे नोटा पर सवाल
वहीं, कई विशेषज्ञों ने चुनावी प्रक्रिया में नोटा के विकल्प पर सवाल उठाए हैं. उनका तर्क है कि देश में जिस उद्देश्य के लिए नोटा विकल्प पेश किया गया था, वह पूरा नहीं हुआ. नोटा बिना दांत वाले बाघ की तरह है, जिसका चुनाव नतीजों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. उनका कहना है कि अगर चुनाव में नोटा को 100 वोटों में से 99 वोट मिलते हैं और एक वोट किसी उम्मीदवार को मिलता है, तब भी उस उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाएगा.

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